नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव में हार के बाद कांग्रेस में लगातार इस्तीफों का दौर जारी है। कई दूसरे नेताओं के अलावा कांग्रेस अध्यक्ष पद से राहुल गांधी ने भी इस्तीफा दे दिया है। कुछ नेताओं के खिलाफ पार्टी के भीतर से ही विरोध की आवाज उठ रही है। मध्य प्रदेश सरकार में मंत्री इमरती देवी ने कमलनाथ को प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष पद से हटाने की मांग की है। इमरती देवी ने कहा है कि प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी ज्योतिरादित्य सिंधिया को दी जाए।
मालूम हो कि मुख्यमंत्री कमलनाथ ने पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफे की पेशकश प्रदेश कांग्रेस प्रभारी दीपक बावरिया के सामने की है। बावरिया ने इसे अस्वीकार करते हुए पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी से बात करने की सलाह दी है।
विधानसभा चुनावों से पहले कमलनाथ को पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया था। विधानसभा चुनावों से पहले निष्क्रिय पड़ी पार्टी को खड़ा करने में कमलनाथ का अहम योगदान माना जाता है। विधानसभा चुनावों में जीत के बाद भी वह मुख्यमंत्री के साथ ही प्रदेश अध्यक्ष भी बने रहे। मध्यप्रदेश में सरकार बनने केचार महीने बाद हुए लोकसभा चुनावों में कांग्रेस को करारी हार झेलनी पड़ी। वहीं, भाजपा ने प्रदेश की 28 सीटों पर जीत हासिल की।कांग्रेस के खाते में केवल छिंदवाड़ा सीट ही आईहै।
सिंधिया को बनाया जाए प्रदेश अध्यक्ष: इमरती
मध्य प्रदेश की महिला एवं बाल विकास मंत्री इमरती देवी ने कहा कि ज्योतिरादित्य सिंधिया को प्रदेश अध्यक्ष की कमान मिलनी चाहिए। उन्होंने कहा कि वो राहुल गांधी से मांग करेंगी कि सीएम कमलनाथ से प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी लेकर ज्योतिरादित्य सिंधिया को प्रदेश अध्यक्ष बनाया जाए। मध्य प्रदेश की 29 में से 28 सीटों पर हालिया लोकसभा चुनाव में भाजपा की जीत हुई है। कांग्रेस को एक सीट मिल सकी है।
इमरती देवी को मध्य प्रदेश कांग्रेस में ज्योतिरादित्य का करीबी माना जाता है। लोकसभा चुनाव में सिंधिया की हार को लेकर इमरती देवी ने ईवीएम पर सवाल उठाए हैं। इमरती ने कहा कि गुना-शिवपुरी में ज्योतिरादित्य सिंधिया का हार जाएं, ये उन्हें मुमकिन नहीं लगता। क्षेत्र की जनता ने उन्हें वोट दिया लेकिन ईवीएम के चलते वो हारे।
मालूम हो कि राहुल गांधी ने बुधवार को कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया है।लोकसभा चुनाव में पार्टी की हार के बाद राहुल गांधी ने कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा की पेशकश की थी। जिसके बाद से पार्टी नेता उनको पार्टी पर बने रहने के लिए कह रहे थे। करीब एक महीने से यही स्थिति बनी हुई थी और उनको मनाने का दौर जारी था लेकिनबुधवार को राहुल ने इस्तीफे का ऐलान कर दिया।