सुप्रीम कोर्ट ने सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश के मामले में सुप्रीम कोर्ट की बड़ी बेंच के पास भेज दिया है। मंदिर का कपाट खुल गया है, लेकिन 10 से 50 वर्ष की उम्र की महिलाओं को प्रवेश नहीं दिया जा रहा है। शनिवार को पुलिस ने पंबा की 10 महिलाओं को वापस भेज दिया। ये महिलाएं आंध्र प्रदेश से मंदिर में पूजा करने के लिए आई थीं।
केरल सरकार ने कहा था कि वह पब्लिसिटी के लिए आने वाली महिलाओं का समर्थन नहीं करती। उन्हें पुलिस सुरक्षा नहीं मिलेगी। केरल के पर्यटन और देवस्वोम मंत्री कडकमपल्ली सुरेंद्रन ने कहा कि सबरीमाला पूजा का स्थान है न कि प्रदर्शन का। यहां पर तृप्ति देसाई जैसी कार्यकर्ताओं के लिए अपनी ताकत दिखाने के लिए कोई जगहनहीं है। इसलिए राज्य सरकार मंदिर में ऐसे किसी भी व्यक्ति के प्रवेश का समर्थन नहीं करेगी जो वहां सिर्फ लोकप्रियता के मकसद से आया है।
केरल सरकार महिलाओं के खिलाफ काम कर रही
सामाजिक कार्यकर्ता तृप्ति देसाई ने कहा कि सरकार ने महिलाओं को सुरक्षा नहीं देने की बात कही थी, इसीलिए वे बिना सुरक्षा के सबरीमाला जा रही हैं। अब पुलिस के द्वारा उन्हें रोका जा रहा है। सरकार पूरी तरह से महिलाओं के खिलाफ काम कर रही है। इससे पहले तृप्ति ने कहा था कि 2018 में सबरीमाला पर दिएफैसलेपर कोई रोक नहीं लगाई गई है। सरकार हमें सुरक्षा मुहैया कराए या नहीं,हम 20 नवंबर के बाद वहां जाएंगे। जो यह कहते हैं कि हमें पुलिस सुरक्षा के लिए कोर्ट से आदेश लाना चाहिए। वे कोर्ट के आदेश का उल्लंघन कर रहे हैं।