शिवसेना में टूटफूट के बाद उद्धव ठाकरे फिर से खुद को मजबूत करने की कोशिश में हैं। बीएमसी चुनाव से पहले उन्होंने प्रकाश अंबेडकर से हाथ मिलाया है। वंचित बहुजन अघाड़ी के साथ तालमेल की घोषणा खुद उद्धव ने की। महाराष्ट्र की सियासत में ये बड़ा घटनाक्रम है। बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर के पोते प्रकाश के साथ उद्धव की जुगलबंदी की बात पर दो महीने से चर्चा चल रही थी।
दरअसल, एकनाथ शिंदे के अलग हो जाने के बाद उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना के लिए बड़ी चुनौतियां हैं। शिंदे बीजेपी के साथ महाराष्ट्र में सरकार चला रहे हैं और उसके मुखिया हैं, जबकि उद्धव सत्ता से बाहर हैं। यही नहीं उनके सामने पार्टी की विश्वसनीयता और बाला साहेब ठाकरे की विरासत को बचाने की भी चुनौती है, क्योंकि दोनों पर एकनाथ शिंदे मजबूती से दावा ठोक रहे हैं।
मीडिया से बात करते हुए उद्धव ठाकरे ने कहा कि डॉ बीआर अंबेडकर और बालासाहेब ठाकरे दोनों की समाज की बुराइयों के प्रति मुखर रहे हैं। शिवसेना यूटी के प्रमुख ने कहा कि अनावश्यक अराजकता और समस्याओं से आम लोगों का मोहभंग हो रहा है, जो निरंकुशता का मार्ग प्रशस्त कर रहा है। हमने बुरे दौर के खिलाफ खड़े होने के लिए एक कदम उठाया है।
इस दौरान पूर्व मुख्यमंत्री ठाकरे ने RSS प्रमुख पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि मोहन भागवत मस्जिद गए तो क्या उन्होंने हिंदुत्व छोड़ दिया? जब बीजेपी ने पीडीपी के साथ गठबंधन किया तो क्या उन्होंने हिंदुत्व छोड़ दिया? वे जो कुछ भी करते हैं वह सही है और जब हम कुछ करते हैं, तो हम हिंदुत्व छोड़ देते हैं, यह सही नहीं है।
मालूम हो कि महाराष्ट्र की सत्ता हाथ से जाने के बाद उद्धव ठाकरे अपनी सियासी जमीन को मजबूत करने के लिए हर दांव-पेंच आजमा रहे हैं। इस बीच बतौर शिवसेना अध्यक्ष उनका कार्यकाल 23 जनवरी तक ही है। ऐसे में ये सवाल उठ रहा है कि क्या उद्धव ठाकरे शिवसेना के अध्यक्ष बने रहेंगे।