नई दिल्ली : आम आदमी पार्टी ने केंद्र की भाजपा सरकार द्वारा संसद में लाए गए राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (संशोधन) अधिनियम-2021 के विरोध में जंतर-मंतर पर आज विरोध प्रदर्शन किया। इस दौरान ‘आप’ संयोजक अरविंद केजरीवाल ने कहा कि देश आजादी का 75वां साल मना रहा है, क्या भाजपा आजादी के 75वें साल में जनता के अधिकारों को छीन कर तोहफा देना चाहती है।
देश की आजादी के लिए कुर्बानी देने वालों ने यह नहीं सोचा था कि आजादी के 75 साल बाद एक ऐसी सरकार आएगी, जो जनता के सारे अधिकार छीन लेगी। संशोधित बिल के अनुसार, अब दिल्ली सरकार का मतलब एलजी होगा और सभी फाइलें एलजी के पास जाएंगी, यह तो जनता के साथ धोखा है।
दिल्ली की जनता ने ‘आप’ को 2015 में 67, 2020 में 62 सीटें दीं और साफ कह रही है कि हमें भाजपा नहीं, आम आदमी पार्टी चाहिए। डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने कहा कि यह लड़ाई केजरीवाल की नहीं, बल्कि आम हिंदुस्तानी की लड़ाई है। भाजपा पूरे देश में अरविंद केजरीवाल के गवर्नेंस माॅडल और राजनीति को रोकना चाहती है।
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दिल्ली ‘आप’ संयोजक गोपाल राय ने कहा कि दिल्ली की जनता ने अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में ‘आप’ सरकार को चुना है, लेकिन भाजपा इस कानून को लाकर दिल्ली में पिछले दरवाजे से सत्ता करने की कोशिश कर रही है।
आम आदमी पार्टी ने केंद्र की भाजपा सरकार द्वारा संसद में लाए गए राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (संशोधन) अधिनियम-2021 के विरोध में जंतर-मंतर पर आज विरोध प्रदर्शन किया। इस दौरान दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली कोने-कोने से बड़ी संख्या में जंतर मंतर पर विरोध-प्रदर्शन करने के लिए आप लोग इकट्ठे हुए हैं। आप लोगों में गुस्सा है, आप लोग दुखी हैं, क्योंकि केंद्र की भाजपा सरकार ने संसद में अभी 3 दिन पहले एक कानून लेकर आई है।
उस कानून में यह लिखा है कि अब से दिल्ली सरकार का मतलब होगा एलजी। फिर हमारा क्या मतलब होगा, फिर जनता का क्या मतलब होगा, फिर देश की जनता का क्या मतलब होगा? अगर दिल्ली सरकार का मतलब एलजी होगा, तो दिल्ली की जनता कहां जाएगी? दिल्ली की जनता की चलेगी या नहीं चलेगी, मुख्यमंत्री कहां जाएगा?
फिर चुनाव क्यों कराए थे? जनता ने लाइन लग कर वोट क्यों दिया था? क्या जनता के वोट का कोई मतलब नहीं है? जनता के चुनाव का कोई मतलब नहीं बचा? जनता की सरकार का कोई मतलब नहीं बचा?
जनता ने 70 में से 62 सीटें दीं, उसका कोई मतलब नहीं बचा? अगर दिल्ली सरकार का मतलब एलजी होगा, फिर तो जनता के साथ धोखा हो गया। यह तो गलत हो गया।
इस कानून में लिखा है कि अब दिल्ली सरकार की सारी फाइलें एलजी के पास जाया करेंगी। जब पहली बार हमारी सरकार बनी थी, उस दौरान भी सारी फाइलें एलजी के पास जाया करती थीं। 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि दिल्ली में चुनी हुई सरकार है, चुनी हुई सरकार के पास शक्ति होनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने बोला कि भारत जनतंत्र है।
जनतंत्र में जनता मालिक होती है, जनता का शासन होता है, जनता जिस सरकार को चुनती है, सारी शक्तियां उसके पास होनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अब कोई भी फाइल एलजी के पास नहीं जाया करेगी। यह मैं नहीं कह रहा हूं, बल्कि यह आदेश सुप्रीम कोर्ट के आदेश में लिखा हुआ है।
केजरीवाल ने कहा कि अब इन्होंने कानूनी में लिख दिया है कि सारी फाइलें एलजी के पास जाया करेंगी। ये जनता को नहीं मानते, ये सुप्रीम कोर्ट को नहीं मानते, ये जनतंत्र को नहीं मानते, ये संविधान को नहीं मानते, यह तो गलत बात है। यह तो हमारे साथ धोखा हो गया। 2015 दिल्ली विधानसभा के चुनाव हुए।
जनता ने आम आदमी पार्टी को 70 में से 67 सीटें दीं। फिर 2020 में चुनाव में जनता ने 70 में से 62 सीट दीं। फिर अभी एमसीडी के उपचुनाव हुए, जनता ने एमसीडी के उपचुनाव में बीजेपी को जीरो सीट दी। दिल्ली की जनता साफ-साफ यही तो कह रही है कि हमको बीजेपी नहीं चाहिए, हमको आम आदमी पार्टी चाहिए।
ये लोग एक के बाद एक चुनाव हारते जा रहे हैं, लेकिन चोरी छिपे दिल्ली के ऊपर राज करना चाहते हैं और जनता का राज खत्म करना चाहते हैं। एक तरह से ये पूरे देश के अंदर यही कर रहे हैं। चुनाव कराते हैं, अगर चुनाव में हार जाएं, तो दूसरी पार्टियों के विधायक खरीद लेते हैं और वहां पर सरकार गिरा देते हैं।
दिल्ली के अंदर आम आदमी पार्टी के जितने विधायक हैं, ये उनसे खरीदे नहीं जा रहे हैं और ये बिक नहीं रहे हैं। उन्होंने कोशिश तो बहुत की, लेकिन हमारे विधायक बिक नहीं रहे हैं। दिल्ली के अंदर जब विधायक नहीं बिक रहे हैं, तो इन्होंने यह कानून लाकर दिल्ली के अंदर जनता की सत्ता को खत्म करना चाहते हैं।
केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली के अंदर जो काम हो रहा है, आज पूरे देश के अंदर उसकी चर्चा हो रही है। दिल्ली के अंदर शिक्षा के क्षेत्र बहुत अच्छा काम हो रहा है। सरकारी स्कूलों की कायापलट हो गई, प्राइवेट स्कूलों की फीस नहीं बढ़ने दी, इतने शानदार काम दिल्ली के स्कूलों में हो रहे हैं, यह कानून शिक्षा के अच्छे कामों को बंद करने के लिए बनाया गया है।
वो नहीं चाहते हैं कि दिल्ली के अंदर आम आदमी पार्टी अच्छा काम करती रहें, क्योंकि दिल्ली के अंदर अच्छा काम हो रहा है, तो इनको सूरत के अंदर तकलीफ हो रही है, कर्नाटक के अंदर इनको तकलीफ हो रही है। देश के अंदर जहां-जहां भी पंचायतों और नगर निगम के चुनाव हो रहे हैं, आम आदमी पार्टी की धीरे-धीरे सीटें आनी चालू हो गई हैं।
अब उत्तर प्रदेश के अंदर लोग कह रहे हैं कि हमें भी फ्री बिजली चाहिए, गुजरात के अंदर लोग कह रहे हैं कि हमें भी फ्री बिजली चाहिए, अब हिमाचल प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, हर जगह लोग कह रहे हैं कि हमें भी फ्री बिजली चाहिए।
केजरीवाल ने कहा कि भाजपा से कहना चाहता हूं कि दिल्ली के अंदर अच्छा काम हो रहा है, अच्छे काम को नहीं रुकना चाहिए, यह गलत बात है। तुम भी अच्छे काम करके दिखाओ। प्रतियोगिता तो अच्छे काम का होना चाहिए।
अब तुम गुजरात में बिजली फ्री कर दो, सूरत में हमारी एक भी सीट नहीं आएगी। काम तो वो करेंगे नहीं और दिल्ली में जो अच्छे काम हो रहे हैं, उसको भी रोकोगे। यह तो गलत बात है। अगर तुमको वोट चाहिए, तो तुम भी अच्छे काम करो। जैसे दिल्ली में आम आदमी पार्टी अच्छे काम कर रही है, तुम भी दूसरी जगह अच्छे काम करो।
तुमको भी लोग वोट देंगे, लेकिन तुम गुंडागर्दी करोगे और दिल्ली में जो अच्छे काम हो रहे हैं, वो भी रोकोगे। मैं पूछना चाहता हूं कि असली देशभक्ति क्या होती है? असली देशभक्ति है कि अगर देश के किसी भी कोने में कोई अच्छा काम कर रहा हो, चाहे पक्ष कर रहा हो या विपक्ष कर रहा हो, कोई भी अच्छा काम कर रहा हो, अगर मैं सच्चा देशभक्ति हूं, तो मैं उसका साथ दूंगा।
अगर मैं गद्दार हूं, तो उसका काम रोक दूंगा। अगर मैं भारत का दुश्मन हूं, तो मैं उसके अच्छे काम को रोक दूंगा। ये दिल्ली के अंदर जो अच्छे काम हो रहे हैं, उसे रोकना चाह रहे हैं, ये ठीक नहीं कर रहे हैं। ये देश के साथ सही नहीं कर रहे हैं।
केजरीवाल ने दिल्ली और देश की जनता की तरफ से केंद्र सरकार से अपील करते हुए कहा कि आज इतने लोग यहां इकट्ठा हुए हैं, यह तो फिर भी थोड़े ही लोग आए हैं। इन्हें कम मत आंकिए।
मैं देख रहा था कि तीन-चार दिनों से सारे टीवी चैनल वाले सर्वे चला रहे हैं, उसमें दिल्ली के 90 प्रतिशत लोग कह रहे हैं कि केंद्र सरकार गलत कर रही है। सर्वे में भी यही आ रहा है। मैंने देखा कि कुछ पत्रकार सड़क के ऊपर अपना कैमरा लेकर घूम रहे थे और सबसे पूछ रहे थे कि दिल्ली सरकार किसको चलानी चाहिए?
केजरीवाल को चलनी चाहिए या केंद्र सरकार को। 90 प्रतिशत लोग कह रहे थे कि केजरीवाल को चलानी चाहिए, हमने उनकों चुना है। मैं केंद्र सरकार से अपील करना चाहता हूं कि इस कानून को वापस ले लो। जनता की ताकत को मत छीनों। जनता के साथ धोखा मत करो।
केजरीवाल ने कहा कि 1947 में देश आजाद हुआ था। आजादी के 75 साल हो गए हैं। आज देश अपनी आजादी के 75 साल मना रहा है। इस 75 साल में तुम यही करोगे। इस 75 साल में देश को यही तोहफा दोगे।
भगत सिंह फांसी पर क्यों चढ़े थे? चंद्रशेखर आजाद, भगत सिंह, राजगुरु, अशफाक उल्ला खां, सुभाष चंद्र बोस, बाबासाहेब डाॅ. अंबेडकर ने क्यों कुर्बानियां दी थी? उन लोगों ने इसलिए कुर्बानी दी थी कि अंग्रेज जाएंगे, तो भारत में जनतंत्र होगा। जनता सरकार चुनेगी और वह सरकार जनता के लिए काम करेगी।
उन्होंने यह नहीं सोचा था कि आजादी के 75 साल के बाद एक ऐसी सरकार आएगी जो जनता के सारे अधिकार छीन लेगी। मैं केंद्र सरकार से अपील करना चाहता हूं कि आजादी के 75 साल के अंदर इस किस्म के काली हरकत मत करो।
इस किस्म की गंदी हरकत मत करो। देश के साथ इस किस्म का धोखा मत करो। मैं दिल्ली की जनता को भरोसा देना चाहता हूं कि आप चिंता मत करना। ये भले ही हमारी शक्तियां छीन लें, ये जो मर्जी कर लें। आपको याद है कि जब सुप्रीम कोर्ट का आदेश नहीं आया था, तब सारी फाइलें एलजी के पास जाया करती थी।
हम आपके लिए पूरी दिल्ली में सीसीटीवी कैमरे लगाना चाहते थे। एलजी साहब ने सीसीटीवी की फाइल एक साल तक रोके रखी। फिर मैं, मनीष सिसोदिया, गोपाल राय और सत्येंद्र जैन एलजी साहब के घर पर जाकर धरना दे दिया और फाइल पास करा कर लाए थे। अब दिल्ली की जनता के सामने दो काम है। पहला, हम यह संघर्ष करते रहेंगे कि जिसके लिए हमारे आजादी के दीवाने लड़े थे और कुर्बानियां दी थी कि सत्ता जनता के हाथ में होगी,
यह जनता के हाथ में वापस लेकर रहेंगे। दूसरा, कोई भी काम नहीं रुकने देंगे। जितने भी दिल्ली के विकास के काम हैं, वे सारे विकास से काम होंगे। मैं आपके काम नहीं रुकने दूंगा। चाहे पैर पकड़ने पड़े, गिड़गिड़ाना पड़े, चाहे कुछ भी करना पड़े, सब करेंगे, लेकिन जो इन्होंने जनता की ताकत छीनी है, वह ताकत भी वापस लेकर रहेंगे।
इस दौरान ‘आप’ के वरिष्ठ नेता एवं दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि आज फिर हम से वापस जंतर मंतर पर आ गए हैं और जब जंतर मंतर से ही ताकत लेकर गए थे। 2013 में पार्टी बनाकर दिल्ली में शिक्षा पर काम करना शुरू किया, स्वास्थ्य काम करना शुरू किया, बिजली-पानी पर काम करना शुरू किया।
आपसे ताकत ली, इस जंतर मंतर की मिट्टी से ताकत मिलती है, लेकिन जिस ताकत को लेकर काम करना शुरू किया, भारतीय जनता पार्टी उस ताकत से डर रही है। आज जब आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ता हमारे विधायक गुलाब सिंह के नेतृत्व में गुजरात में जाकर चुनाव प्रचार करते हैं और जब यह कहते हैं कि जब दिल्ली के अंदर इतना शानदार काम हो रहा है,
तो गुजरात के लोग भी उस पर यकीन करते हैं और गुजरात के लोगों में उम्मीद जगती है कि भारतीय जनता पार्टी इतने दिनों से जो लोकतंत्र और विकास का ड्रामा कर रही है, उसकी जगह अब हमको केजरीवाल मॉडल चाहिए और सूरत के लोग वोट देते हैं कि हमको भी अब केजरीवाल मॉडल चाहिए।
डिप्टी सीएम ने कहा कि आज हम जिस कानून के खिलाफ इकट्ठा हुए हैं, वह कानून केवल दिल्ली सरकार की ताकत को रोकने का कानून नहीं है, वह इस बात को भी रोकने का कानून है कि केजरीवाल के गवर्नेंस का जो मॉडल है, वह गुजरात, उत्तराखंड, पंजाब और उत्तर प्रदेश में आगे न बढ़ पाए।
यह कानून इसलिए नहीं बना रहे हैं कि अरविंद केजरीवाल की ताकत कम करनी है, हमारे मंत्रियों की ताकत कम करनी है, यह कानून इसलिए बना रहे हैं, क्योंकि ‘आप’ बढ़ती चली जा रही है। हिमाचल प्रदेश के एक छोटे से गांव में जब रत्नेश जी पहुंचे, तो वहां पर आम आदमी पार्टी की टोपी लगाकर कार्यकर्ता पहले से खड़ा था।
उसने कहा कि हम तो बहुत पहले इंतजार कर रहे थे कि कब अरविंद केजरीवाल का आदमी आए और हम वोट दें और वहां पर वोट मिलने लगा और आम आदमी पार्टी के लोग वहां पर चुनाव जीतने लगे। इससे भाजपा के लोग घबरा रहे हैं। यह लड़ाई केजरीवाल की नहीं, बल्कि आम हिंदुस्तानी की लड़ाई है।
भाजपा पूरे देश में अरविंद केजरीवाल के गवर्नेंस माॅडल और राजनीति को रोकना चाहती है। यह कानून सिर्फ दिल्ली की ताकत को कम करने का कानून नहीं है, बल्कि यह कानून आम आदमी की बढ़ती ताकत को रोकने का कानून है।
मनीष सिसोदिया ने कहा कि पिछले दिनों मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के मार्गदर्शन में दिल्ली विधानसभा में ऐतिहासिक देशभक्ति बजट पास हुआ। यह कानून उस देशभक्ति का बजट के खिलाफ है, भारतीय जनता पार्टी जो कानून लेकर आ रही है, वह देशभक्ति के खिलाफ है।
भारतीय जनता पार्टी नहीं चाहती है कि अरविंद केजरीवाल इस तरह से काम करते रहे कि 2047 में दिल्ली में ओलंपिक खेल करा लिए जाएं। बजट में मैंने कहा था कि सपना देखो कि 2047 में दिल्ली की प्रति व्यक्ति आय सिंगापुर की प्रति व्यक्ति की आय के बराबर हो जाए। आज जो बच्चा पैदा हो रहा है, जब वह 25 साल बाद दिल्ली की युवा शक्ति बन कर खड़ा हो, तो उसकी आय सिंगापुर में बैठे नौजवान की आय के बराबर होनी चाहिए। भारतीय जनता पार्टी नहीं चाहती है कि आज से 25 साल बाद भी सिंगापुर जैसी आय हमारे नौजवानों की हो। इसलिए ये इसके खिलाफ यह कानून लेकर आए हैं।
ये नहीं चाहते हैं कि हमारे बच्चे आगे पढ़ें, ये नहीं चाहते हैं कि हमारे अस्पताल ठीक से काम करें। देश की आजादी के 75 साल हो गए। 75 साल में महिलाओं के लिए अलग से मोहल्ला क्लीनिक बनाने का कहीं नहीं सोचा। अरविंद केजरीवाल सोचते हैं कि महिलाओं के लिए अलग से मोहल्ला क्लीनिक बनाया जाए।
यह जो कानून ला रहे हैं, यह महिला मोहल्ला क्लिनिक को रूकवाने का कानून है, क्योंकि इनको पता है कि केजरीवाल जो कहते हैं, वो करके दिखाते हैं। अगर अरविंद केजरीवाल ने कहा है कि महिलाओं के लिए 100 अलग क्लीनिक बनेंगे, तो यह करके दिखाएंगे। अरविंद केजरीवाल ने कहा है कि 2047 में दिल्ली में ओलंपिक खेल होंगे, तो यह करके दिखाएंगे।
अरविंद केजरीवाल ने कहा है कि 2047 में हर एक नौजवान की आय सिंगापुर के नौजवान की आय के बराबर होनी चाहिए, तो यह करके दिखाएंगे। यह कानून भाजपा इसलिए लाई है, क्योंकि अरविंद केजरीवाल और उनके मंत्री फैसला लेते रहे, तो निश्चित रूप चीजें आगे बढ़ जाएंगी। इसको ये रोकना चाहते हैं।
ये नहीं चाहते हैं कि हमारे बच्चे आगे पढ़ें, ये नहीं चाहते हैं कि हमारे यहां नौजवानों को रोजगार मिले, क्योंकि अगर बच्चे पढ़ गए और नौजवानों को रोजगार मिल गया, तो इनके बहकावे में कोई नहीं आएगा। बीजेपी नहीं चाहती हैं कि हम अपने अस्पताल ऐसे करें, जहां हर आदमी का इलाज हो।
मनीष सिसोदिया ने कहा कि जहां-जहां भी भाजपा की सरकार है, हर एक राज्य में दिल्ली से कम से कम 5 से 6 गुना महंगी बिजली है। बीजेपी इस बात से दुखी है, क्योंकि अब उत्तर प्रदेश, गुजरात की जनता पूछने लगी है कि अरविंद केजरीवाल अगर दिल्ली में बिजली के बिल जीरो कर सकते हैं
दिल्ली की 80 प्रतिशत जनता को बिजली जीरो बिल पर मिल सकती है, तो गुजरात, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड में क्यों नहीं मिल सकती। जहां-जहां बीजेपी की सरकार है, वहां-वहां क्यों नहीं मिल सकती है और इसी बात के लिए आज गुजरात में भी झाड़ू पर बटन दब रहा है, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और पंजाब में भी दबेगा।
हिमाचल में भी दबा, बैंगलोर में भी झाड़ू का बटन दब रहा है। जहां पर भी ‘आप’ जा रही है, वहां पर झाड़ू का बटन दब रहा है। ये लोग उसको रोकना चाहते हैं। यह लोग चाहते हैं कि बिजली, पानी, स्कूल और अस्पताल महंगा होता रहे.
आम आदमी इनके सामने भीख मांगने के लिए खड़ा रहे हैं कि मैं अपने बच्चों को पढ़ाउं कैसे, मैं अपना इलाज कैसे कराउं, मैं रोजगार में कैसे लूं? इसलिए ये बिल्कुल नहीं चाहते हैं कि किसी भी कीमत पर दिल्ली सरकार आगे काम करें।
वहीं, दिल्ली के ‘आप’ संयोजक गोपाल राय ने कहा कि दिल्ली वाले भाजपा को जीरो पर लाना जानते हैं, तो भारतीय लोकतंत्र के लिए लड़ना भी जानते हैं। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह चोर दरवाजे से दिल्ली के अंदर नियंत्रण करना चाहते हैं।
दिल्ली सरकार ने जब दिल्ली में एक हजार मोहल्ला क्लीनिक बनाने का फैसला किया, तब केंद्र की भाजपा की केंद्र सरकार ने चोर दरवाजे से एक आदेश लाई कि जब तक एलजी फाइल को क्लीयर नहीं करेंगे, तब तक कोई मोहल्ला क्लीकिन नहीं बनेगा।
एलजी हाउस डेढ़ साल तक फाइल को दबा कर रखा। महिला सुरक्षा के लिए सीसीटीवी कैमरे लगाने की फाइल को भी एलजी हाउस कई महीने तक दबा कर रखा। दिल्ली के चुने हुए मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री को इस फाइल को क्लीयर कराने के लिए एलजी के घर पर धरना देना पड़ा।
आम आदमी पार्टी ने आज दिल्ली के जंतर मंतर पर केंद्र सरकार द्वारा दिल्ली की चुनी हुई सरकार को कमजोर करके जनता का काम रोकने की साजिश के खिलाफ आक्रोश प्रदर्शन किया। इस विरोध प्रदर्शन में दिल्ली सरकार के सभी कैबिनेट मंत्री, विधायकों के साथ पार्टी के सांसद, पार्षद के साथ हजारों की संख्या में कार्यकर्ता उपस्थित रहे।
विरोध प्रदर्शन के दौरान कार्यकर्ताओं में भारी जोश था। केंद्र की भाजपा सरकार के खिलाफ कार्यकर्ताओं ने जमकर नारेबाजी की। कार्यकर्ताओं ने लोकतंत्र में तानाशाही नहीं चलेगी-नहीं चलेगी, लोकतंत्र में हिटलरशाही, नहीं चलेगी-नहीं चलेगी, अमित शाह की तानाशाही, नहीं चलेगी-नहीं चलेगी, लोकतंत्र की हत्या करना बंद करो, जनता के काम रोकने की साजिश बंद करो-बंद करो आदि नारे लगाए।
विरोध प्रदर्शन को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से लेकर अन्य सभी कैबिनेट मंत्रियों और नेताओं ने संबोधित किया। इस दौरान कार्यकर्ताओं ने भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ जमकर नारेबाजी की और दिल्ली सरकार को कमजोर करने वाले बिल को वापस लेने की मांग की।