कोडरमा। आज 21 सदी के इस दौर में जहाँँ एक तरफ हमारा समाज तेजी से तरक्की कर रहा है तो दूसरी तरफ लोग अपनी संस्कृति और तरबियत को भुलाते चले जा रहे हैं। आज कल हम देखते हैं कि लोग अपने बूढ़े माँ-बाप को आश्रम में छोड़ आते हैं और आज वृद्धि आश्रम लगातार फुल होते चले जा रहे हैं।
हाल ही में झारखंड के कोडरमा में कोर्ट ने एक एतिहासिक फैसला सुनाया है। जिसमें कोडरमा के न्यायिक दंडाधिकारी प्रथम श्रेणी , ईला कांडपाल की अदालत ने एक एक वृद्ध मां के ईलाज खर्च के रूर में बेटे को हर महीने में 50 हजार रुपए देने का आदेश दिया है। इसके अलावा न्यायिक दंडाधिकारी ने वृद्धा को उनके घर में सुरक्षित वापस लाने और घर से वृद्धा को बेदखल कर वहां रह रहे पुत्र और पौत्र को पीड़िता के घर से निकालने का आदेश दिया है।
दरअसल आपको बता दें कि यह मामला कोडरमा शहर के व्यवसायी और समाजसेवी रहे स्व. प्रीतम सिंह कालरा के परिवार से जुड़ा हुआ है। जानकारी के मुताबिक प्रीतम सिंह कालरा की 78 साल की पत्नी राजरानी ने अपने बड़े पुत्र कुलबीर सिंह कालरा व पौत्र गौतम सिंह कालरा पर शारीरिक व मानसिक रूप से प्रताड़ित करने का आरोप लगाया और फिर न्यायालय की शरण ली थी।
न्यायालय में दायर याचिका में कहा था कि कुलबीर सिंह कालरा व गौतम सिंह कालरा उनसे अलग शहर में किराए के मकान में रहते थे। वृद्धा ने कोर्ट को बताया कि कुछ साल पहले मेरे पति की वृद्धावस्था के कारण कई बीमारियों से ग्रसित हो गये तो बड़े बेटे कुलबीर को पत्नी व बच्चों के साथ अपने आवास में रहने व स्वास्थ्य तथा व्यवसाय की देखभाल करने को कहा। इस पूरे मामले को सुनने के बाद कोर्ट ने इसे घरेलू हिंसा का मामला समझा। अंत में न्यायालय ने विपक्षियों को पीडि़ता का घर छोडने और पीडि़ता के चिकित्सीय खर्च के लिए प्रतिमाह के 11 तारीख तक 50 हजार रुपये देने का आदेश पारित किया।