शनिवार, मई 10, 2025
  • इंग्लिश
  • उर्दू
  • हमारे बारे में
  • हमसे संपर्क करें
  • करियर
  • विज्ञापन
  • गोपनीयता नीति
इंग्लिश
उर्दू
विज़न मुस्लिम टुडे
  • मुख्य पृष्ठ
  • भारतीय
  • विदेश
  • संपादकीय
  • साक्षात्कार
  • खेल
  • अर्थव्यवस्था
  • फैक्ट चेक
  • शिक्षा
  • सिनेमा
No Result
View All Result
  • मुख्य पृष्ठ
  • भारतीय
  • विदेश
  • संपादकीय
  • साक्षात्कार
  • खेल
  • अर्थव्यवस्था
  • फैक्ट चेक
  • शिक्षा
  • सिनेमा
No Result
View All Result
विज़न मुस्लिम टुडे
No Result
View All Result
Home देश

स्वतंत्रता आंदोलन की वैचारिक विरासत आसानी से विलुप्त नहीं हो सकती

Muslim Today by Muslim Today
मार्च 15, 2022
in देश
0 0
0
स्वतंत्रता आंदोलन की वैचारिक विरासत आसानी से विलुप्त नहीं हो सकती
0
SHARES
30
VIEWS
Share on FacebookShare on Twitter

वह अप्रैल, 2011 की एक खुशगवार शाम थी। अन्ना आंदोलन मीडिया में और जनमानस में छाया हुआ था। अनशन पर बैठे अन्ना, सामने उबाल खाता अपार जनसमूह और गांवों-शहरों में टीवी के सामने बैठे लोग।

एक बड़े न्यूज चैनल के पटना स्थित रिपोर्टर को आदेश मिला कि महिलाओं के एक कैंडिल मार्च की वीडियो ‘अरेंज’ कर भेजे।

वह रिपोर्टर अपने एक खास मित्र के घर पर गया। भाभी जी और मित्र की बहनों से बात हुई। आनन-फानन में अगल-बगल और जान-पहचान की अन्य महिलाओं को फोन गया कि एक कैंडिल मार्च के लिए तुरन्त तैयार होना है, वीडियो आज ही देर शाम में फलां चैनल पर दिखाया जाने वाला है।

उत्साहित महिलाएं तैयार होने में लग गईं। साड़ियों और सूट्स का चुनाव होने लगा, मेकअप किट्स खुल गए।

कॉलेज में पढ़ने वाला मित्र का भतीजा बाजार दौड़ गया और जल्दी ही दर्जनों रंग-बिरंगी मोमबत्तियां लेकर आ गया।

अपने कैमरामैन से बात कर, कैंडिल मार्च की लोकेशन आदि तय कर चाय पीते हुए रिपोर्टर महिलाओं के जुटने का इंतजार करने लगा। थोड़े-थोड़े अंतराल पर जल्दी तैयार होने का तकाजा करते वह अपनी घड़ी देखता और फिर मोबाइल पर किसी से बातें करने लगता।

ADVERTISEMENT

रिपोर्टर की जल्दीबाजी के तकाजे पर तुरन्त अगल-बगल वाली अन्य महिलाओं को फोन जाता कि जल्दी करना है, समय कम है।

पौन-एक घंटा में महिलाएं जुटने लगीं। उकताया रिपोर्टर देर होते जाने पर झुंझलाता, फिर कैमरामैन को सिचुएशन आदि समझाने लगता।

एक दीदी को मेकअप में कुछ अधिक ही समय लग रहा था। रिपोर्टर ने मित्र को और मित्र ने दीदी को हड़काया।

बहरहाल, 20-25 सजी-धजी महिलाओं और लड़कियों के काफिले को लेकर रिपोर्टर और कैमरामैन वहां से तीन-चार सौ मीटर दूर मेन रोड की ओर बढ़े।

तब तक अंधेरा घिर आया था, सड़कों पर ट्रैफिक और सघन हो गया था। रिपोर्टर ने पुलिस को पहले ही सूचित कर दिया था, सो चार-पांच पुलिस वाले कैंडिल मार्च के संभावित रूट पर आ कर इधर-उधर खड़े हो गए थे।

सड़क के एक ओर दो पंक्तियों में महिलाएं दूरी बनाती हुई खड़ी हुईं। सबके हाथों में एक-एक मोमबत्ती थी और दीप से दीप जले की तर्ज पर सारी मोमबत्तियां रोशन की गईं।

अब कैमरामैन का काम शुरू हुआ। जलती मोमबत्तियों को सलीके से थामे बाकायदा कैंडिल मार्च की तर्ज में तमाम भाभियां-दीदियां मौन धीरे-धीरे आगे बढ़ने लगीं। किनारे खड़े बच्चे इस मनोरम दृश्य को देख कर उत्साह से उछलते दूर-दूर से ही उस जुलूस के पीछे चलने लगे।

सकपकाए पुलिस वाले सभ्रम निगाहों से इन सजी-धजी मिडिल क्लास महिलाओं को देखते, ट्रैफिक से उनकी सुरक्षा करते अगल-बगल दूरी बनाते थोड़ी दूर चलते रहे।

तीन-चार मिनट तक कैंडिल मार्च चलता रहा और लगभग सौ-डेढ़ सौ मीटर की दूरी तय कर थम गया। शूटिंग पूरी हो चुकी थी।

रिपोर्टर, कैमरामैन और मित्र के साथ ही वहां जुटे अन्य पति-देवर गण आपस में बातें करने लगे और इधर दमकते चेहरों के साथ उल्लसित महिलाओं का समूह पंक्तियों को भंग कर एक जमावड़े में तब्दील हो ट्रैफिक का अवरोध बन खड़ा हो गया।

एक तमाशा-सा था जिसे आते-जाते कार वालों, पैदल और साइकिल-रिक्शा वालों ने कौतुहल के साथ देखा, मुस्कुराए और आगे बढ़ते गए।

उसी रात नौ बजे के बाद उस न्यूज चैनल पर अन्ना आंदोलन के बारे में चल रही किसी परिचर्चा के दौरान अचानक स्क्रीन पर उभरा… ‘ब्रेकिंग न्यूज’…और एंकरानी जोर-जोर से चिल्लाने लगी, “पटना में अन्ना के समर्थन में महिलाओं का कैंडिल मार्च…।”

नेपथ्य में चिल्लाती एंकरानी की आवाज और स्क्रीन पर चलता उसी कैंडिल मार्च का दस-बारह सेकेंड्स का वीडियो… जलती मोमबत्तियां नजाकत से थामे सजी-धजी महिलाएं, धीमे-धीमे आगे बढ़ती… ताकि हवा जलती लौ को बुझा न दे। कुछ सेंकेंड्स के लिए कैमरा कुछेक खूबसूरत चेहरों पर जूम हुआ… फिर दूर से मार्च का पूरा शॉट।

फिर… परिचर्चा में शामिल विशेषज्ञों से एंकरानी का सवाल, “देश के तमाम छोटे-बड़े शहरों में लोग अन्ना के समर्थन में एकजुट हो रहे हैं, महिलाएं घरों से बाहर निकल कर आंदोलन में शामिल होने लगी हैं, क्या कहना है आपका…?”

“…आजादी के आंदोलन के बाद ऐसा पहली बार हो रहा है कि महिलाएं बेखौफ होकर घरों से बाहर निकल रही हैं और भ्रष्ट व्यवस्था को चुनौती दे रही हैं…” एक विशेषज्ञ ने टिप्पणी की।

“…गौर करने की बात यह है कि बड़े ही नहीं, छोटे शहरों में भी स्वतःस्फूर्त महिलाओं की जागृति इस देश के इतिहास को नए सिरे से लिखने को तत्पर हो उठी है, सत्ता को कुम्भकर्णी नींद से अब जागना ही होगा, जवाब देना ही होगा…।”  दूसरे, कुछ अधिक गम्भीर दिख रहे विशेषज्ञ की टिप्पणी थी।

इन्हीं टीका-टिप्पणियों के बीच स्क्रीन पर अनशन स्थल का दृश्य उभरता है। बड़े से मंच पर कई दिनों से भूखे-प्यासे, श्रान्त-क्लांत से दिख रहे अन्ना हजारे, अगल-बगल बैठे-खड़े कई नामचीन लोग, सामने अपार जन समुद्र। और… मंच के एक ओर…बड़े से डंडे में बड़ा सा झंडा दोनों हाथों से थामे, उसे लगातार लहराती किरण बेदी… अन्ना टोपी पहने, चेहरे पर बलिदानी मुद्रा ओढ़े…”मैं भी अन्ना तू भी अन्ना, अब तो सारा देश है अन्ना!”

मैदान के कोनों पर खोमचे वालों, आइसक्रीम वालों आदि की कतारें, गोलगप्पे खाते बच्चे, भीड़ में उन्हें संभालते-सहेजते मम्मी-पापागण, आइसक्रीम खिलाते-खाते बॉयफ्रेंड्स-गर्लफ्रेंड्स, इतिहास के नए पन्ने लिखने को आतुर उत्साही युवाओं का रेला, सिस्टम की दुश्वारियां झेलते जवान से बूढ़े हो चुके पेंशनधारियों का हुजूम…।

हर उम्र, हर समुदाय के लोग।

मंच पर क्रांतिकारी भाषणों का अनवरत सिलसिला, लगातार आते-जाते लोग, बदलते चेहरे लेकिन भीड़ वैसी की वैसी। अखबारों में अन्ना हजारे को ‘नई सदी का गांधी’ बताते बड़े-बड़े विशेषज्ञों की टिप्पणियां, उनसे जुड़ी अनगिनत खबरें।

पूरा देश जैसे थम गया था, वक्त जैसे ठहर गया था, नए पन्ने अपने लिखे जाने की बेकली से फड़फड़ाते, इतिहास की किताबों में जुड़ने को आतुर…। अनशन स्थल पर सतत भीड़ जुटाए रखने के लिए अदृश्य शक्तियों की अनवरत मंत्रणाएं और भीड़ में शामिल उनके कार्यकर्ता व्यवस्था को संभालने में व्यस्त। ‘सिविल सोसायटी’… यह शब्द मीडिया और उसके माध्यम से आम लोगों की जुबान पर था। भारत में पहली बार यह शब्द सार्वजनिक रूप से इतनी चर्चा में आया था।

“भ्रष्ट व्यवस्था के विरुद्ध सिविल सोसायटी का उठ खड़ा होना नए भारत की तस्वीर रचेगा, लोकपाल आंदोलन स्वतंत्रता के बाद भ्रष्टाचार के विरुद्ध सबसे बड़ा और सर्वाधिक ऊर्जावान आंदोलन है”…ऐसी बातें करते न जाने कितने लेख-आलेख अखबारों व पत्रिकाओं में लिखे जा रहे थे।

यूपीए-2 की सरकार अपने ही अंतर्विरोधों से चरमरा रही थी और छोटे-बड़े घोटालों के कुछ सच्चे, कुछ प्रायोजित किस्से उसके आभामंडल को तेजी से धूमिल करते जा रहे थे। लगातार दो कार्यकालों से सत्ता-सुख भोगते अहंकारग्रस्त कांग्रेस नेताओं-मंत्रियों में महंगाई और भ्रष्टाचार को लेकर गैर जिम्मेदार वक्तव्य देने की प्रतियोगिता चल रही थी। “महंगाई कहाँ है, आज भी 12 रुपये में भरपेट भोजन मिल रहा है…।” “भ्रष्टाचार किस देश में नहीं है, भारत में तो कई देशों के मुकाबले बहुत कम भ्रष्टाचार है…।”

दैनिक जीवन की दुरूहताओं और सिस्टम की संवेदनहीनता से हलकान आम लोगों के सीने में खंजर की तरह धँसते ऐसे गैरजिम्मेदार बयान सत्ताधारी जमात की कब्र खोद रहे थे। लोकपाल न बनना था, न बन कर कुछ उखाड़ ही सकता था औ न बना… लेकिन लोकपाल आंदोलन उर्फ अन्ना आंदोलन ने भ्रष्ट घोषित हो चुकी तत्कालीन सत्ता के ताबूत में कीलें ठोकनी शुरू कर दीं।

जितनी तेजी से मनमोहन सिंह की सरकार अलोकप्रिय हुई, कांग्रेस जिस तेजी से जनता की नजरों में गिरने लगी, वह उस दौर को याद करके महसूस किया जा सकता है। अंततः अनशन खत्म हुआ, अन्ना ने जूस पिया, डॉक्टरों ने उनका चेकअप किया और वे गुमनामी भोगने अपने गांव सिधारे।

इतिहास के पन्नों में पहली बार कोई ऐसा आंदोलन दर्ज हुआ जिसकी जड़ें तो थीं ही नहीं, लेकिन जिसकी शाखाएं अति विस्तृत होती चारों ओर फैलती गईं, जिसकी टहनियां ऊंची उठती गईं और उनमें उगे पत्ते ऊंचे आसमान में लहराते नजर आने लगे।

अन्ना आंदोलन उदाहरण बना कि आंदोलन भी कृत्रिम हो सकते हैं, लगभग पूरी तरह प्रायोजित हो सकते हैं और सिस्टम से बेजार लोगों के दिलों में जगह बना कर उनके आक्रोश की अभिव्यक्ति का मंच बन सकते हैं।

पोस्ट-ट्रूथ के दौर में, जब मीडिया प्रोपैगेंडा का प्रभावी हथियार बन गया हो, जमाने ने देखा कि मीडिया किस तरह किसी प्रायोजित आंदोलन को लोगों के मानस से जोड़ने में कामयाब हो रहा था, किस तरह एक सीधे-सादे, औसत सत्याग्रही को जबर्दस्ती गांधी और नेल्सन मंडेला बनाने पर तुला था।

बहरहाल, शाखें चाहे जितनी फैलें, पत्ते चाहे जितनी ऊंचाई पर लहराएं, जिसकी जड़ें ही नहीं वह आंदोलन न अधिक समय तक चल सकता है न कोई मुकाम हासिल कर सकता है। अन्ना आंदोलन भी रेत में पड़ी बूंदों की तरह जल्दी ही अस्तित्वहीन हो गया। इसे न किसी मुकाम तक पहुंचना था, न पहुंचा।

(यहां पर प्रोफेसर झा साहब से सहमत नहीं हुआ जा सकता है कि ‘अन्ना आंदोलन को न किसी मुकाम तक पहुंचना था और न ही वह पहुंचा’ क्योंकि वह अन्ना हजारे का आंदोलन था ही नहीं बल्कि वह सच को झूठ और झूठ को सच में बदलने के लिए दुनियाभर में कुख्यात अमेरिकी पीआर कंपनी एप्को वर्ल्डवाइड का एक उत्पाद था जिसे मोदी ने गुजरात का मुख्यमंत्री रहते हुए खुद को प्रधानमंत्री बनाने का ठेका 2008 में दिया था। इसी दुरभिसंधि का एक महत्वपूर्ण उत्पाद था तत्कालीन कैग विनोद राय की कोल ब्लॉक आवंटन तथा टू जी स्पेक्ट्रम मामले की झूठी कहानी। देश की सत्ता हड़पने के इसी षड्यंत्र की अगली कड़ी में जनसरोकारी मुद्दे को लेकर कभी भी महाराष्ट्र से बाहर नहीं निकले अन्ना हजारे को महात्मा गांधी बनाकर दिल्ली में जंतर-मंतर पर बैठा देना रहा।

इसलिए जो पटकथा एप्को वर्ल्डवाइड द्वारा तैयार की गई थी, यह सब उसका ही क्रमिक जमीनी रूप था, मंचन था, जो योजनाकारों की इच्छानुसार उनके लक्ष्यसंधान में सफल हुआ। अपने निर्धारित मुकाम तक पहुंचा। अतः स्पष्ट है कि वह किसी वैचारिक परिवर्तन के लिए खड़ा किया गया जनांदोलन नहीं था।)

लेकिन, उन शक्तियों को मुकाम हासिल करने में भारी सफलता मिली जो इसके प्रायोजकों में शामिल रहे थे। जिन अदृश्य शक्तियों ने सुनिश्चित किया था कि अनशन स्थल पर अपार जनसमुद्र की उपस्थिति सतत नजर आती रहे, जो आंदोलन के दौरान देश के शहर दर शहर ‘सिविल सोसायटी’ की आड़ में मध्य वर्ग के असंतोष को हवा देने में सफलतापूर्वक लगे रहे थे, जिनके  कार्यकर्तागण भीड़ में शामिल हो माहौल को जीवंत बनाने में निरन्तर सक्रिय रहे थे, उन्होंने तत्कालीन सत्ता को अलोकप्रिय बनाने में सुनियोजित भूमिका निभा कर अपने एक नए नायक को देश की राजनीति के रंगमंच पर उतार दिया।

उसके बाद के घटनाक्रम तो इतिहास में दर्ज हो ही चुके हैं जब राजनीति और प्रोपैगेंडा एक-दूसरे के पर्याय बन कर अपने तरीके का ‘नया भारत’ बनाने में लग गए।

इधर, अन्ना के बगलगीरों और अनुयायियों ने भी जमाने को बदल देने का खम ठोकते नई राजनीतिक पार्टी बनाई—’आम आदमी पार्टी’। जिसकी कोई विचारधारा ही नहीं थी और न ही उसे विचारों की जरूरत ही थी, जो ‘नए भारत’ के निर्माण में लगी नई सत्तासीन शक्तियों का वास्तविक नहीं, छद्म विपक्ष था और जिसका जन्म ही भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की जमीन खोद कर उस पर अपनी नई फसल लगाने के लिए हुआ था। तुर्रा यह कि मतिमंदता की शिकार कांग्रेस ने ही 2013 में पहली बार अपना समर्थन देकर उसे दिल्ली की सत्ता पर काबिज होने का मौका दिया और अपनी छवि बनाने के लिए जमीन मुहैया कराई। 49 दिनों तक राज संभालने के बाद समर्थन दे रही कांग्रेस की लानत-मलामत करते आप सरकार ने इस्तीफा दे दिया और अपनी नवनिर्मित छवि के सहारे नए चुनाव में लग गई।

महान आदर्शों की बातें करती आम आदमी पार्टी उर्फ ‘आप’ में शुरू में अनेक क्षेत्रों के नामचीन लोग जुड़े लेकिन जल्दी ही यह किसी एक नेता की एकाधिकारवादी प्रवृत्ति की शिकार होती उसकी छाया बन कर रह गई। जब आंदोलन की जड़ें ही गहरी नहीं थी तो उससे निकली राजनीतिक पार्टी का कोई ठोस और व्यापक वैचारिक आधार हो भी नहीं सकता था। उसे जल्दी ही व्यक्ति आधारित हो ही जाना था।

2011 से 2022 तक के भारत का राजनीतिक इतिहास इन्हीं प्रायोजनों और प्रोपैगेंडा की अकथ गाथा है। अन्ना किस गांव में रहते हैं, यह अब जेनरल नॉलेज रटने वाले लोगों को भी शायद ही याद आये। लोकपाल शब्द विमर्शों के दायरे से इतनी दूर धकिया दिया गया है कि इन दस वर्षों में बचपन से जवानी की दहलीज पर पहुंचे नौजवानों को पता ही नहीं कि लोकपाल क्या होता है। लोकपाल आंदोलन की संतान ‘आप’ भी अब  इसका नाम तक भूल चुकी है।

कृत्रिमताओं से छद्म रचा तो जा सकता है, उसे दीर्घजीवी नहीं बनाया जा सकता। तो, उस कृत्रिम आंदोलन की विरासतें भी कैसे दीर्घजीवी हो सकती हैं?

और, अगर कोई सोचता है कि स्वतंत्रता आंदोलन की महान वैचारिक विरासतों में एक कांग्रेस की जगह किसी छद्म आंदोलन से उपजी कोई विचारधाराविहीन राजनीतिक पार्टी ले सकती है तो यह खुशफहमी के सिवा कुछ और नहीं। बावजूद इसके कि कांग्रेस को खत्म करने को कांग्रेसी ही तुले हैं, स्वतंत्रता आंदोलन की वैचारिक विरासत इतनी आसानी से इस देश के राजनीतिक पटल से विलुप्त नहीं हो सकती।

Previous Post

इस चुनाव परिणाम के मायने : पुष्परंजन

Next Post

सहगल की याद दिलाते हैं मुकेश

Next Post
सहगल की याद दिलाते हैं मुकेश

सहगल की याद दिलाते हैं मुकेश

प्रातिक्रिया दे जवाब रद्द करें

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *

जौनपुर के त्रिकोणीय लड़ाई में कौन मारेगा बाजी? | आग़ा खुर्शीद खान। मुस्लिम टुडे

जौनपुर के त्रिकोणीय लड़ाई में कौन मारेगा बाजी? | आग़ा खुर्शीद खान। मुस्लिम टुडे

अप्रैल 24, 2024

पहले चरण का फीडबैक बीजेपी के लिए चिंता का सबब | आग़ा खुर्शीद खान। मुस्लिम टुडे

अप्रैल 23, 2024
इस चुनाव में उत्तर प्रदेश के मतदाताओं का साइलेंट होना, बड़े उलटफेर का संकेत दे रहा है

इस चुनाव में उत्तर प्रदेश के मतदाताओं का साइलेंट होना, बड़े उलटफेर का संकेत दे रहा है

अप्रैल 21, 2024

Our channel

https://www.youtube.com/watch?v=QnB3waJ7Awg
  • Trending
  • Comments
  • Latest
50 मुस्लिम स्वतंत्रता सेनानी, जिनके साथ इतिहास ने किया धोखा !

50 मुस्लिम स्वतंत्रता सेनानी, जिनके साथ इतिहास ने किया धोखा !

अगस्त 15, 2018
बिना कपड़े के लड़की से मालिश करवाते हुए दिखे स्वामी चिन्मयानंद, वीडियो वायरल

बिना कपड़े के लड़की से मालिश करवाते हुए दिखे स्वामी चिन्मयानंद, वीडियो वायरल

सितम्बर 11, 2019
सांसद संघमित्रा मौर्य ने पति डॉ. नवल किशोर शाक्य से ली तलाक

सांसद संघमित्रा मौर्य ने पति डॉ. नवल किशोर शाक्य से ली तलाक

मार्च 2, 2021
इमरान प्रतापगढ़ी के पहल पर झारखंड सरकार ने ड्राफ्ट किया मॉब लिंचिंग कानून 

इमरान प्रतापगढ़ी के पहल पर झारखंड सरकार ने ड्राफ्ट किया मॉब लिंचिंग कानून 

दिसम्बर 14, 2021
मोदी सरकार अपने चहेते उद्यगपतियों के लिए एक लाख करोड़ बैंकों में डाल रही है!

आज़ादी के बाद से अयोध्या का इतिहास झूठ से रचा गया है: रवीश कुमार

528
महिला को निर्वस्त्र कर घुमाने के मामले में 360 लोगों पर केस, 15 गिरफ्तार : बिहार

महिला को निर्वस्त्र कर घुमाने के मामले में 360 लोगों पर केस, 15 गिरफ्तार : बिहार

13
ईलाज कराकर लंदन से वापस लौटे अभिनेता इरफान खान

ईलाज कराकर लंदन से वापस लौटे अभिनेता इरफान खान

11
काले हिरण मामले में 5 साल की सजा के बाद सलमान खान को मिली विदेश जाने की इजाजत

काले हिरण मामले में 5 साल की सजा के बाद सलमान खान को मिली विदेश जाने की इजाजत

10
जौनपुर के त्रिकोणीय लड़ाई में कौन मारेगा बाजी? | आग़ा खुर्शीद खान। मुस्लिम टुडे

जौनपुर के त्रिकोणीय लड़ाई में कौन मारेगा बाजी? | आग़ा खुर्शीद खान। मुस्लिम टुडे

अप्रैल 24, 2024

पहले चरण का फीडबैक बीजेपी के लिए चिंता का सबब | आग़ा खुर्शीद खान। मुस्लिम टुडे

अप्रैल 23, 2024
इस चुनाव में उत्तर प्रदेश के मतदाताओं का साइलेंट होना, बड़े उलटफेर का संकेत दे रहा है

इस चुनाव में उत्तर प्रदेश के मतदाताओं का साइलेंट होना, बड़े उलटफेर का संकेत दे रहा है

अप्रैल 21, 2024
जामिया की नौशीन ने UPSC में नौवां स्थान प्राप्त किया | आग़ा खुर्शीद खान। मुस्लिम टुडे

जामिया की नौशीन ने UPSC में नौवां स्थान प्राप्त किया | आग़ा खुर्शीद खान। मुस्लिम टुडे

अप्रैल 17, 2024
Currently Playing

जौनपुर के त्रिकोणीय लड़ाई में कौन मारेगा बाजी? | आग़ा खुर्शीद खान। मुस्लिम टुडे

जौनपुर के त्रिकोणीय लड़ाई में कौन मारेगा बाजी? | आग़ा खुर्शीद खान। मुस्लिम टुडे

जौनपुर के त्रिकोणीय लड़ाई में कौन मारेगा बाजी? | आग़ा खुर्शीद खान। मुस्लिम टुडे

Uncategorized

पहले चरण का फीडबैक बीजेपी के लिए चिंता का सबब | आग़ा खुर्शीद खान। मुस्लिम टुडे

Uncategorized
इस चुनाव में उत्तर प्रदेश के मतदाताओं का साइलेंट होना, बड़े उलटफेर का संकेत दे रहा है

इस चुनाव में उत्तर प्रदेश के मतदाताओं का साइलेंट होना, बड़े उलटफेर का संकेत दे रहा है

Uncategorized
जामिया की नौशीन ने UPSC में नौवां स्थान प्राप्त किया | आग़ा खुर्शीद खान। मुस्लिम टुडे

जामिया की नौशीन ने UPSC में नौवां स्थान प्राप्त किया | आग़ा खुर्शीद खान। मुस्लिम टुडे

Uncategorized
क्या राजस्थान के सीकर लोकसभा सीट से कॉमरेड अमराराम की होगी जीत | आग़ा खुर्शीद खान। मुस्लिम टुडे

क्या राजस्थान के सीकर लोकसभा सीट से कॉमरेड अमराराम की होगी जीत | आग़ा खुर्शीद खान। मुस्लिम टुडे

Uncategorized

टैग्स

#aamAadmiParty (21) #AamAdmiParty (28) #AAP (39) #adeshGupta (15) #BjpDelhi (38) #BJP Government (127) #BOLLYWOOD (40) #Congress (123) #Covid19 (14) #delhi (203) #delhinews (17) #JamiaMilliaIslamia (19) #KEJRIVAL (16) #kisan andolan (18) #Maharashtra (42) #modi (62) #mumbai (21) #newstoday (33) #PM Modi (115) #PriyankaGandhivadra #CongressParty #RahulGandhi (25) #Rahul Gandhi (39) #yogi (13) AMERICA (14) Amit Shah (18) ARVIND KEJRIVAL (41) Bihar (46) BJP (165) coronavirus (156) Hindi News (447) India (418) Kejriwal (20) Politics (47) Ravish Kumar (15) RSS (26) Supreme Court (16) Uttar Pradesh (55) Yogi Adityanath (47) Yogi Govt (16) अखिलेश यादव (20) अमित शाह (13) उत्तर प्रदेश (95) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (15) बीजेपी (19) भाजपा (23) राहुल गांधी (17)

हमारे बारे में

विजन मुस्लिम आज वर्तमान में एक राजनीतिक पत्रिका और एम टी मीडिया वेंचर्स के एक पोर्टल, वैश्विक समाचार और हमारे अंग्रेजी, हिंदी और उर्दू प्रकाशनों में मौजूदा मामलों के साथ काम कर रहा है।

श्रेणियां

  • Uncategorized (125)
  • अन्य विषय (70)
  • अर्थव्यवस्था (53)
  • इतिहास (13)
  • खेल (531)
  • देश (4,002)
  • प्रौद्योगिकी (17)
  • फैक्ट चेक (2)
  • भारतीय (3,704)
  • भारतीय मुस्लिम (189)
  • मनोरंजन (247)
  • मुद्दे (182)
  • मुस्लिम दुनिया (142)
  • राजनीति (4,111)
  • विदेश (321)
  • वीडियो (4)
  • शिक्षा (44)
  • संपादकीय (84)
  • संस्कृति (9)
  • साक्षात्कार (12)
  • सिनेमा (67)
  • स्तंभ (174)
  • इंग्लिश
  • उर्दू
  • हमारे बारे में
  • हमसे संपर्क करें
  • करियर
  • विज्ञापन
  • गोपनीयता नीति
  • इंग्लिश
  • उर्दू
  • हमारे बारे में
  • हमसे संपर्क करें
  • करियर
  • विज्ञापन
  • गोपनीयता नीति

© 2021 Muslim Today

No Result
View All Result
  • मुख्य पृष्ठ
  • भारतीय
  • विदेश
  • संपादकीय
  • साक्षात्कार
  • खेल
  • अर्थव्यवस्था
  • फैक्ट चेक
  • शिक्षा
  • सिनेमा

© 2021 Muslim Today

Welcome Back!

Login to your account below

Forgotten Password?

Create New Account!

Fill the forms below to register

All fields are required. Log In

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In

Add New Playlist