हाल ही में रणजी ट्रॉफी क्वार्टर फाइनल में एक ऐसे खिलाड़ी का नाम सुर्ख़ियों में आया है। जिसने कर्नाटक के खिलाफ राजस्थान की तरफ से बोलिंग अटैक का नेतृत्व किया है।
इस खिलाड़ी का नाम है तनवीर उल हक। जिन्होंने राजस्थान रणजी टीम में बाएं हाथ के तेज गेंदबाज के तौर पर काफी सुर्खियां बटोरी है। आपको बता दें कि तनवीर उल हक रंजी ट्रॉफी टूर्नामेंट में अभी तक 47 विकेट अपने नाम कर चुके हैं। बोलिंग अटैक में वह आज टीम के सबसे तेज दरार गेंदबाज माने जा रहे हैं। आपको बता दें कि क्रिकेट जगत में आने के लिए तनवीर उल हक को काफी संघर्ष करना पड़ा है। साल 2015 में रणजी में पर्दार्पण के बाद भी उन्हें खेलने का लंबा स्पेल नहीं मिला।
तनवीर को खुद को साबित करने के लिए एक लंबा समय मिला। तनवीर कहते हैं, ‘सब कुछ ठीक चल रहा है क्योंकि मुझे इतने सारे गेम्स खेलने का मौका मिला। मुझे एक या दो मैचों में खिलाया जाता था और बैंच पर बिठा दिया जाता।’

हाल ही में तनवीर उल हक़ ने बताया है कि वह जिंदगी में कई ठोकरे खाकर यहाँ तक पहुंच पाए हैं। वह बहुत ही गरीब परिवार से ताल्लुक रखते हैं। तनवीर उल हक बताते हैं कि उनके घर में गरीबी का आलम कुछ ऐसा था कि पहला प्रैक्टिस मैच खेलने के लिए जब उन्हें मौका मिला तो उनके पास सफेद ड्रेस खरीदने तक के पैसे नहीं थे। लेकिन उनमें कभी भी प्रतिभा और जज्बे की कमी नहीं थी।
इसलिए उन्होंने क्रिकेट ग्राउंड पर पिता का पजामा पहन कर जाने का फैसला लिया उनकी इस हरकत पर साथी खिलाड़ी काफी हंसे। लेकिन उनका जानदार खेल देखकर उन सभी खिलाड़ियों का मुंह बंद हो गया और वह सिलेक्ट हो गए।

उसके बाद उनके क्रिकेट का सफर लगातार आगे बढ़ता रहा। तनवीर बताते हैं कि उनके जीवन में बहुत ही संघर्ष रहा है रोज के 10 रूपये कमाने के लिए गेराज में काम किया करते थे और घर घर जाकर अखबार बेचा करते थे। कई बार उन्होंने कपड़ों की रेड़ियाँ लगाई हैं और किराए के पैसे भी नहीं होते थे तो वह बस की छत पर बैठकर मैच खेलने के लिए जाते थे।