उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले से भाजपा विधायक शलभ मणि त्रिपाठी ने दो दिन पहले ट्विटर पर एक वीडियो साझा किया था। इसमें यूपी पुलिस थाने के अंदर युवकों को लाइन पर खड़ा कर लाठी- डंडों से बेहरमी से पीट रही है. इस वीडियो को शेयर करते हुए विधायक ने कैप्शन दिया था “दंगाइयों के लिए रिटर्न गिफ्ट. वहीं अब जब इस वीडियो के जांच कराने की बात आ रही है तो सहारनपुर पुलिस ने इस वीडियो से पल्ला झाड़ लिया है। पुलिस का कहना है कि उन्हें नहीं पता कि यह वीडियो कहां का है। वहीं इस वीडियों को टीवी चैनल एनडीटीवी का दावा है कि यह वीडियो सहारनपुर थाने का ही है। पुलिस ने कहा है कि किसी ने शिकायत दर्ज नहीं की है और न ही कोई जांच हुई है. इस मामले पर समाचार चैनल से बात करते हुए सहारनपुर के पुलिस अधीक्षक, शहर, राजेश कुमार ने कहा, “हमें नहीं पता कि यह कहां से है. अगर हमें कोई शिकायत मिलती है तो हम देखेंगे
वीडियो देखने के बाद घर वालों का रो-रोकर हुआ बुरा हाल
इस वीडियो में पीट रहे लड़कों के घर वालों से जब नीजि चैनल ने बात की तो परिवार के लोग दहाड़े मारकर रोने लगे और उन्होंने बताया कि यह वीडियो सहारनपुर का ही है और उन्होनें अपने बच्चों का नाम भी बताया. परिवार वालों ने बताया कि इस वीडियो में कोने में खड़े होकर सफ़ेद कुर्ते पजामे में जो युवक मार खा रहा है, उसका नाम मोहम्मद सैफ़ है. ये भी सहारनपुर का रहने वाला है. सैफ़ की बहन ने बताया कि उसके भाई को पुलिस ने इतना मारा है कि वो पैरों पर खड़ा ही नहीं हो पा रहा है. वहीं वीडियो में सैफ़ के बगल में काली शर्ट में पीटे जा रहे युवक का नाम मोहम्मद तारीफ़ है. तारीफ़ के भाई ने कहा कि उनके पैर से ख़ून निकल रहा था। वीडियो में हरे रंग की टी-शर्ट पहने युवक का नाम राहत अली है. इसको पुलिस की सबसे ज़्यादा लाठी पड़ी हैं. युवक जो ज़मीन पर बैठकर पुलिस के हाथ जोड़ रहा है. इसका नाम इमरान है. ये भी सहारनपुर का रहने वाला है. इस मामले में वरिष्ठ वक़ील वृंदा ग्रोवर ने कहा कि जो सहारनपुर में हुआ है वो बिल्कुल ग़लत है.
सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना !
हिरासत में हिंसा को लेकर सुप्रीम का जजमेंट है कि इसमें enquiry होनी चाहिए. सुप्रीम कोर्ट का आदेश है कि हर थाने में सीसीटीवी होने चाहिए.
NDTV ने अपनी तफ़्तीश में ये साबित कर दिया है कि ये वीडियो सहारनपुर का है, जबकि एसएसपी मना कर रहे हैं. पुलिस ने इन युवकों समेत 86 आरोपियों पर दंगा करने, हत्या की कोशिश समेत कुल 15 संगीन धाराओं में मुक़दमा दर्ज़ किया है. पुलिस हिरासत में मरने वालों की लिस्ट में यूपी नंबर एक पर है.