इलाहाबाद विश्वविद्यालय में कल विद्वत परिषद की बैठक में छात्र संघ को बंद करके छात्र परिषद को लागू करने का फैसला लिया गया। जिसके बाद से ही छात्रों में विश्वविद्यालय प्रशासन के खिलाफ रोष व्याप्त होने लगा था फैसला आने के बाद छात्रों द्वारा मीटिंग की गई जिसके बाद छात्रों को छात्रसंघ भवन पर बुलाया गया।
जिसके विरोध में सैकड़ों छात्र छात्रसंघ भवन पर इकट्ठा हुए, एकत्रित हुए छात्रों में छात्र परिषद को लेकर के काफी आक्रोश है । छात्रों का कहना है, लगातार सैकड़ों वर्षों से चली आ रही छात्र संघ की परंपरा को एकाएक अराजक बताकर खत्म करना छात्र संघ से निकले महान विभूतियों के वजूद को खत्म करने के बराबर है ।
विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा जब यह निर्णय लिया गया तभी से आम छात्र आपस में बैठक करने लगे व रणनीति के तहत छात्र संघ उपाध्यक्ष अखिलेश यादव की अगुवाई में कुलपति कार्यालय का घेराव किया गया व डीएसडब्ल्यू तथा कुलानुशासक को बंदी बनाया गया ।
समस्त छात्रों के साथ छात्रसंघ उपाध्यक्ष अखिलेश यादव ने डीएलडब्ल्यू व चीफ प्रॉक्टर को ज्ञापन भी सौंपा ।
छात्र संघ उपाध्यक्ष अखिलेश यादव का कहना है छात्र संघ समाज के हर वर्ग के लिए नेतृत्व की क्षमता पैदा करता है।
छात्र संघ से कई महान विभूतियां निकली हैं जो कि देश का राष्ट्रीय पटल पर नेतृत्व किया है ,ऐसे में इलाहाबाद विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा अपनी नाकामियों को छिपाने के लिए छात्र संघ का बैन किया जाना उस इतिहास का भी गला घोटना है जिस पर इलाहाबाद विश्वविद्यालय का प्रत्येक छात्र गर्व करता है। विश्वविद्यालय प्रशासन को अपने फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए।
छात्र नेता सौरभ सिंह बंटी का कहना है कि छात्र संघ को बंद करने का कुलपति का निर्णय यह बताता है कि वह विश्वविद्यालय के आंतरिक लोकतंत्र पर यकीन नहीं करते यही कारण है कि वह लोकतंत्र की हर संस्थान का निर्णय स्वीकार नहीं किया करते एमएचआरडी से लगातार उनकी कार्यप्रणाली पर प्रश्नचिन्ह उठता रहा है और उन्हें कई बार छुट्टी पर जाने का आदेश दिया जा चुका है क्युकी छात्र संघ इनके हर भ्रष्टाचार को उजागर करता है जिस कारण वह छात्र संघ को बंद करना चाहते है ताकि बे रोक टोक वह यहां भ्रष्टाचार कर सके।