एक नाम,जो लोगों की ज़ुबान पर मिसाल बनकर उभरा,यह मिसाल ताकत से ज़्यादा इंसानियत की वजह से घर घर पहुँची । गामा बचपन में हमारे लिए एक क़िस्सा भर थे। गामा पहलवान हमारे यहाँ मुहावरे की तरह इस्तेमाल होते।जैसे माइकल जेक्सन,हिटलर यह नाम से ज़्यादा मुहावरे हो चुके थे।
किसी को थिरकते देखा तो कहा बहुत माइकल जैक्सन मत बनो,किसी को हुक्म चलाते देखा,तो कहा हिटलर हो गए हो क्या,वैसे ही कोई ताक़त दिखाता तो उसे हम लोग कह देते,देखो बड़े गामा बन रहे हैं । गामा हमारी ज़ुबानों पर थे बिना यह जाने की वह हैं क्या,मुझे कुश्ती नही पसन्द मगर यह याद है जब नानीअम्मी ने कहा की गामा ने बंटवारे के वक़्त खुद पाकिस्तान में खड़े होकर बहुत से हिन्दुओ की जान बचाई और अपने खर्चे से हिंदुस्तान भेजा।
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यहाँ तक एक परिवार के लिए अपनी कुश्ती का सामान गिरवी रख दिया।अपनी चादरें घर बार छोड़कर जाने वाली औरतों को ओढ़ने को देदी। गामा ने कहा था की काश हमारा जिस्म और बड़ा होता तो उसकी नाप के कपड़े बड़े होते,जो ज़्यादा लोगों के काम आते। अपने घर का अनाज तक जाने वालों को देकर खुद हफ़्तों कुछ नही खाया।महीनो दिन रात अपनी गली की रखवाली करता रहा यह दुनिया का मशहूर पहलवान गामा।
गामा ने कहा रखा था कि उसकी गली के हिंदुओं को कोई हाथ भी लगाएगा तो उसे गामा से भिड़ना होगा,गामा महीनों अपनी गली की रखवाली करते रहे,दुनिया का मशहूर पहलवान अपनी गली में दंगाइयों से हिफाज़त करने को रात रात जागता रहता ।
यह किस्से सुनकर गामा के लिए दिलचस्पी पैदा हुई।वोह गामा की इसलिए इज़्ज़त करती थीं की वोह पहलवान होकर भी बड़े नरम दिल के थे । आज 22 मई उनका जन्मदिन है और कल 23 मई को गामा ने दुनिया को अलविदा कहा था।
मुझे जहाँतक याद है, ज़्यादातर पुराने घरों में कभी न कभी गामा का नाम आया होगा।गामा ज़िन्दगी में कभी नही हारे।उनकी ज़िन्दगी के बहुत से किस्से सुने जो अभी वैसे ही याद हैं।उनको क्या लिखें सिवाए इसके की आपकी प्रतिभा का क्षेत्र कोई भी हो अगर उसमे मोहब्बत और नरमी उतर आए तो आप दुनिया के दिलों पर राज करेंगे….
गामा का आखरी वक़्त ग़ुरबत में बीता, दोनों हाथ से लुटाने वाला आखरी में दिल मसोसकर रह गया । भारतीय उद्योगपति बिड़ला ने उनकी मासिक पेंशन बांध दी थी,यह भी देखिये की वह वक़्त कैसा था ।
अच्छे लोग अच्छे लोगों की मदद करने में सरहद के रोने नही रखते थे,दुश्मन की नज़र से नही देखते थे । जो अच्छा है, वह सबका है, जो बुरा है, वह सिर्फ अपनी भीड़ का है, यही तो बदला है कि नफरत ने हमे अच्छे दिलों में झाँकने से मुँह मोड़ना सिखा दिया है ।
हम फिर कह रहें हैं अपने सख़्त होते दिल को नरम करो,इसमें मोहब्बत पैबस्त करो,नफ़रत को अलविदा कहो, क्योंकि नफ़रत करने की हर वजह बासी फ़रेब है।
सबके लिए दिल को खोल दो ताकि ज़मीन तुम्हे देख मुस्कुराए,जैसे एक वक़्त पर गामा पर मुस्कुराती थी…गामा आपको आपके जिस्म से बड़े दिल के लिए लाखो सलाम,ज़माना हमेशा उसके सामने झुकेगा जिसने इंसानियत को बचाने के लिए खुद को दाँव पर लगाया है ।
हफ़ीज़ किदवाई