भारत के आतंकवाद विरोधी कानून में प्रस्तावित संशोधनों के लागू होने के बाद सबसे पहला शिकंजा हाफिज सईद और मसूद अजहर पर कसने की तैयारी है। इस कानून के तहत इन्हें सबसे पहले आतंकवादी घोषित किया जाएगा। बता दें कि गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) संशोधन (UAPA) विधेयक, 2019 लोकसभा में पारित हो गया है और अब इसे राज्यसभा में पास होना बाकी है। बिल को लेकर सदन में काफी हंगामा हुआ था और इसके विरोध में कांग्रेस, डीएमके और तृणमूल कांग्रेस ने बिल के विरोध में लोकसभा से वॉकआउट किया था।
इस कानून में संशोधन से अब राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के महानिदेशक को आतंक को बढ़ावा देने वाली संपत्तियों को जब्त करने का अधिकार मिल गया है। इससे पहले एनआईए को संबंधित राज्य के पुलिस प्रमुख से किसी आतंकी से जुड़ी संपत्ति जब्त करने के लिए अनुमति लेनी पड़ती थी। ऐसे में आतंकियों से संबंधित अलग-अलग राज्यों में मौजूद ऐसी संपत्तियों की जब्ती में देरी होती थी।
अब इंस्पेक्टर को भी जांच का हक
यूएपीए की धारा 43 के तहत अभी तक डीएसपी रैंक और उससे ऊपर के अफसरों को ही ऐसे मामलों में जांच का अधिकार था। लेकिन संशोधन के बाद अब इंस्पेक्टर रैंक के अफसर भी जांच कर सकेंगे।
माना जा रहा है कि वक्त के साथ ही इंस्पेक्टर रैंक के अफसरों को यूएपीए से संबंधित मामलों की जांच में कुशलता आ जाएगी तो ऐसे मामलों में इंसाफ जल्द मिल सकेगा। उल्लेखनीय है कि गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि इस विधेयक से किसी संगठन को आतंकी संगठन घोषित किया जा सकेगा और साथ ही उसे चलाने वाले आका को भी आतंकी घोषित हो सकेंगे।
हाफिज सईद और मजूद अजहर को ग्लोबल आतंकी घोषित किए जाने के बाद भी पाकिस्तान में सरंक्षण मिला हुआ है। गृह मंत्रालय के अधिकारी के अनुसार किसी व्यक्ति को आतंकवादी तभी घोषित किया जा सकेगा जब गृह मंत्रालय ऐसा करने की सहमति देगा। इस प्रकार घोषित हुआ आतंकी केंद्रीय गृह सचिव के समक्ष अपील कर सकेगा जो इस पर 45 दिनों के भीतर फैसला करेंगे।