भारत का भगोड़ा कारोबारी नीरव मोदी को लंदन की अदालत से फिर कोई राहत नहीं मिली। कोर्ट ने उसकी जनानत याचिका नामंजूर करते हुए उसकी कस्टडी 22 अगस्त तक के लिए बढ़ा दी है। मामले की अगली सुनवाई भी अब 22 अगस्त को ही होगी। सूत्रों का कहना है कि हीरा कारोबारी की केस का ट्रायल 2020 में शुरू हो सकता है। भगोड़े कारोबारी पर पंजाब नैशनल बैंक को 13 हजार से अधिक का चूना लगाने का आऱोप है।
19 मार्च से जेल में है नीरव मोदी
नीरव लंदन की वंड्सवर्थ जेल में है इस साल 19 मार्च से बंद है। पीएनबी से कर्ज लेकर फरार होने के साथ ही नीरव पर मनी लॉन्ड्रिंग के भी आरोप हैं। भारत भगोड़े कारोबारी के प्रत्यर्पण के लिए लगातार कोशिश कर रहा है। इससे पहले 12 जुलाई को भी उसकी जमानत याचिका यूके की हाई कोर्ट ने खारिज कर दी थी।
इससे पहले विदेश राज्य मंत्री वी मुरलीधरन ने लोकसभा में कहा था कि 23 फरवरी को पासपोर्ट एक्ट 1967 के सेक्शन 10(3)(c) के तहत मंत्रालय ने भगोड़े नीरव मोदी के पासपोर्ट को निरस्त कर दिया है, ऐसे में उसके ट्रैवल प्लान को सत्यापित करने की कोई आवश्यकता नहीं है। मुरलीधरन ने कहा कि नीरव मोदी का पासपोर्ट निरस्त हो चुका है, लेकिन अगर वो निरस्त पासपोर्ट पर ही कई देशों की यात्राएं कर रहा है तो इसे सत्यापित करने का कोई तरीका नहीं है।
क्या है मामला ?
नीरव मोदी पंजाब नेशनल बैंक से करीब दो अरब डॉलर तक की धोखाधड़ी और मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में आरोपी है। 31 जनवरी 2018 को इस मामले में मुकदमा दर्ज होने के बाद सीबीआई ने नीरव मोदी की तलाश शुरू की थी, मगर वह लंदन भाग गया। नीरव मोदी ने मुकदमा दर्ज होने से पहले ही दिसंबर 2017 में देश छोड़ दिया था। इसके बाद भारत के दबाव के बाद 19 मार्च को लंदन की पुलिस ने उसे गिरफ्तार किया और फिर कोर्ट ने जेल भेज दिया। तब से नीरव मोदी सलाखों के पीछे है और बाहर निकलने के लिए तरह-तरह के हथकंडे अपना रहा है।