नई दिल्ली : हजारों किसानों के बढ़ते प्रतिरोध के बाद, हरियाणा प्रशासन ने आज टोहाना कांड के विरोध में प्रदर्शन कर रहे किसानों की सभी मांगों को मान लिया है और तीसरे गिरफ्तार साथी मक्खन सिंह को प्रशासन द्वारा रिहा कर दिया गया है।
फतेहाबाद के टोहाना (हरियाणा) थाने में चोर दरवाजे से गिरफ्तार किए गए निर्दोष किसानों की रिहाई और उनके खिलाफ FIR वापस लेने की मांग को लेकर हजारों किसानों के धरने का आज तीसरा दिन था।
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संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओ के साथ बड़ी संख्या में किसान 6 और 7 जून की रात भी टोहाना थाने के बाहर आंदोलन करते रहे, किसान नेताओ द्वारा टोहाना के साथ-साथ हरियाणा प्रदेश में सभी पुलिस थानों के घेराव की घोषणा के बाद प्रशासन ने आधी रात को संयुक्त किसान मोर्चा के दो युवा नेता, विकास सीसर और रवि आज़ाद को रिहा कर दिया।
दोनों रिहा हुए साथी आज सुबह टोहाना थाने के बहार चल रहे प्रदर्शन में शामिल हुए। दोनों साथियों की रिहाई के बाद संयुक्त किसान मोर्चा ने यह निर्णय लिया कि हरियाणा के अन्य पुलिस थानों पर घोषित विरोध प्रदर्शन को रद्द किया जाएगा, लेकिन टोहाना थाने के बाहर चल रहा प्रदर्शन जारी रहेगा।
संयुक्त किसान मोर्चा ने सभी स्थानों, विशेषकर सिरसा, फतेहाबाद, जींद और हिसार जिलों के किसान से टोहाना थाने के बाहर चल रहे प्रदर्शन में हिस्सा लेने का आह्वान किया। संयुक्त किसान मोर्चा के इस आह्वान पर हजारों प्रदर्शनकारी टोहाना पहुंचे।
कोई देखभाल करने के लिए मौजुद न होने के कारण कई किसान अपने साथ अपने पशुओ को भी आंदोलन स्थल पर लेकर आए। किसान साथियों ने टोहाना थाने के बाहर मंच तैयार कर लिया है और लंगर की व्यवस्था भी शुरू कर दी है।
प्रशासन और पुलिस के साथ बातचीत के बाद यह तय हुआ है की इस केस (FIR 103) को सरकार की तरफ से वापस ले लिया जाएगा।
संयुक्त किसान मोर्चा 4 जून को सिंघु बॉर्डर की अपनी बैठक में सत्तारूढ़ दलों के नेताओं और जनप्रतिनिधियों के खिलाफ चल रहे विरोध कार्यक्रमों के बारे में निम्नलिखित मर्यादा सूत्र तय कर घोषित कर चुका है:
- a) विरोध के यह कार्यक्रम केवल सरकारी या राजनैतिक आयोजन तक सीमित रहेंगे। किसी भी प्राइवेट आयोजन (जैसे शादी, तेहरवी, पारिवारिक फंक्शन इत्यादि) में इन नेताओं और जनप्रतिनिधियों का विरोध नहीं किया जाएगा।
- b) यह विरोध प्रदर्शन शांति पूर्वक तरीके से काले झंडे दिखाने, नारे लगाने आदि तक सीमित रहेगा। विरोध प्रदर्शन में हिंसा या तोड़ फोड़ के लिए कोई जगह नहीं है।
कल गुरनाम सिंह चढूनी के नेतृत्व में हजारों वाहन सिंघू बॉर्डर पर चल रहे आंदोलन में पहुंचे, इसमें मुख्य रूप से अंबाला/शंभू सीमा से आए किसान साथी मौजूद हैं, साथ ही अन्य आंदोलन स्थलों पर भी बड़ी संख्या में किसान पहुंच रहे हैं।
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आज बड़ी संख्या में उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और राजस्थान के किसान भी गाजीपुर बॉर्डर और शाहजहांपुर बॉर्डर के आंदोलन में शामिल हुए है। उम्मीद है कि आने वाले दिनों में और भी अधिक संख्या में किसान विरोध स्थलों पर पहुंचेंगे।
संयुक्त किसान मोर्चा की जनरल बॉडी ने अपनी सभा में सिख योद्धा और खालसा सेना के कमांडर “शहीद बंदा सिंह बहादुर” की शहादत को आंदोलन स्थलों पर मनाने का फैसला किया है, शहीद बंदा सिंह बहादुर ने मुगल साम्राज्य के खिलाफ बहादुरी से लड़ाई लड़ी थी।
पंजाब में खालसा शासन स्थापित करने के बाद बंदा सिंह बहादुर ने जमींदारी व्यवस्था को समाप्त कर दिया और किसानों को उनकी पर भूमि अधिकार दिया था ।
9 जून 1716 को बंदा सिंह यातनाएं सहते हुए शहीद हुए थे, उनकी शहादत से प्रेरणा लेते हुए किसान अपने आंदोलन को और ताकतवर करेंगे और साथ ही प्रदर्शनकारी किसानों ने तय किया है कि वह इस दिन शहीद बंदा सिंह बहादुर को श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे।