सोमवार, जून 16, 2025
  • इंग्लिश
  • उर्दू
  • हमारे बारे में
  • हमसे संपर्क करें
  • करियर
  • विज्ञापन
  • गोपनीयता नीति
इंग्लिश
उर्दू
विज़न मुस्लिम टुडे
  • मुख्य पृष्ठ
  • भारतीय
  • विदेश
  • संपादकीय
  • साक्षात्कार
  • खेल
  • अर्थव्यवस्था
  • फैक्ट चेक
  • शिक्षा
  • सिनेमा
No Result
View All Result
  • मुख्य पृष्ठ
  • भारतीय
  • विदेश
  • संपादकीय
  • साक्षात्कार
  • खेल
  • अर्थव्यवस्था
  • फैक्ट चेक
  • शिक्षा
  • सिनेमा
No Result
View All Result
विज़न मुस्लिम टुडे
No Result
View All Result
Home देश

सामाजिक राजनीतिक चेतना के दो मूलभूत ध्रुव दक्षिणपंथी और वामपंथी

मुस्लिम टुडे by मुस्लिम टुडे
जुलाई 10, 2021
in देश, भारतीय, राजनीति
0 0
0
सामाजिक राजनीतिक चेतना के दो मूलभूत ध्रुव दक्षिणपंथी और वामपंथी

Left wing and the right vote badges as a united states election or American voting concept as a symbol with conservative and liberal political campaign or US politics for government legislators and representatives as a 3D render.

0
SHARES
33
VIEWS
Share on FacebookShare on Twitter

आप दक्षिणपंथ और वामपंथ अक्सर सुनते- पढ़ते हैं। ये हैं क्या? इनका उद्भव कैसे हुआ? इनका स्वरूप क्या है? इस बारे में अधिकांश लोग कुछ नहीं जानते। तो आज का विषय यही है।

यूरोप मध्य काल से आधुनिक काल में बदल रहा था यूरोप में सामंतवाद का पतन हुआ एवं कई वैज्ञानिक अविष्कार हुए। लगभग 1680 से 1780 तक यूरोप में ‘नवोदय युग’ छाया रहा, जिसे ‘एज ऑफ़ एनलाइटनमेंट’ कहा जाता है।

ADVERTISEMENT

यह एक बुद्धिजीवी आंदोलन था, जिसमें बहुत से विचारक और लेखक दुनिया को एक नई राह दे रहे थे। इन्होंने तर्क के आधार पर सामाजिक ऊँच-नीच को बड़ी टक्कर दी। कहा कि जन्म से किसी को विशेष अधिकार नहीं मिल सकते।जैसा कि हम जानते है ये ऊँच नीच वर्ण व्यवस्था या जातीय आधार पर नही थी। इनके विचार राजशाही के खिलाफ थे। लोगों के शासन, यानि लोकतंत्र का विचार ज़ोर पकड़ने लगा। इनके विचार से आदमी आज़ाद पैदा होता है, और जहाँ देखो, वह ज़ंजीरों में है। इनके विचार अमेरिकी क्रांति और फ्रेंच क्रांति के प्रेरणास्रोत थे।

1760 के दशक के दौरान यूरोप में 7 वर्ष तक युद्ध चला। दक्षिणपंथी और वामपंथी विचारधारा का जन्म फ्रांस में हुआ। इसके जन्म की एक दिलचस्प कहानी है चलिये समझते है ऐसा क्या हुआ फ्रांस में जिससे इन विचारों को उदय हुआ।

ये भी पढ़ें :  मोदी मंत्रिमंडल विस्तार : ज्योतिरादित्य सिंधिया, सर्बानंद सोनोवाल, मीनाक्षी लेखी सहित 43 नेता बनेंगे मंत्री

लुई सोलहवाँ फ्रांस में पुरातन व्यवस्था का अंतिम शासक था। जब 1774 में लुई सोलहवां फ्रांस का राजा बना, खजाना लगभग खाली हो चुका था। फिर भी लुई सोहलवां ने नेकदिली दिखाते हुए अमेरिकी क्रांतिकारियों की ब्रिटेन से लड़ने में मदद की।

इस वजह से राजकोष पर कर्ज़ चढ़ने लगा। जनता के पास खाने की दिक्कत होने लगी। लुई सोलहवां की पत्नी मेरी एन्टोयनेट अय्याश किस्म की औरत थी। मेरी ऑस्ट्रिया की राजकुमारी थी। लुई के राज्याभिषेक के समय वह केवल 19 वर्ष की थी।

चूँकि यूरोप की राजनीति में आस्ट्रिया फ्रांस का शत्रु था, अतः फ्रांसीसी लोगों को शुरू से ही यह वैवाहिक संबंध पसंद न आया और वे रानी को हमेशा घृणा की दृष्टि से देखते रहे। मेरी के कभी दूसरे पुरुषों के साथ उसके संबंध के चर्चे उड़ते, जिसकी वजह से जनता राजा-रानी के लिए वह पवित्रता वाला सम्मान खोने लगी। लुई सोहलवां भी अपने वर्साय के आलीशान महल में फ़िज़ूलखर्ची करता ही था।

1784-85 में एक बहुत महँगे हीरों के हार की जालसाज़ी का मामला सामने आया। जब व्यक्ति खुद गरीबी में व्यथित हो, तब उसे दूसरों की फ़िज़ूलख़र्ची और अय्याशी अधिक अखरती है। लोग सड़कों पर उतरने लगे।

लुई सोलहवां के एक आर्थिक सलाहकार ने जनता को शांत करने के लिए कुछ आर्थिक सुधार लाने की पेशकश रखी। लुई सोलहवां को मशवरा पसंद आया, लेकिन नवाब और पादरी वर्ग को अपने विशेषाधिकारों पर रत्तीभर भी बदलाव सहन नहीं था। लुई सोलहवां को याद आई एस्टेट्स-जनरल की। यह एक पुरानी शक्तिविहीन संस्था थी, जिसे राजा के फैसलों पर मुहर लगाने के लिए इस्तेमाल किया जाता था। इसकी आखिरी मीटिंग 175 साल पहले 1614 में बुलाई गई थी।

लुई सोलहवां को अपने आर्थिक सुधारों के लिए एक ठप्पे की जरुरत थी। इसलिए उसने 1789 में इस पुरानी संस्था की मीटिंग बुलाई। इसमें तीनों वर्ग के प्रतिनिधि थे – पादरी (क्लर्जी), नवाब (नोबिलिटी), और आम जनता (कॉमनर्स)। पहले दोनों वर्ग इस ऊँच-नीच वाली सामाजिक व्यवस्था में खूब मलाई चाटते थे। वे आम लोगों से धार्मिक टैक्स और ज़मीन टैक्स वसूलते थे। देशभर में गरीबी के बावजूद बढ़िया जीवन व्यतीत कर रहे थे।

लुई 16 यह नहीं देख पाया कि उसका यह चतुराई वाला कदम उसके लिए एक बेवकूफी साबित होगा।उसने मीटिंग तो बुलाई थी अपने फैसले पर एक रबड़ स्टैम्प के लिए, लेकिन इससे क्रांतिकारियों को एक औपचारिक तौर पर संगठित होने का एक प्लेटफॉर्म मिल गया था। मीटिंग में तय हुआ कि तीनों वर्ग पादरी (क्लर्जी), नवाब (नोबिलिटी), और आम जनता (कॉमनर्स) को एक एक वोट मिले। थर्ड एस्टेट, यानि जनता वर्ग के प्रतिनिधियों ने पहले इस पर बवाल कर दिया कि तीनों वर्गों को सिर्फ एक-एक वोट मिलना गलत है।

इस तरह से तो पादरी और नवाब वर्गों के 2 वोट हमेशा जनता वर्ग के 1 वोट पर भारी पड़ेंगे। हरेक प्रतिनिधि का अपना अलग वोट होना चाहिए। इन सब माँगों का दबाव बनाने के लिए जनता वर्ग वाले थर्ड एस्टेट ने अपनी अलग से मीटिंग करनी भी शुरू कर दी।

लुई सोहलवां को यह रास नहीं आया था। उसने मीटिंग हॉल पर ताला लगवा दिया। ऐसे में थर्ड एस्टेट के ये लोग एक टेनिस कोर्ट में मिले। वहाँ पर शपथ ली, कि जब तक देश में एक संविधान लागू नहीं होता, तब तक वे मिलते रहेंगे। पादरी और नवाब वर्ग के कुछ उदारवादी लोग भी उनके साथ थे।

एक हैरतअंगेज़ मोड़ देते हुए उन्होंने खुद को नेशनल असेंब्ली घोषित कर दिया। इन्हें जनता का समर्थन था, और जनता गुस्से में थी। एक खुले विद्रोह की आशंका को रोकते हुए लुई सोलहवाँ ने इस नेशनल असेंब्ली को मान्यता देना बेहतर समझा। एस्टेट्स-जनरल की मीटिंग में और अब नेशनल असेंब्ली में खुद-ब-खुद एक बैठने की व्यवस्था कायम हो गई। थर्ड एस्टेट वाले ये क्रांतिकारी लोग बाईं तरफ बैठते थे।

  • पुरानी सामजिक ऊँच-नीच वाली व्यवस्था का समर्थन करने वाले दाईं तरफ बैठते थे। वामपंथी और दक्षिणपंथी का टैग कुछ सालों बाद प्रयोग में आया था। खैर, वामपंथी ‘नवोदय युग’ के विचारों से प्रेरित थे। उनका नारा था ‘लिबर्टी, इक्वलिटी, फ्रैटर्निटी’, यानि ‘आज़ादी, बराबरी, भाईचारा’।

इनकी माँग थी लोकतंत्र, यानि लोगों का शासन स्थापित हो, बजाए कि पीढ़ी-दर-पीढ़ी की इस राजशाही के। ये नवाबों को जन्म से मिले विशेषाधिकार के खिलाफ थे। ये लोग सेक्युलर थे, यानि इनका कहना था कि धर्म एक व्यक्तिगत विषय है। शासन के मामले में चर्च का हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए। इन वामपंथियों को 98% आम जनता का समर्थन प्राप्त था।

ये भी पढ़ें : जैक लंदन की लिखी एक कहानी

दक्षिणपंथी ये वो लोग थे जो किसी किताब अथवा विचार से प्रेरित नहीं थे। उनका एकमात्र विचार था कि हम लोगों को इस सामाजिक ऊँच-नीच में जो मलाई चाटने का मज़ा मिला हुआ है, उसको भला हम क्यों छोड़ें।इन्हें 2% जनसंख्या, यानि नवाबों और पादरियों का समर्थन प्राप्त था। फ्रांस में संविधान लागू हुआ, और 22 सितम्बर 1792 को फ्रांस एक गणतंत्र बन गया।

1793 में लुई और मैरी पर कई आरोप लगे और मुक़दमे चले, जिनकी सजा में उन दोनों की गर्दन आरे से कटवा दी गई। इसके बाद बहुत सारी राजनैतिक उथल-पुथल हुई। नैपोलियन ने फ्रांस पर कब्ज़ा किया, कुछ अन्य शासक आए, लड़ाई चलती रही।

1875 में जाकर फ्रांस में एक स्थायी गणतंत्र की स्थापना हो सकी। वामपंथी नवोदय युग के उन विचारकों में से थे, जो औरतों को बराबरी दिलाने की बात कर रहे थे।

वामपंथी और दक्षिणपंथी विचारधारा का जन्म आपने देख लिया। यह फ्रांस में लुई सोलहवाँ से शुरू हुई। वही वामपंथी शब्द क्रांतिकारी का पर्यायवाची बन गया।

जो भी व्यक्ति किसी की आज़ादी और बराबरी के लिए संघर्ष करता, वह खुद को वामपंथी कहने लगता।… सामाजिक बराबरी की बात करने वाले… सामंतवाद और दास प्रथा के खिलाफ बोलने वाले…गरीबों के भले की बात करने वाले… साम्राज्यवाद के खिलाफ लड़ने वाले… नस्लवाद के खिलाफ विरोध करने वाले… हर किसी के लिए वोट के अधिकार की माँग करने वाले…मज़बूत लोकतंत्र की माँग करने वाले…जातिवाद के खिलाफ बोलने वाले…आदिवासियों के अधिकारों की बात करने वाले…औरतों के लिए बराबर अधिकारों की माँग करने वाले…पर्यावरण संरक्षण की माँग करने वाले…युद्ध का विरोध करने वाले…कहीं कोई रोज़ा लक्सेम्बर्ग, कहीं कोई चे ग्वेरा, तो कहीं कोई भगत सिंह।

दुनियाभर में ‘लेफ्टिस्ट’ शब्द बहुत आम होने लगा। लेकिन ‘राइटिस्ट’ शब्द कभी सुनने में नहीं आया। इसलिए जो कुछ भी वामपंथ होता, उसका विपरीत दक्षिणपंथ हो जाता।

भारत की बात करें तो अंग्रेजी शासन में राजा राममोहन रॉय फ्रेंच क्रांति से बहुत प्रभावित थे। उन्होंने 1815 में आत्मीय सभा और 1828 में ब्रह्म समाज की स्थापना की। उस समय भारत में सतीप्रथा नाम की कुरीति थी। पति की मृत्यु पर पत्नी को ज़िंदा जला दिया जाता था उन्होंने इसके खिलाफ आवाज़ उठाई। आप यहां राजा राम मोहन राय को वामपंथी कह सकते है। विलियम बेंटिक ने इस प्रथा को ग़ैरकानूनी करार दिया। ऐसा करने पर परंपरा वालों की तरफ से विरोध हुआ। परंपरा वालो को आप यहाँ दक्षिपंथी कह सकते है।

1829 में राजा राममोहन रॉय मुग़ल सल्तनत के दूत के रूप में इंग्लैंड गए। वहाँ जाकर यह सुनिश्चित करवाया कि सतीप्रथा को ग़ैरकानूनी करार देने वाले कानून दोबारा से पलटा ना जाए। ज्योतिराव फूले ने जातिवाद के खिलाफ मोर्चा खोला।दलितों की शिक्षा के लिए उपाय किए। उन्होंने अपनी पत्नी सावित्रीबाई फूले को भी पढ़ाया। यहाँ ज्योति राव फूले और सावित्रीबाई को वामपंथी कह सकते है। ज्योतिराव के पिता ने उन दोनों को घर से निकाल दिया। तब उसमान शेख और उनकी बहन फातिमा शेख ने अपने घर के दरवाज़े उनके लिए खोल दिए।

1848 में सावित्री और फातिमा ने लड़कियों के लिए एक स्कूल खोला। ज़ाहिर है कि सामाजिक ऊँच-नीच चाहने वालों का विरोध बदस्तूर जारी था। सावित्री और फातिमा पर वे लोग अंडे, टमाटर और गोबर फेंकते। इसलिए वे एक अतिरिक्त साड़ी लेकर घर से निकलती थीं, ताकि स्कूल जाकर साड़ी बदल लें वही ईश्वरचंद्र विद्यासागर ने विधवाओं की दशा को सुधारने के लिए प्रयत्न किए। उन्होंने विधवा हिंदू औरतों के पुनर्विवाह के लिए लेजिस्लेटिव कौंसिल को याचिका दी। यहाँ विद्यासागर को आप वामपंथी कह सकते है। राधाकांत देब की धर्मसभा ने इसकी मुखालफत करते हुए उनसे 4 गुणा ज़्यादा हस्ताक्षर करवा लिए। इस विरोध के बावजूद डलहौज़ी ने विधवा पुनर्विवाह कानून, 1856 पास कर दिया। अगली सदी में पेरियार और अंबेडकर ने औरतों और दलितों के अधिकारों के लिए संघर्ष किया।

अमृत कुमार

Previous Post

उड्डयन मंत्री जी का भावुक होना चर्चित क्यों ?

Next Post

कला का इतिहास

Next Post
कला का इतिहास

कला का इतिहास

प्रातिक्रिया दे जवाब रद्द करें

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *

जौनपुर के त्रिकोणीय लड़ाई में कौन मारेगा बाजी? | आग़ा खुर्शीद खान। मुस्लिम टुडे

जौनपुर के त्रिकोणीय लड़ाई में कौन मारेगा बाजी? | आग़ा खुर्शीद खान। मुस्लिम टुडे

अप्रैल 24, 2024

पहले चरण का फीडबैक बीजेपी के लिए चिंता का सबब | आग़ा खुर्शीद खान। मुस्लिम टुडे

अप्रैल 23, 2024
इस चुनाव में उत्तर प्रदेश के मतदाताओं का साइलेंट होना, बड़े उलटफेर का संकेत दे रहा है

इस चुनाव में उत्तर प्रदेश के मतदाताओं का साइलेंट होना, बड़े उलटफेर का संकेत दे रहा है

अप्रैल 21, 2024

Our channel

https://www.youtube.com/watch?v=QnB3waJ7Awg
  • Trending
  • Comments
  • Latest
50 मुस्लिम स्वतंत्रता सेनानी, जिनके साथ इतिहास ने किया धोखा !

50 मुस्लिम स्वतंत्रता सेनानी, जिनके साथ इतिहास ने किया धोखा !

अगस्त 15, 2018
बिना कपड़े के लड़की से मालिश करवाते हुए दिखे स्वामी चिन्मयानंद, वीडियो वायरल

बिना कपड़े के लड़की से मालिश करवाते हुए दिखे स्वामी चिन्मयानंद, वीडियो वायरल

सितम्बर 11, 2019
सांसद संघमित्रा मौर्य ने पति डॉ. नवल किशोर शाक्य से ली तलाक

सांसद संघमित्रा मौर्य ने पति डॉ. नवल किशोर शाक्य से ली तलाक

मार्च 2, 2021
इमरान प्रतापगढ़ी के पहल पर झारखंड सरकार ने ड्राफ्ट किया मॉब लिंचिंग कानून 

इमरान प्रतापगढ़ी के पहल पर झारखंड सरकार ने ड्राफ्ट किया मॉब लिंचिंग कानून 

दिसम्बर 14, 2021
मोदी सरकार अपने चहेते उद्यगपतियों के लिए एक लाख करोड़ बैंकों में डाल रही है!

आज़ादी के बाद से अयोध्या का इतिहास झूठ से रचा गया है: रवीश कुमार

528
महिला को निर्वस्त्र कर घुमाने के मामले में 360 लोगों पर केस, 15 गिरफ्तार : बिहार

महिला को निर्वस्त्र कर घुमाने के मामले में 360 लोगों पर केस, 15 गिरफ्तार : बिहार

13
ईलाज कराकर लंदन से वापस लौटे अभिनेता इरफान खान

ईलाज कराकर लंदन से वापस लौटे अभिनेता इरफान खान

11
काले हिरण मामले में 5 साल की सजा के बाद सलमान खान को मिली विदेश जाने की इजाजत

काले हिरण मामले में 5 साल की सजा के बाद सलमान खान को मिली विदेश जाने की इजाजत

10
जौनपुर के त्रिकोणीय लड़ाई में कौन मारेगा बाजी? | आग़ा खुर्शीद खान। मुस्लिम टुडे

जौनपुर के त्रिकोणीय लड़ाई में कौन मारेगा बाजी? | आग़ा खुर्शीद खान। मुस्लिम टुडे

अप्रैल 24, 2024

पहले चरण का फीडबैक बीजेपी के लिए चिंता का सबब | आग़ा खुर्शीद खान। मुस्लिम टुडे

अप्रैल 23, 2024
इस चुनाव में उत्तर प्रदेश के मतदाताओं का साइलेंट होना, बड़े उलटफेर का संकेत दे रहा है

इस चुनाव में उत्तर प्रदेश के मतदाताओं का साइलेंट होना, बड़े उलटफेर का संकेत दे रहा है

अप्रैल 21, 2024
जामिया की नौशीन ने UPSC में नौवां स्थान प्राप्त किया | आग़ा खुर्शीद खान। मुस्लिम टुडे

जामिया की नौशीन ने UPSC में नौवां स्थान प्राप्त किया | आग़ा खुर्शीद खान। मुस्लिम टुडे

अप्रैल 17, 2024
Currently Playing

जौनपुर के त्रिकोणीय लड़ाई में कौन मारेगा बाजी? | आग़ा खुर्शीद खान। मुस्लिम टुडे

जौनपुर के त्रिकोणीय लड़ाई में कौन मारेगा बाजी? | आग़ा खुर्शीद खान। मुस्लिम टुडे

जौनपुर के त्रिकोणीय लड़ाई में कौन मारेगा बाजी? | आग़ा खुर्शीद खान। मुस्लिम टुडे

Uncategorized

पहले चरण का फीडबैक बीजेपी के लिए चिंता का सबब | आग़ा खुर्शीद खान। मुस्लिम टुडे

Uncategorized
इस चुनाव में उत्तर प्रदेश के मतदाताओं का साइलेंट होना, बड़े उलटफेर का संकेत दे रहा है

इस चुनाव में उत्तर प्रदेश के मतदाताओं का साइलेंट होना, बड़े उलटफेर का संकेत दे रहा है

Uncategorized
जामिया की नौशीन ने UPSC में नौवां स्थान प्राप्त किया | आग़ा खुर्शीद खान। मुस्लिम टुडे

जामिया की नौशीन ने UPSC में नौवां स्थान प्राप्त किया | आग़ा खुर्शीद खान। मुस्लिम टुडे

Uncategorized
क्या राजस्थान के सीकर लोकसभा सीट से कॉमरेड अमराराम की होगी जीत | आग़ा खुर्शीद खान। मुस्लिम टुडे

क्या राजस्थान के सीकर लोकसभा सीट से कॉमरेड अमराराम की होगी जीत | आग़ा खुर्शीद खान। मुस्लिम टुडे

Uncategorized

टैग्स

#aamAadmiParty (21) #AamAdmiParty (28) #AAP (39) #adeshGupta (15) #BjpDelhi (38) #BJP Government (127) #BOLLYWOOD (40) #Congress (123) #Covid19 (14) #delhi (203) #delhinews (17) #JamiaMilliaIslamia (19) #KEJRIVAL (16) #kisan andolan (18) #Maharashtra (42) #modi (62) #mumbai (21) #newstoday (33) #PM Modi (115) #PriyankaGandhivadra #CongressParty #RahulGandhi (25) #Rahul Gandhi (39) #yogi (13) AMERICA (14) Amit Shah (18) ARVIND KEJRIVAL (41) Bihar (46) BJP (165) coronavirus (156) Hindi News (447) India (418) Kejriwal (20) Politics (47) Ravish Kumar (15) RSS (26) Supreme Court (16) Uttar Pradesh (55) Yogi Adityanath (47) Yogi Govt (16) अखिलेश यादव (20) अमित शाह (13) उत्तर प्रदेश (95) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (15) बीजेपी (19) भाजपा (23) राहुल गांधी (17)

हमारे बारे में

विजन मुस्लिम आज वर्तमान में एक राजनीतिक पत्रिका और एम टी मीडिया वेंचर्स के एक पोर्टल, वैश्विक समाचार और हमारे अंग्रेजी, हिंदी और उर्दू प्रकाशनों में मौजूदा मामलों के साथ काम कर रहा है।

श्रेणियां

  • Uncategorized (125)
  • अन्य विषय (70)
  • अर्थव्यवस्था (53)
  • इतिहास (13)
  • खेल (531)
  • देश (4,002)
  • प्रौद्योगिकी (17)
  • फैक्ट चेक (2)
  • भारतीय (3,704)
  • भारतीय मुस्लिम (189)
  • मनोरंजन (247)
  • मुद्दे (182)
  • मुस्लिम दुनिया (142)
  • राजनीति (4,111)
  • विदेश (321)
  • वीडियो (4)
  • शिक्षा (44)
  • संपादकीय (84)
  • संस्कृति (9)
  • साक्षात्कार (12)
  • सिनेमा (67)
  • स्तंभ (174)
  • इंग्लिश
  • उर्दू
  • हमारे बारे में
  • हमसे संपर्क करें
  • करियर
  • विज्ञापन
  • गोपनीयता नीति
  • इंग्लिश
  • उर्दू
  • हमारे बारे में
  • हमसे संपर्क करें
  • करियर
  • विज्ञापन
  • गोपनीयता नीति

© 2021 Muslim Today

No Result
View All Result
  • मुख्य पृष्ठ
  • भारतीय
  • विदेश
  • संपादकीय
  • साक्षात्कार
  • खेल
  • अर्थव्यवस्था
  • फैक्ट चेक
  • शिक्षा
  • सिनेमा

© 2021 Muslim Today

Welcome Back!

Login to your account below

Forgotten Password?

Create New Account!

Fill the forms below to register

All fields are required. Log In

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In

Add New Playlist