नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर में फिलहाल विधानसभा चुनाव होने की कोई संभावना होती नजर नहीं आ रही है। बुधवार के केंद्रीय कैबिनेट ने जम्मू कश्मीर में राज्यपाल शासन की अवधि और 6 महीने के लिए बढ़ा दी है। राज्य में मुफ्ती सरकार गिरने के बाद राज्यपाल शासन लागू हो गया था। जिसके बाद उसे आगे बढ़ाते हुए रियासत में राष्ट्रपति लागू कर दिया था। जिसकी अवधि 3 जुलाई को समाप्त हो रही थी। आज हुई केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में राष्ट्रपति शासन को 6 महीने के लिए और बढ़ा दिया गया।
सूत्रों के मुताबिक, राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने पिछले दिनों केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के साथ सूबे से जुड़े अन्य मुद्दों के साथ साथ इस बावत भी विचार-विमर्श किया था। जिसक बाद बुधवार को हुई कैबिनेट की बैठक में राष्ट्रपति शासन को अगले 6 महीने के बढ़ाने को मंजूरी दी गई। बता दें कि, 1 जुलाई से पवित्र अमरनाथ यात्रा शुरू हो रही है, जो 15 अगस्त तक चलेगी। इसके के बाद केंद्रीय चुनाव आयोग सूबे में विधानसभा चुनाव कराए जाने को लेकर हालात का जायजा लेने की कवायद शुरू कर सकता है।
गौरतलब है कि सूबे में गत वर्ष 19 दिसम्बर को राष्ट्रपति शासन लागू करने का ऐलान किया गया। परंतु उससे संसद की मंजूरी 3 जनवरी को मिली। गत वर्ष 21 नवम्बर को सूबे में उस वक्त राष्ट्रपति शासन लागू किए जाने का ऐलान किया गया जब भाजपा की मदद से पीपुल्स कांफ्रेंस के सज्जाद लोन और नेंका व कांग्रेस की मदद के दावे से पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती अपने अपने ढंग से राज्य में सरकार बनाने का दावा पेश करने वाली थीं। तभी राज्यपाल की ओर विधानसभा को भंग कर राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने का ऐलान कर दिया गया था। जिसका राजनीतिक दलों ने विरोध जताया था।
बता दें कि, जम्मू कश्मीर में राष्ट्रपति शासन लागू हो जाने के बाद राज्यपाल की सारी विधायी शक्तियां संसद के पास होती हैं और कानून बनाने का भी अधिकार संसद के पास रहता है। नियमानुसार राष्ट्रपति शासन में बजट भी संसद से ही पास होता है। राष्ट्रपति शासन में राज्यपाल अपनी मर्जी से नीतिगत और संवैधानिक फैसले नहीं कर पाते हैं। इसके लिए उन्हें केंद्र से अनुमति लेनी होती है।