मऊ (यूपी) : उत्तर प्रदेश में मऊ जिला मुख्यालय से लगभग 12 किलोमीटर दूर दक्षिण पश्चिम दिशा में प्रकृति के मनोरम एवं रमणीय परिवेश में स्थित है जगत जननी सीता माता का मन्दिर वनदेवी।
आज यह स्थान श्रद्धालुओं के आकर्षण का केन्द्र बिन्दु है। वनदेवी मन्दिर अपनी प्राकृतिक गरिमा के साथ-साथ पौराणिक एवं सांस्कृतिक मूल्यों का प्रेरणा स्रोत भी है। जनश्रुतियों एवं भौगोलिक साक्ष्यों के आधार पर यह स्थान महर्षि बाल्मिकी की साधना स्थली के रूप में विख्यात रहा है। महर्षि का आवास इसी स्थान के आस-पास कहीं रहा होगा।
ये भी पढ़ें : लेख : न्यूयार्क टाइम्स के झूठे हैं तो क्या मोदी सरकार के आँकड़े सही हैं? : रवीश कुमार
कहा जाता है कि माता सीता ने भी अपने अखण्ड पतिव्रत धर्म का पालन करते हुए यहीं पर अपने पुत्रों लव-कुश को जन्म दिया था। यह स्थान साहित्य साधना के आदि पुरुष महर्षि बाल्मिकी एवं सम्पूर्ण भारतीयता का प्रतीक भगवान राम तथा माता सीता से जुड़ा हुआ है।
जनश्रुति के अनुसार समीप के ही नरवर गाँव के रहने वाले सिधनुआ बाबा को स्वप्न दिखाई दिया कि देवी की प्रतिमा जंगल में जमीन के अन्दर दबी पड़ी है। देवी ने बाबा को उक्त स्थल की खुदाई कर पूजा पाठ का निर्देश दिया।
स्वप्न के अनुसार बाबा ने निर्धारित स्थल पर खुदाई प्रारम्भ की तो उन्हें मूर्ति दिखाई दी। बाबा के फावड़े की चोट से मूर्ति क्षतिग्रस्त भी हो गयी। बाबा जीवन पर्यन्त वहाँ पूजन-अर्चन करते रहे। वृद्धावस्था में उन्होंने उक्त मूर्ति को अपने घर लाकर स्थापित करना चाहा लेकिन सफल नहीं हुए और वहीं उनका प्राणांत हो गया। बाद में वहाँ मन्दिर बनवाया गया।
ये भी पढ़ें : पाकिस्तान में उठी काली आँधी के ख़तरे!
यहाँ के साधकों के तीसरी पीढ़ी में बाबा दशरथ दास का नाम बड़े आदर से लिया जाता है। ये अपनी अपूर्व एवं आलौकिक सिद्धियों के कारण विशेष चर्चित रहे है। बाबा ने यहाँ बलि प्रथा बंद करायी तथा धार्मिक एवं सामाजिक सुधार के बड़े महत्वपूर्ण कार्य कराये।
यहाँ श्रद्धालुजन वर्ष पर्यन्त आते रहते हैं लेकिन अश्विन एवं चैत्र नवरात्रि में जन सैलाब उमड़ पड़ता है। चैत्र राम नवमी के अवसर पर यहाँ विशाल मेले का भी आयोजन होता है जो कई दिनों तक चलता रहता है।