कहते हैं कि जब बच्चे अपने मां बाप का सपना पूरा करते हैं तो मां बाप की दुगनी खुशी भी चौगुनी हो जाती है। खास तौर पर भारत जैसे शहर में जहां लड़कियों को पढ़ाया लिखाया जाना आज भी एक मजबूरी समझी जाती है। वहां लड़कियों का अपने सपने पूरे करना बहुत मुश्किल होता है। लेकिन मुस्लिम परिवार से आने वाली अंजुम सैफई ने ये साबित कर दिया है की अगर मन में कुछ ठान लिया जाए तो उसे पूरा करने में पूरी कायनात आपका साथ देती है।
आपको बता दें कि लोगों को ईमानदारी की शिक्षा देने वाले अपने पिता को अंजुम सैफी ने 25 साल पहले खो दिया था। उस वक्त अंजुम सिर्फ 4 साल की बच्ची थी। यह बात साल 1992 की है जब कुछ बदमाशों ने बीच बाजार अंजुम सैफी के पिता को गो!ली मा!रकर ह!त्या कर दी थी। आज अंजुम ने अपने पिता का सपना पूरा कर दिया है।

आपको बता दें कि अंजुम सैफी के पिता राशिद अहमद जाते थे कि उनकी बेटी एक दिन जज बने और लोगों के लिए न्याय करें। अंजुम ने अपने पिता के सपने पूरे करने के लिए दिन रात मेहनत की और आज यह मुकाम आया कि अंजुम सैफी जज बन चुकी है। लेकिन दुर्भा!ग्यवश आज उनके पिता अपनी बेटी के सपने को पूरा होते नहीं देख पाए। आपको बता दें लोक सेवा आयोग की pcs-j 2016 की परीक्षा में कामयाबी पाने वालों की लिस्ट में जब अंजुम सैफी ने अपना नाम देखा तो उनकी आंखों में खुशी के आंसू भर आए और वह अपने पिता की याद में डूब गई।

आपको बता दें की अंजुम के पिता राशिद अहमद ईमानदारी के रास्त पर चलने वाले एक सज्जन इंसान थे। राशिद रहमद हार्डवेयर की दुकान चलाते थे। अपराधियों के साथ हमेशा ही उनका विवाद रहता था। वे ईमानदारी के साथ रहते और गलत के खिलाफ आवाज उठाते। ईमानदारी के रास्ते पर चलना ही उनकी ह’त्या का सबब बन गया।
अंजुम की मां हमिदा बेगम ने कहा कि जब से अंजुम ने पीसीएस – जे का रिजल्ट देखा है तब से वह हर किसी से बस अपने पिता के बारे में ही बातें कर रही है। जो उसे हमेशा जज बनने का ख्वाब दिखाते थे, वे सिर्फ इसी विषय में बातें किया करते थे।