नई दिल्ली : पूर्व केंद्रीय कृषि मंत्री सोमपाल शास्त्री ने कहा है कि पिछले 13 दिन से जो किसान आंदोलन चल रहा है उसके लिए पूरी तरह से केंद्र सरकार जिम्मेदार है.
कानून बनाने से पहले या बाद में कभी भी वो किसानों की शंकाओं का समाधान कर देती और उनकी मांगें लिखित रूप में मान लेती तो इतना बड़ा आंदोलन नहीं होता.
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शास्त्री ने बताया कि उनके सुझाव पर तत्कालीन PM वीपी सिंह ने कृषि क्षेत्र के विकास के लिए भानु प्रताप कमेटी बनाई थी, यह हाईपावर कमेटी थी, इसने सरकार को सिफारिश की थी कि एमएसपी को किसानों का वैधानिक अधिकार बनाया जाए.
एमएसपी का निर्धारण करने वाले कृषि लागत एवं मूल्य आयोग को संवैधानिक दर्जा देने की भी मांग की गई थी, ताकि उसकी सिफारिशें मानने के लिए सरकार बाध्य हो.
लेकिन आज तक यह मांग अधूरी है, कुछ ही दिन बाद वीपी सिंह सरकार चली गई इसलिए सिफारिशें लागू नहीं हो पाईं, आज भी किसान मुख्य रूप से इसी मांग को लेकर सड़क पर हैं.
मोदी सरकार किसानों को उनकी उपज का सही दाम नहीं दे रही है, क्योंकि स्वामीनाथन आयोग की सिफारिश को उसकी मूल भावना के साथ लागू नहीं किया गया है.
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उसकी परिभाषा बदलकर आधा-अधूरा ही लागू किया गया है, सरकार के वादे पूरे करने का रिकॉर्ड बेहद खराब है इसलिए अन्नदाता बयानों और वादों पर विश्वास नहीं कर पा रहे हैं.
अगर सही मायने में स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशें लागू हों तो गेहूं का रेट प्रति क्विंटल 2800-3000 होगा, इसी तरह धान का 2600 से 2800 रुपए तक जाएगा, जबकि अभी गेहूं का एमएसपी 1925 और धान का 1868 रुपए प्रति क्विंटल ही है.