सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर से योगी सरकार ने अपना नाता तोड़ लिया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राजभर को पद से बर्खास्त करने के लिए राज्यपाल राम नाईक से सिफारिश की है जिसे उन्होंने स्वीकार कर लिया है।
मुख्यमंत्री कार्यालय ने अपने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट पर लिखा, “योगी आदित्यनाथ ने महामहिम राज्यपाल से पिछड़ा वर्ग कल्याण और दिव्यांग जन कल्याण मंत्री ओमप्रकाश राजभर को मंत्रिमंडल से तत्काल प्रभाव से बर्खास्त करने की सिफारिश की है।”
इसके साथ ही ओमप्रकाश राजभर की पार्टी के अन्य सदस्य जो विभिन्न निगमों और परिषदों में अध्यक्ष व सदस्य हैं, उन सबको भी तत्काल प्रभाव से हटा दिया गया है।
ओमप्रकाश राजभर ने भी इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि वे मुख्यमंत्री के फैसले का स्वागत करते हैं। गरीबों के साथ अन्याय हो रहा है।
इसके अलावा उन्होंने कहा, “पिछड़ों को छात्रवृत्ति देने के लिए उनके पास पैसा नहीं है। अगर हक की लड़ाई लड़ना गुनाह है तो मैं गुनाहगार हूं। एक मंत्री अपने क्षेत्र में 100 मीटर की सड़क नहीं बनावा सकता तो भला ऐसी सरकार को क्या कहें। इसीलिए ऐसी सरकार में रहना ठीक नहीं है। हम सरकार के इस फैसले का स्वागत करते हैं। भाजपा को मेरी वजह से चुनाव में बहुत नुकसान हुआ है।”
राजभर ने कहा, “यह गरीबों की आवाज उठाने की सजा मिली है। अगर हक मांगना बगावत है तो समझो हम बागी हैं। सरकार के पास शराब बंदी के लिए फुरसत नहीं है।”
लोकसभा चुनाव खत्म होते ही अब भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और सुभासपा का नाता पूरी तरह से खत्म हो गया।
गौरतलब है कि ओमप्रकाश राजभर और भाजपा के बीच कई मुद्दों को लेकर मतभेद चल रहे थे। लोकसभा चुनाव से पहले राजभर ने उत्तर प्रदेश की सभी सीटों पर अकेले चुनाव लड़ने का भी ऐलान किया था। राजभर ने पहले भी इस्तीफे की पेशकश की थी लेकिन मुख्यमंत्री ने उनका इस्तीफा मंजूर नहीं किया था।