लखनऊ 8 दिसंबर: कैफ़ी आज़मी अकादमी, लखनऊ में नागरिकता संशोधन विधेयक, 2019 (CAB) और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) पर एक परामर्श बैठक आयोजित की गई। इस बैठक में नागरिकता संशोधन विधेयक और NRC से संबंधित व्यापक मुद्दों पर विस्तार से चर्चा की गई। कार्यक्रम में बोलते हुए प्रो. अली खान महमूदाबाद ने कहा कि CAB न केवल अवैध है बल्कि यह अनैतिक है। सीएबी संविधान की हत्या और ‘भारत के विचार’ की हत्या है। यह हिंदुओं के लिए भी चिंता का कारण होना चाहिए! उन देशों की स्थिति को देखना होगा जो धर्म के आधार पर बनाए गए थे। आज भाजपा मुसलमानों को बदनाम कर रही है कल वे हिंदुओं को बताएंगे कि वे सही तरह के हिंदू नहीं हैं।
प्रो.रूप रेखा वर्मा ने कहा कि इस बिल के माध्यम से हर किसी पर हमला हो रहा है। हम इस बिल के खिलाफ आखिर तक लड़ेंगे। उन्होंने नागरिकता संशोधन विधेयक का विरोध किया। यह केवल मुसलमानों के बारे में नहीं है बल्कि हमारे संवैधानिक मूल्य खतरे में हैं।
श्री अमीक जामई ने कहा कि सीएबी संविधान विरोधी है। उन्होंने यह भी कहा कि लोगों को वर्तमान सरकार के संवैधानिक विरोधी कदमों का खुलकर विरोध करना चाहिए। श्री जामई ने कहा कि सीएबी और एनआरसी के बारे में जागरूकता पैदा करना जरूरी है। लोगों को पता होना चाहिए कि ये दोनों प्रावधान भारत की छवि को धूमिल करेंगे।
श्री अब्दुल हफीज गांधी ने बैठक में बोलते हुए कहा कि भारत में धर्म कभी भी नागरिकता का आधार नहीं रहा है। सरकार का प्रयास नागरिकता को धर्म-केंद्रित बनाने का है। धर्मनिरपेक्षता संविधान की मूल संरचना है। इस देश की धर्मनिरपेक्ष परंपराओं के उल्लंघन में कोई कानून बनाकर इस संरचना का उल्लंघन नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि सीएबी और एनआरसी एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। दोनों का हमारे देश की आत्मा को बचाने के लिए विरोध किया जाना चाहिए।
श्री ओवैस सुल्तान खान ने बोलते हुए कहा कि NRC पूरी तरह से एक निरर्थक प्रयास है जैसा कि असम के मामले में साबित हुआ। जब यह सत्तारूढ़ पार्टी के अनुरूप नहीं था, तो उसने घोषणा की कि वे एनआरसी को स्वीकार नहीं करेंगे। पूरे अभ्यास पर बहुत पैसा खर्च किया गया। लेकिन परिणाम शून्य है। उन्होंने आगे कहा कि CAB को अधिनियमित करने का प्रयास भेदभाव को संस्थागत बनाने और नागरिकता से प्राप्त किसी भी अधिकार से सबसे बढे अल्पसंख्यक को निष्क्रिय और रहित बनाने के लिए है। उन्होंने कहा कि सीएबी का विचार संविधान के मूल सिद्धांतों के खिलाफ है। सबके लिए यह देश है। यहां हर सताया हुए का स्वागत है।
मानवाधिकार कार्यकर्ता श्री खालिद चौधरी ने कहा कि वह सीएबी का विरोध करते हैं। यह संविधान की धर्मनिरपेक्षता की भावना के खिलाफ है। सीएबी और एनआरसी न केवल अल्पसंख्यकों को प्रभावित करेगा, बल्कि यह देश भर के दलितों, आदिवासियों, वन, झुग्गी-झोपड़ी, प्रवासी और महिलाओं जैसे सभी हाशिए के समुदायों को भी प्रभावित करेगा।