हरिद्वार की `धर्म संसद’ में दिये गये भाषणों को सुनिये और सोचिये कि दुनिया क्या दुनिया के किसी सभ्य देश में इस तरह की बातों की अनुमति दी जा सकती है।
पड़ोसी बांग्लादेश में दुर्गापूजा के दौरान पंडालों को निशाना बनाया गया तो ख़ुद प्रधानमंत्री शेख़ हसीना ने इसकी भर्त्सना करते हुए बयान जारी किया और उसके बाद मुस्लिम समुदाय के हज़ारों लोग शांति के लिए सड़क पर उतरे।
अब विश्वगुरू के शीर्ष नेतृत्व पर गौर कीजिये, जहाँ का प्रधानमंत्री दंगाइयों को कपड़ों से पहचानने की सलाह देता है और गृहमंत्री करेंट लगाने की हिदायत।
हरिद्वार की धर्म संसद में मुसलमानों की आबादी को मिटाने का संकल्प लिया गया। हिंदुओं से अपील की गई कि किताब-कॉपी छोड़कर हाथों में तलवार लें और ज़्यादा से ज़्यादा बच्चे पैदा करें।
सबसे ज़्यादा हैरानी की बात यह है कि मुसलमानों की पिटाई से प्रफुल्लित बीजेपी समर्थक मिडिल क्लास अपने घर की तरफ़ तेज़ी से आती आग की लपटों को नहीं देख पा रहा है।
मूर्खता और मासूमियत की संधि रेखा पर खड़े मध्यमवर्ग को ना जाने कैसे इस बात का यक़ीन है कि जैसे-जैसे भारत में मुसलमानों की प्रताड़ना बढ़ेगी वैसे-वैसे आर्थिक तरक़्क़ी भी होगी और खूब सारा विदेश निवेश आता रहेगा।
व्हाटएस एप पर फैलाये जा रहे ज्ञान से बाहर निकलकर लोकतंत्र और अर्थव्यवस्था की वास्तविक स्थिति को कितने लोग देख पा रहे हैं? कई बड़ी कंपनियाँ भारत से अपना कारोबार समेट चुकी हैं। रूपया सबसे बुरी तरह पिटने वाली एशियाई मुद्रा बन चुका है। रोज़गार को लेकर हाहाकार है और महंगाई बरसों के रिकॉर्ड तोड़ रही है।
दुनिया भर में डंका बजने का आलम है ये कि मालदीव जैसे छोटे पड़ोसी देश तक में विपक्ष इस बात की माँग कर रहा है कि भारत से दूरी बनाकर रखी जाये क्योंकि उसका तालिबानीकरण मालदीव तक हितों को नुक़सान पहुँचाएगा।
दो दिन पहले बीबीसी में मालदीव में चल रहे भारत विरोधी आंदोलन पर एक बड़ी स्टोरी की है। अगर आपकी दिलचस्पी हो बीबीसी की वेबसाइट पर जाकर पढ़ सकते हैं।
इन बातों से बेख़बर प्रधानमंत्री अगला चुनाव जीतने के लिए परिश्रम की पराकाष्ठा कर रहे हैं और हार के डर से घबराये आरएसएस से जुड़े तमाम संगठन अपने प्रिय प्रोजेक्ट यानी दंगों की तैयारी में जुट चुके हैं।
यह भी एक सच्चाई है कि मुसलमानों के मिटाने के प्रोजेक्ट से पढ़े-लिखे भाजपा समर्थकों के बच्चे दूर रहेंगे। ये ज़िम्मेदारी पिछड़े और दलित उठाएँगे। बिना जनशक्ति के हिंदू राष्ट्र या हिंदू तालिबान नहीं बन सकता है।
अगर आप भारत के तालिबानीकरण के ख़िलाफ़ हैं, तो एक छोटा सा कदम उठाइये। हिंसा का समर्थन कर रहे हर व्यक्ति से उचित सामाजिक दूरी बनाइये। उन्हें प्लेटफ़ॉर्म मत दीजिये और ज़रूरत पड़े तो सोशल मीडिया पर उन्हें अनफ्रेंड या ब्लॉक कीजिये।