उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी (सपा) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) गठबंधन को लोकसभा चुनाव के दौरान उन सीटों पर आम आदमी पार्टी (आप) का समर्थन मिलने की संभावना है जहां पार्टी अपने उम्मीदवार चुनावी मैदान में नहीं उतार रही। लोकसभा चुनाव में आप कांग्रेस को भी समर्थन दे सकती है।
खबर है कि आप गठबंधन के बजाय उन सीटों पर कांग्रेस को समर्थन दे सकती है जहां उसके उम्मीदवार भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रत्याशी को हराने की मजबूत स्थिति में हों। हालांकि दिल्ली में आप और कांग्रेस की बीच गठबंधन नहीं हो सका। इसलिए दोनों पार्टी दिल्ली की सातों सीटों पर अलग-अलग उम्मीदवार उतारेंगी। भाजपा उम्मीदवारों की उपस्थिति के चलते दिल्ली में मुकाबला त्रिकोणीय होगा।
हालांकि आप आलाकमान अभी यह निर्णय नहीं ले सका है कि 80 सीटों वाले उत्तर प्रदेश में उसे कितने सीटों पर उम्मीदवार चुनावी मैदान में उतारने हैं। लोकसभा चुनाव में यूपी ऐसा एकलौता राज्य है जहां सातों चरण में चुनाव होने हैं। मगर पार्टी ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश में अपना उम्मीदवार खड़ा करने का निर्णय लिया है। आप के स्थानीय नेता योगेश दहिया सहारनपुर सीट से लोकसभा चुनाव लड़ेंगे।
आप के राज्य प्रवक्ता वैभव महेश्वरी ने बताया, ‘हमने अभी तक निर्णय नहीं लिया है कि यूपी में कितने सीटें पर चुनाव लड़ेंगे। सिर्फ सहारनपुर सीट के उम्मीदवार पर अंतिम निर्णय लिया गया है।’ महेश्वरी ने कहा, ‘उन सीटों पर जहां सपा-बसपा गठबंधन की तुलना में भाजपा प्रत्याशियों को हराने के लिए कांग्रेस के उम्मीदवार मजबूत स्थिति में हैं, AAP कांग्रेस का समर्थन करेगी।’
जानना चाहिए कि लोकसभा चुनाव के लिहाज से यूपी आप के लिए काफी मुश्किल रहा है। साल 2014 के लोकसभा चुनाव में पार्टी के करीब-करीब सभी उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई थी। आप के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, जिन्होंने नरेंद्र मोदी के खिलाफ वाराणसी चुनाव लड़ा, को छोड़कर पार्टी का कोई भी नेता चुनाव में अपनी छाप नहीं छोड़ सका। चुनाव में प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी को 5,81,022 वोट मिले जबकि केजरीवाल को 2,09,238 वोट मिले। चुनाव में मोदी ने 3,81,784 वोटों के बड़े अंतर से जीत हासिल की थी।