लोकसभा में तीन तलाक बिल पर गुरुवार दिनभर हुई जोरदार चर्चा और वोटिंग के बाद शाम को यह पास हो गया। हालाांकि, इसका विरोध करते हुए कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और जनता दल यूनाइटेड के सांसदों ने लोकसभा से वाकआउट किया।
केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि मामूली बातों पर महिलाओं को तलाक दिया जाता है। इसे सियासी चश्मे से नहीं देखने की जरूरत है। केंद्र सरकार ने लोकसभा में आज तीन तलाक विधेयक पर चर्चा के बाद उसे पारित किए जाने के लिए सूचीबद्ध किया।
लोकसभा में विपक्ष की ज्यादातर पार्टियों ने बिल का विरोध जताया। वहीं भाजपा की सहयोगी जदयू ने भी बिल की मुखालफत की। कांग्रेस, टीएमसी, टीआरएस, वायएसआर कांग्रेस और जदयू ने वोटिंग से पहले सदन से बिल के विरोध में वॉकआउट किया। इसके बाद वोटिंग कराई गई। बिल के पक्ष में 303 वोट, जबकि विरोध में 82 मत डाले गए। एनडीए के अलावा बीजेडी ने भी बिल के पक्ष में वोट किया। बिल पर संशोधन पर हैदराबाद सांसद असदुद्दीन ओवैसी की ओर से लाए गए दो संशोधनों को सदन ने ध्वनिमत से खारिज कर दिया। एन के प्रेमचंद्रन के संशोधन प्रस्ताव को भी खारिज कर दिया गया।
इस बिल के मुख्य प्रावधानों में तीन तलाक यानी तलाक-ए-बिद्दत को खत्म करना, तीन तलाक को संज्ञेय अपराध मानना, पति को तीन साल तक की सजा का प्रावधान है। मोदी सरकार अपने पहले कार्यकाल में भी इस बिल को लाई थी लेकिन राज्यसभा में बिल के अटकने के बाद उसे इस पर अध्यादेश लाना पड़ा था।
बिल के विरोध में बोलते हुए एआईएमआईएम सांसद असादुद्दीन ओवैसी ने कहा कि यह बिल आईन के बुनियादी हुकूकों की खिलाफत करता है। मैं जब तक जिंदा रहूंगा, इस बिल की खिलाफत करुंगा। टीडीपी के जयदेव गल्ला ने कहा,पत्नी को छोड़ने पर क्या क्रिश्चियन या हिंदू पति को जेल जाना पड़ेगा?
मुस्लिम पुरुष को पत्नी को छोड़ देने पर जेल भेजने का प्रावधान क्यों है? आरएसपी के एन के प्रेमचंद्रन ने कहा, सरकार इस मुद्दे पर कानून क्यों ला रही है जबकि सुप्रीम कोर्ट ने ऐसा करने का निर्देश नहीं दिया है? मॉब लिंचिंग पर कानून क्यों नहीं बनाया जा रहा जिसके बारे में सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया है?