हिसाम सिद्दीकी
कांग्रेस लीडर राहुल गांधी महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश की सरहद पर अपनी भारत जोड़ो यात्रा छोड़कर सिर्फ दो रैलियों के लिए गुजरात गए, सूरत और राजकोट में उन्होने दो रैलियां करके गुजरात एलक्शन का माहौल पूरी तरह तब्दील कर दिया।
सूरत के आदिवासी असम्बली हलके के अनाविल गांव में एक बड़ी रैली करके उन्होंने कहा कि हम आपको आदिवासी कहते हैं जिसका मतलब है कि यह देश आपका है, लेकिन बीजेपी आपको ‘वनवासी’ कहती है जिसका मतलब होता है जंगल में रहने वाले लोग, जिन्हें शहरों में आने, अपने बच्चों को तालीम दिलाने, उन्हें अच्छी जगह मुलाजिमत दिलाने, अच्छे इलाज और बेहतर तालीम हासिल करने का हक नहीं है। आपके जंगल भी छीन कर मोदी के दो-तीन कारोबारी दोस्तों को दिए जा रहे हैं।
राहुल से पहले वजीर-ए-आजम नरेन्द्र मोदी और अमित शाह दर्जनों रैलियां कर चुके थे लेकिन राहुल गांधी की एक तकरीर ने आदिवासियों पर जो असर डाला उससे परेशान होकर मोदी ने भी अपनी जुबान (भाषा) बदली, भडू़च जिले के जबूसार की एक पब्लिक मीटिंग में मोदी आखिरी दस मिनट सिर्फ आदिवासियों पर बोले, वहां उन्होने वनवासी के बजाए आदिवासी लफ्ज का इस्तेमाल किया। दस मिनट में उन्होने अट्ठावन बार आदिवासी कहा और आदिवासियों को भगवान राम से भी जोड़ा। इस वाक्ए से पूरे गुजरात में यह मैसेज गया कि वजीर-ए-आजम नरेन्द्र मोदी, कांग्रेस लीडर राहुल गांधी से डर गए। डरे भी क्यों न, महुवा असम्बली सीट के आदिवासियों ने कुछ टीवी चैनलों के साथ बात करते हुए गुजरात माडल की सारी पोल पट्टी खोल दी।
सूरत शहर से महज अस्सी किलोमीटर के फासले पर बसे गांव के आदिवासियों ने बताया कि उन्हें अभी तक पीने का पानी नहीं मिल रहा है। उनके पास टायलेट नहीं है, ख्वातीन और छोटी-छोटी बच्चियांं को टायलेट के लिए जंगलों में जाना पड़ता है जो बहुत खतरनाक है।
गुजरात असम्बली एलक्शन से मुताल्लिक आरएसएस और बीजेपी ने जितने इंटरनल सर्वे करवाए हैं खबर है कि उन सबमें बीजेपी की हालत बहुत कमजोर बताई गई। इसीलिए वजीर-ए-आजम नरेन्द्र मोदी और अमित शाह गुजरात की गलियों में घूम रहे हैं।
कांग्रेस लीडर मधुसूदन मिस्त्री ने अपनी एक तकरीर में कह दिया था कि इस एलक्शन में हम मोदी को उनकी औकात बता देंगे। मोदी ने इसी बात को पकड़ लिया और गुजरातियां से यह कहते फिर रहे हैं कि हम तो गरीब घर के हैं इस लिए कांग्रेस हमारी औकात की बात कर रही है।
याद रहे कि 2017 के असम्बली एलक्शन के दौरान कांग्रेस लीडर मणिशंकर अय्यर ने मोदी को ‘नीच आदमी’ कह दिया था तो मोदी ने उसे एलक्शन मुद्दा बना लिया था। अब वह औकात को एलक्शन का मुद्दा बना रहे हैं। इसी से जाहिर होता है कि उनके पास अवाम से मुताल्लिक न कोई मुद्दा है न अवाम को बताने के लिए कोई कामयाबी। वह सिर्फ जज्बाती मुद्दों के भरोसे एलक्शन जीतना चाहते हैं। देश की तारीख (इतिहास) में कोई भी वजीर-ए-आजम किसी भी असम्बली एलक्शन में इस तरह नहीं लगा जैसे मोदी लगे हुए हैं। वह खुद ही नहीं लगे हैं उन्होने अपनी पार्टी के कई चीफ मिनिस्टर्स, अमित शाह और साठ से ज्यादा वजीरों और लीडरों को गुजरात में उतार रखा है। पच्चीस साल से ज्यादा वक्त से गुजरात में बीजेपी हुकूमत है इसके बावजूद बीजेपी आज भी राम मंदिर और हिन्दू-मुस्लिम के मुद्दे पर गुजरात का एलक्शन लड़ रही है।
राहुल गांधी ने सूरत जिले की अपनी पहली रैली में कहा कि भारत जोड़ो यात्रा के दौरान किसानों, नौजवानों, आदिवासियों और कमजोर तबके के लोगों से मिलने और उनकी बात सुनने के बाद उन्हें इन तबकों का दर्द महसूस हुआ। उन्होने कहा कि आदिवासी इस देश के पहले मालिक हैं। लेकिन बीजेपी उनके हुकूक को छीनने का काम कर रही है।
बीजेपी कभी उन्हें देश का पहला मालिक नहीं मानती। इसीलिए उन्हे वनवासी कहती है। मतलब यह कि आप जंगल में रहते हो, बीजेपी जंगलों को अपने दोस्तों को भी सौंप रही है साथ ही यह भी चाहती है कि आप जंगलों में ही फंसे रहे, शहरों की सहूलतें आपको न मिल सकें आपके बच्चे इंजीनियर, डाक्टर, पायलेट और अंग्रेजी बोलने वाले न बन सकें। उन्होने कहा कि अगर हालात ऐसे ही रहे और बीजेपी की सत्ता कायम रही तो अगले पांच से दस सालों में तमाम जंगलात पर उनके दो-तीन कारोबारी दोस्तों का कब्जा होगा।
आपके पास रहने की कोई जगह नहीं बचेगी। आपके बच्चों को तालीम, हेल्थ खिदमात और नौकरियां नहीं मिलेंगी। राजकोट की रैली में राहुल ने मोरबी के पुल का मामला उठाते हुए कहा कि उस हादसे में डेढ सौ से ज्यादा लोगों की जान चली गई थी जिनमें तकरीबन पचास बच्चे थे। उस वक्त मीडिया ने हमसे सवाल किया था तब मैंने यही कहा था कि यह एक दर्दनाक हादसा है हम इसपर कोई सियासत नहीं करना चाहते। लेकिन अब मजबूरन यह पूछना पड़ रहा है कि आखिर पुल टूटने के जिम्मेदारों के खिलाफ क्या कार्रवाई हुई। चौकीदारों और सिक्योरिटी गार्डों के गिरफ्तार कर लिया गया लेकिन जो असल जिम्मेदार हैं उनके खिलाफ रिपोर्ट भी नहीं लिखी गई।
गुजरात के हालात से परेशान दिख रहे नरेन्द्र मोदी ने राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा पर तंज करते हुए कहा कि जिन लोगों को सत्ता से बेदखल कर दिया गया वह अब सत्ता में वापसी के लिए यात्रा कर रहे हैं। उन्होने कहा कि कांग्रेस ने मुझे औकात दिखाने की बात कही है, यकीनन वह शाही खानदान के लोग हैं और मैं एक अवामी खिदमतगार, मेरी कोई औकात नहीं है।
मोदी को इस एलक्शन में औकात बताने की बात कांग्रेस के किसी शाही परिवार के लीडर ने नहीं कही थी यह बात आरएसएस में मोदी के पुराने साथी रहे मधुसूदन मिस्त्री ने कही थी। लेकिन झूट को सच बनाने में माहिर हो चुके मोदी ने इसे कांग्रेस के शाही परिवार से जोड़ दिया। मोदी कुछ भी कहें, राहुल गांधी की सूरत रैली के बाद जब वह भड़ूच जिले के जाबूसार शहर में चुनावी रैली करने पहुंचे तो उनकी तकरीर पर राहुल की बातों का पूरा असर दिखा। उन्होने कहा कि कबायली तबकों (आदिवासियों) के सवाल पर कांग्रेसी हमेशा लापरवा रहे जबकि यह तबका भगवान राम और कृष्ण के जमाने से ही इस देश में रह रहा है। 1857 की आजादी की जंग में भी इन तबकों ने बढकर हिस्सा लिया था।
मरकजी होम मिनिस्टर अमित शाह तो वोटों के लिए पूरी तरह हिन्दू-मुस्लिम पर उतर आए। द्वारिका की एक मीटिंग में उन्होने यहां तक कह दिया कि पावागढ में बरसों से एक मजार था जिसे हमारी सरकार ने तोड़ कर वहां काली माता का मंदिर बना दिया, क्या कांग्रेस कभी ऐसा कर सकती थी। उन्होने द्वारिका जिले के एक जजीरे बेटद्वारिका में बने तमाम मजारों और दरगाहों को खत्म करने का वादा करते हुए कहा कि देवभूमि इलाके में बनी यह तमाम मजारे और दरगाहें फर्जी हैं। लोगों ने मजार और दरगाहों के बहाने कीमती जमीनों पर नाजायज कब्जे कर रखे हैं। हमारी सरकार उन तमाम नाजायज कब्जों को हटाएगी।
एलक्शन के जवाबित (नियमों) के मुताबिक कोई भी उम्मीदवार या पार्टी लीडर चुनावी मुहिम की तकरीरों में मजहब और जात-पात की बात नहीं कर सकता, लेकिन अमित शाह की बातों पर एलक्शन कमीशन पूरी तरह अंधा बौरा बना हुआ है। मजारों और मंदिरों का जिक्र करने वाली उनकी तकरीर पर एलक्शन कमीशन ने उन्हें एक नोटिस तक नहीं दिया। यह वही एलक्शन कमीशन है जिसने आजम खां पर हेट स्पीच का मामला बनाकर एमएलए/एमपी कोर्ट के जरिए उनकी असम्बली मेम्बरशिप खत्म करा दी और अगले छः सालों तक वोट देने का उनका संवैधानिक हक भी छीन लिया।