नई दिल्ली: नागरिकता संशोधन बिल को लेकर छिड़ी राजनीतिक बहस के बीच आध्यात्मिक गुरु श्रीश्री रविशंकर ने केंद्र सरकार से करीब 1 लाख तमिल समुदाय के शरणार्थियों को नागरिकता देने की अपील की है। उन्होंने मंगलवार को सरकार से कहा कि वह पिछले तीन दशकों से देश में रह रहे श्रीलंकाई तमिलों को नागरिकता देने पर विचार करे। बता दें कि, श्रीश्री रविशंकर अपने आधिकारिक सोशल मीडिया अकाउंट ट्विटर पर एक पोस्ट शेयर कर सरकार से यह अपील की है।
उन्होंने ट्वीट किया, ‘मैं भारत सरकार से अनुरोध करता हूं कि वह देश में पिछले 35 वर्ष से शरणार्थियों की तरह रह रहे एक लाख से भी ज्यादा श्रीलंकाई तमिलों को नागरिकता देने पर विचार करे।’ रविशंकर ने यह अपील ऐसे वक्त में की है, जब एक दिन पहले ही लोकसभा में नागरिकता संशोधन विधेयक पारित हुआ है।
इस प्रस्तावित कानून के तहत हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदाय के वे लोग जो 31 दिसंबर, 2014 से पहले पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से भारत आए हैं और अपने देश में धर्म के आधार पर प्रताड़ना झेल चुके हैं, उन्हें अवैध प्रवासी नहीं माना जाएगा और उन्हें भारत की नागरिकता दी जाएगी।
क्या है नागरिकता संशोधन बिल?
नागरिकता संशोधन बिल लोकसभा में ‘नागरिकता अधिनियम’ 1955 में बदलाव के लिए लाया गया है। केंद्र सरकार ने इस विधेयक के जरिए अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के हिंदुओं, सिखों, बौद्धों, जैन, पारसियों और ईसाइयों को बिना वैध दस्तावेज के भारतीय नागरिकता देने का प्रस्ताव रखा है। इसके लिए उनके निवास काल को 11 वर्ष से घटाकर छह वर्ष कर दिया गया है। यानी अब ये शरणार्थी 6 साल बाद ही भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन कर सकते हैं।