बिहार में होने वाले एक लोकसभा और पांच विधानसभा सीटों पर हो रहे उपचुनावों को लेकर माहौल गर्म हो रहा है। 2020 के विधानसभा चुनाव का सेमीफाइनल माने जा रहे उपचुनाव में सीट शेयरिंग को लेकर महागठबंधन में शामिल दलों के बीच बीच तलवारें खिंच गई हैं। आरजेडी-कांग्रेस ने अपनी अलग-अलग राजनीतिक राह पकड़ ली है तो हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा और वीआइपी एक साथ हो गए हैं। जबकि उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी आरएलएसपी कशमकश में है।
आपको बता दें कि बिहार में समस्तीपुर लोकसभा के अलावा किशनगंज , सिमरी बख्तियारपुर , नाथनगर , दरौंद-I और बेलहर की विधानसभा सीटों पर मतदान होगा। समस्तीपुर लोकसभा सीट को लेकर जहां एनडीए से लोक जनशक्ति पार्टी का उम्मीदवार होगा वहीं आरजेडी ने यह सीट कांग्रेस पार्टी को देने का मन बनाया है। लेकिन जहां एनडीए में किशनगंज सीट बीजेपी अपना उम्मीदवार उतारेगी वही बाक़ी के चार सीटों पर जेडीयू ने अपना उम्मीदवार तय कर लिया है।
इससे पहले RJD कांग्रेस को लेकर अपने रिश्तों को याद दिलाते हुए मनोज झा ने कांग्रेस को पुराने दिन और रिश्ते की याद दिलाई। कांग्रेस के नेताओं के ड्राइविंग सीट पर कांग्रेस वाले बयान पर झा ने कहा कि ड्राइविंग सीट तो प्रतीक है। इस सीट पर जनता बैठाती है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस आलाकमान के साथ हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष और दल का ऐसा नैसर्गिक रिश्ता है जो शायद कांग्रेस वाले भी जानते हैं। जब कांग्रेस के बड़े नेता भी सोनिया जी के पक्ष में खड़े नहीं खड़े हो रहे थे तो लालू जी ने एक मिनट का समय नहीं लिया और वो उनके साथ खड़े हुए थे।
उपचुनाव को लेकर दोनों दलों के नेताओं का कहना है कि आरजेडी के शीर्ष नेताओं को उन्होंने दो महीने पहले ही बता दिया था कि इन दोनों सीटों पर उनकी पार्टी की तरफ़ से तैयारी चल रही है लेकिन अगर आरजेडी को ये सीटें नहीं देनी थी तो पहले बताना चाहिए थाा। फ़िलहाल इन सभी राजनीतिक उठापटक के बीच जहां एनडीए और अधिक मज़बूत हुआ हैं वहीं महागठबंधन और कमज़ोर।