पूर्व वित्त मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने प्रेस से बात की। इस दौरान उन्होंने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार आर्थिक स्तर पर सरकार पांच सालों में पूरी तरह से नाकाम रही है। उन्होंने कहा, “हालाकि पीएम मोदी और बीजेपी नैरेटिव को अर्थव्यवस्था से दूर ले जाना चाहते हैं, आखिरकार भारत के लोगों के लिए अर्थव्यवस्था की स्थिति क्या मायने रखती है। जैसे-जैसे चुनाव खत्म हो रहे हैं, मुझे लगता है कि लोगों ने अपनी आवाज ढूंढना शुरू कर दिया है। वित्त मंत्रालय के आर्थिक प्रभाग ने मार्च के लिए अपनी मासिक रिपोर्ट प्रकाशित की है और यह रिपोर्ट अर्थव्यवस्था की दृष्टि से हानिकारक है।”
चिदंबरम ने कहा, “कल, एनएसएसओ ने सीएसओ के डेटा और जीडीपी श्रृंखला में एक बड़ा सुराख किया है। यह पता चला है कि एमसीए- 21 डेटा, जिसे सार्वजनिक नहीं किया गया है, झूठ से भरा है। एमसीए डेटा में 35 प्रतिशत कंपनियां मौजूद ही नहीं हैं।”
पूर्व वित्त मंत्री ने कहा, “मार्च 2019 की रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले 3 वर्षों में सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर 8.2 प्रतिशत से घटकर 7.2 प्रतिशत से 7 प्रतिशत हो गई है। सकल राजकोषीय घाटा और पूंजीगत व्यय जस के तस हैं। मुद्रास्फीति 3.1 प्रतिशत से 3.8 प्रतिशत और 4.2 प्रतिशत तक बढ़ रही है। चालू खाता घाटा 0.6 प्रतिशत से बढ़कर 1.9 प्रतिशत से 2.6 प्रतिशत हो गया है। निजी खपत व्यय, सरकार की खपत व्यय और निश्चित निवेश दर में गिरावट आई है। कृषि में सकल मूल्य वृद्धि की वृद्धि दर 6.3 प्रतिशत से 5.0 प्रतिशत से 2.7 प्रतिशत तक घट गई है। उद्योग में जीवीए सपाट बना हुआ है। कोई एकल पैरामीटर नहीं है, जिसने बढ़ती प्रवृत्ति दिखाई हो”
कांग्रेस नेता ने कहा कि इन नाकामियों के बावजूद मोदी सरकार चाहती हैं कि हम यह मानें कि 5 वर्षों के बाद, अर्थव्यवस्था मजबूत है। यह शायद अर्थव्यवस्था का सबसे कमजोर बिंदु है। उन्होंने कहा कि बीजेपी द्वारा किए गए नुकसान की मरम्मत के लिए अगली सरकार के पास बहुत काम है।”