नई दिल्ली : शिवसेना नेता संजय राऊत ने पलटवार करते हुए कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी की अगुआई में NDA 33 अलग-अलग विचारधारा वाली पार्टियों का गठबंधन था, राऊत ने कहा कि किसी ने भी उस गठबंधन को अस्वाभाविक नहीं बताया.
राऊत ने कहा, ‘अगर कोविड-19, लॉकडाउन, बाढ़, साइक्लोन निसर्ग की चुनौतियां नहीं रही होतीं तो राज्य सरकार ने प्रदेश की सूरत ही बदल दी होती.ह
में ये याद रखना चाहिए कि पूर्व PM वाजपेयी के पास NDA के तले 33 राजनीतिक पार्टियों का गठबंधन था और सबकी विचारधारा अलग-अलग थी, और किसी ने भी उस सरकार को अस्वाभाविक नहीं कहा.’
ये भी पढ़ें : आजम खान की बढ़ी मुश्किलें, अब BJP नेता ने मुमताज पार्क का नाम बदलने की मांग
देवेंद्र फड़नवीस ने शिवसेना की अगुआई वाली सरकार पर हमला करते हुए कहा था कि राज्य सरकार हर मोर्चे पर फेल रही है, उन्होंने कहा कि कोविड महामारी, किसानों के मुद्दे और विकास से जुड़े प्रोजेक्ट्स के मोर्चे पर ये सरकार नाकाम रही है.
राऊत ने कहा कि महाराष्ट्र में BJP के बहुत सारे नेता कहते हैं कि सरकार गिर जाएगी, लेकिन कैसे गिरेगी इस पर वे चुप हो जाते हैं, वे इस बात को रहस्य की तरह छुपा कर रखते हैं.
राऊत ने आरोप लगाते हुए कहा, ‘वे लोग सीबीआई और ईडी जैसी केंद्रीय जांच एजेंसियों पर निर्भर हैं, इन एजेंसियों का इस्तेमाल करके सरकार को अस्थिर करने की कोशिश हो रही है, अवैध निर्माण और आत्महत्या करने वालों को ढाल बनाया जा रहा है.’
राऊत ने कहा कि मध्य प्रदेश जैसी कोशिशें हो रही हैं, लेकिन राजस्थान में ये फेल हो गया, मध्य प्रदेश में ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस छोड़ने और बीजेपी जॉइन करने के बाद राज्य में कमलनाथ सरकार गिर गई.
ये भी पढ़ें : मन की बात: PM मोदी ने कहा- ‘नए कृषि कानून से किसानों को उनके अधिकार मिले’
जबकि राजस्थान में सचिन पायलट के बागी होने के बावजूद गहलोत सरकार बच गई और सचिन पायलट अभी भी कांग्रेस में बने हुए हैं.
राऊत ने कहा कि जहां पूर्ण बहुमत होता है तब भी सरकारों के भीतर मनमुटाव होता है, लेकिन महाराष्ट्र में तो तीन पार्टियां हैं, गठबंधन में मंत्री और विधायक हैं, जिनकी समस्याएं हैं और मुख्यमंत्री इन समस्याओं को हल करते हैं.
महाराष्ट्र में सरकार गठन की बारीकियों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि शरद पवार ने कभी भी बीजेपी चीफ अमित शाह के साथ सीक्रेट मीटिंग नहीं की थी और ना ही वो बीजेपी के साथ मिलकर गठबंधन की सरकार बनाना चाहते थे.
तीनों पार्टियों के सीनियर नेताओं के बीच 22 नवंबर को नेहरू सेंटर में बैठक हुई थी, इस मीटिंग में शरद पवार और मल्लिकार्जुन खड़गे के बीच तनाव देखा गया था, बाद में शरद पवार बैठक से निकल गए तो अजीत पवार भी थोड़ी देर बाद निकल लिए.