नई दिल्ली: चीन ने मुद्रा संकट से गुजर रहे तुर्की को शुक्रवार को नैतिक सपोर्ट करने की पेशकश की है,और भरोसा दिलाया कि तुर्की अपनी ‘अस्थायी’ आर्थिक परेशानियों को दूर करने में प्रतिबंध है।
नाटो के सदस्य देशों तुर्की और अमरीका के बीच रिश्ते बिगडऩे की वजह से इस वर्ष तुर्की की मुद्रा लीरा, डॉलर के मुकाबले 70 फीसदी तक कमजोर हो चुकी है,जिससे देश आर्थिक परेशानियों से जूझ सकता था, लेकिन मिल जुलकर कार्य करने से किसी को अब परेशानी नही होगी, चीन और तुर्की के इन रिश्तों को देखकर अमेरिका प्रमुख डोनाल्ड ट्रंप हैरान हो गए हैं।चीन के विदेश मंत्रालय ने जारी कर एक बयान में कहा कि उसने तुर्की की आर्थिक स्थिति और उसके विदेश संबंधों की नई दिशा पर ध्यान किया है।

- तुर्की और चीन मुखिया समझौते के बाद
मंत्रालय ने कहा, तुर्की एक महत्वपूर्ण उभरता हुआ बाजार देश है और यह स्थिर एवं विकासशील है जिससे एरिया अमन और स्थिरता को लाभ हुआ है,मंत्रालय ने कहा कि चीन भरोसा रखता है कि है कि तुर्की अस्थायी आर्थिक कठिनाइयों से उभर कर आएगा। उसे तवक़्को है कि तुर्की और अमेरिका आपसी संवाद के माध्यम से अपने मतभेदों को कम कर सकते हैं।
मंत्रालय ने मीडिया रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि सरकार के माध्यम से चल रहे चीन के औद्योगिक एवं वाणिज्यिक बैंक लिमिटेड ने तुर्की के साथ 3.8 अरब डॉलर का वित्तीय निवेश पर फैसला किया है।विदेश मंत्रालय ने कहा कि चीन दो देशों के बीच व्यापार और वित्तीय सहयोग तथा बाजार नियमों के अनुरूप समझौतों का हमेशा समर्थन करता रहा है।
चीन और तुर्की के संबंध सुधरने पर अमेरिका को डर लगने लगा है कि अमेरिका की तरफ़ से तुर्की को आये दिन मिलने वाली धमकियां पर असर पड़ेगा,यानी अब अमेरिका तुर्की को धमकी नही देगा,इसी का डर देखकर अमेरिका के हाथ पांव फूल गए हैं, अमेरिका की दादागिरी पर काफ़ी असर पड़ गया है,और वैसे भी तुर्की की आर्थिक स्थिति ठीक नही थी,अब दोनों देश की तरफ़ से किए गए समझौते से तुर्की आर्थिक स्थिति में लाभ मिलेगा.