नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को विपक्षी नेताओं की उस अपील पर निर्वाचन आयोग को नोटिस भेजा है जिसमें उन्होंने लोकसभा चुनावों के परिणामों की घोषणा होने से पहले प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र में ईवीएम के वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपीएटी) की 50 फीसदी पर्चियों की गिनती करने की मांग की थी.
बेंच की अध्यक्षता कर रहे चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने इस संबंध में कोर्ट की सहायता के लिए चुनाव आयोग से एक वरिष्ठ अधिकारी नियुक्त करने को कहा और मामले की अगली सुनवाई को 25 मार्च तक के लिए टाल दिया है.
गोगोई की अध्यक्षता वाली बेंच ने मामले को सुनवाई के लिए शुक्रवार को सूचीबद्ध किया था. याचिका में विपक्ष इसी तरह के मुद्दों को फरवरी में चुनाव आयोग में सूचीबद्ध कर उठा चुका है.
गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव शुरू होने में महज 4 हफ्ते बचे हैं, 20 से भी ज्यादा विपक्षी पार्टियां सुप्रीम कोर्ट इस मांग को लेकर चली गईं कि चुनाव परिणाम आने से पहले 50 फीसदी इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों के रिजल्ट का वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल्स (वीवीपैट्स) से मिलान किया जाय. चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता में इस मामले को सुनवाई के लिए शुक्रवार के लिए सूचीबद्ध किया था.
अपनी याचिका में विपक्षी पार्टियां फरवरी में इसी तरह वीवीपैट्स से संबंधित मुद्दे को चुनाव आयोग में ले जा चुकी हैं. इसे सर्वोच्च न्यायालय में ले जाने वाले विपक्षी नेताओं में एन. चंद्रबाबू नायडू सहित शरद पवार, अखिलेश यादव, शरद यादव, अरविंद केजरीवाल, डेरेक ओ-ब्रायन, एमके स्टालिन, फारूख अब्दुल्ला शामिल थे.
13 फरवरी को मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) सुनील अरोड़ा ने कहा था कि ‘अधिकतर पार्टियों’ ने ईवीएम में अपना भरोसा जताया है. उन्होंने हालांकि इसका खेद जताया कि कुछ तबकों ने इसे ‘जानबूझकर विवाद’ का मसला बना दिया है.