साल-2014 में सत्ता में आने के बाद मोदी सरकार ने अब कोई ऐसा काम नहीं किया है जिससे देश को आर्थिक और सामाजिक स्तर पर नुकसान नहीं उठाना पड़ा है। नोटबंदी हो या जीएसटी, सीएए हो या कृषि बिल। हर कानून में देश के आर्थिक तरक्की तो बाधित हुई ही है देश का ताना बाना भी टूटा है। और कहीं ऐसा ना हो कि मोदी सरकार की अग्निपथ योजना भी फायदा के बजाय देश को मुशीबत में डाला दे। ऐसा हम नहीं कह रहे हैं, ऐसा देश के बड़े-बड़े रक्षा विशेषज्ञ कह रहे हैं।
इस सबंध में सेना के रिटायर्ड अधिकारी लेफ्टिनेंट जनरल विनोद भाटिया ने कहा कि ये योजना नई है . इससे पहले कभी कोई पायलट प्रोजेक्ट किया गया है. हमारी फौज बड़ी ही प्रभावशाली है। इसकी ताकत का लोहा पूरी दुनिया मानती है। चाहे करगिल हो या फिर जम्मू कश्मीर, नॉर्थ-ईस्ट हो या चीन के साथ सिचुएशन हो. हमारी जो सबसे बड़ी ताकत थी वह एक सैनिक है एक सेलर है और एक एयरमैन है, लेकिन आज हम उसी को बदल रहे हैं. रिक्रूटमेंट क्राइटेरिया वही है, लेकिन हम सेवा की शर्तों को बदल रहे हैं.
उन्होंने कहा कि पहले एक फौजी 2 से 3 साल तैयारी करके रिक्रूटमेंट लेकर आता था और सोचता था कि मैं जिंदगी भर यहां रहूंगा, लड़ूंगा. लेकिन अब वह 2 से 3 साल तैयारी करके सिर्फ 4 साल के लिए क्यों आएगा बल्कि अब वह दूसरी सरकारी नौकरियों में जाएगा. ऐसे में हमें बेहतर जवान नहीं मिलेंगे.
उन्होंने कहा कि हमारा जो रेजिमेंटल सिस्टम है, वह काम करता है. उनकी एक यूनिट की इज्जत है. चाहे वर्ल्ड वॉर देख लीजिए. हमारे जो सैनिक लड़े थे, वह ब्रिटिश आर्मी के लिए नहीं, अपनी यूनिट के लिए लड़े थे. सारागढ़ी की लड़ाई में भी हमारे जवान अपनी यूनिट के लिए लड़े थे. करगिल की लड़ाई में भी विक्रम बत्रा ने कहा था यह दिल मांगे मोर, ये उन्होंने अपनी यूनिट के लिए बोला था. आज हम उसी ताकत को बदलने की कोशिश कर रहे हैं. ऐसा जवान रिस्क नहीं लेगा और सोचेगा 4 साल बाद काम करके मैं घर चला जाऊंगा. इसलिए बहुत सारे पहलुओं को देखने की जरूरत है.
साल 2030 में आधे से ज्यादा होगें अग्निवीर
भाटिया ने आगे कहा कि आज से 10-15 साल बाद देखेंगे सेना में आधे से ज्यादा अग्रनिवीर हो जाएंगे, 2030 में तब क्या होगा. हमारी सबसे बड़ी ताकत हमारे सोल्जर हैं, हम उसी को बदल रहे हैं. जब अग्निवीर रिटायर होकर घर गांव जाएगा तो उसे वो इज्जत नहीं मिलेगी. लोग कहेंगे इसे रिजेक्ट कर दिया गया है. नई नौकरी मिलेगी या नहीं. ये सब सामाजिक समस्याएं खड़ी करेंगे. हम सोच रहे हैं फौज में जाकर वैल्यू सीखेगा, लेकिन यह उल्टा भी पड़ सकता है. अगर 10-15 फीसदी भी उल्टे पड़ गए तो कानून व्यवस्था खराब हो जाएगी और समाज का मिलिटिराइजेशन होने लगेगा.
बीएसएफ के रिटायर्ड एडिशनल डीजी संजीव कृष्ण ने इस योजना के बारे में कहा कि अग्निवारों को ट्रेंड करने में काफी समय लग जाता है. इसलिए उनकी सर्विस का जब तक समय आएगा तब तक उनके रिटायरमेंट का समय पूरा हो जाएगा. इन्हीं 4 साल के अंदर 6 महीने ट्रेनिंग भी होगी और तीन चार महीने या छुट्टी पर भी जाएंगे. ऐसे में उनकी सर्विस जो मिलेगी सिर्फ 3 साल की मिलेगी. अभी जो ड्यूटी है वह 17 साल की है और जो अनुभव 16-17 साल काम करने वाले जवान के पास होता है वह इनके पास नहीं होगा. साथ ही इनको पता है कि 4 साल में इनको चले जाना है. ऐसे में इनमें कमिटमेंट की कमी होगी.
तकनीकी विभाग में चार साल में नहीं हो पाएंगे तैयार
संजीव ने कहा कि सेना की टेक्नोलॉजिकल ब्रांच की ट्रेनिंग में अधिक समय लगता है. इस योजना के तहत आने वाले लोग 4 साल में तैयार नहीं हो पाएंगे. इससे सेना की क्षमता पर असर पड़ेगा साथ ही जो रेजिमेंटेशन होती थी जिसमें कमांडर और ट्रूप्स एक दूसरे को बहुत अच्छी तरह जानते थे. मैंने बीएसएफ बटालियन कमांड की है. मैं यकीन के साथ कह सकता हूं कि मैंने 1036 जवानों को नाम से या उनके कार्य से अच्छी तरह पहचानता हूं, लेकिन अब यह संभव नहीं होगा.
अग्निवीरों को फिर देनी होगी ट्रैनिंग
अर्द्धसैनिक बलों में 11 लाख जवान हैं. इनमें हर जवान 60 साल तक नौकरी कर सकता है और वीआरएस ले सकता है. लेकिन इस टूर से 75 फीसदी जवान आएंगे, उनके लिए हर साल वैकेंसी क्रिएट नहीं हो सकती. कई बार पैरामिलिट्री को लॉयन ऑर्डर ड्यूटी में भी लगाया जाता है. ऐसे में हमें सॉफ्ट स्किल की ज्यादा जरूरत पड़ती है इसलिए सेना से आने वाले इन जवानों को हम फिर से ट्रेनिंग देनी होगी. उससे भी ज्यादा जो आर्मी आर्टिलरी जैसी तकनीकी ब्रांच से निकल कर के आएंगे उन्हें पूरी तरह फिर से ट्रेनिंग देनी होगी. अगर सरकार यह सोचती है कि ट्रेनिंग में बचत हो जाएगी तो ये गलत है.
रिटायर्ड विंग कमांडर प्रफुलल् बख्शी ने भी इस योजना में कई कमियां बताईं. उन्होंने कहा कि चार साल बाद एक युवा को जब तक एयर फोर्स में ट्रेनिंग और तकनीकी ट्रेनिंग का कोर्स पूरा होगा, तब तक उसके रिटायरमेंट का समय आ जाएगा. ऐसे में एयरफोर्स उसकी सुविधाएं कैसे ले पाएगी.
उन्होंने कहा कि सेनाओं की तकनीकी कोर में 4 साल में ट्रेनिंग नहीं हो पाती और बेहतर सैनिक बनने के लिए समय लगता है. ऐसे में रेजिमेंटल भावना और बेहतर सैनिक गुणवत्ता 4 साल में पूरी नहीं हो पाएगी. साथ ही वह जवान खुद को रिस्क में भी नहीं डालेगा.
वहीं वरिष्ठ पत्रकार मंजूर अहमद का कहना है कि देखा जाए तो जम्मू-कश्मीर और पूर्वोत्तर के कई राज्यों की कानून व्यवस्था पूरी तरह से ठीक नहीं है. ऐसे में यदि ये अग्रिवीर देश के विभिन्न हिस्सों में फैले देश विरोधी तत्वों के साथ जुड़ गए तो देश के लिए एक बड़ी समस्या खड़ी हो जाएगी।
बता दें कि देश के युवाओं को सेना से जोड़ने के लिए केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 14 जून को अग्निपथ स्कीम की घोषणा की है. पूर्वी कमान के चीफ ऑफ स्टाफ लेफ्टिनेंट जनरल केके रेप्सवाल ने बताया कि अग्निपथ योजना के तहत अगले तीन में महीने में युवाओं की भर्ती शुरू हो जाएगी.