नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव के दौरान एक नाम जिसको लेकर काफी विवाद हुआ, वह है मध्य प्रदेश के भोपाल से भाजपा सांसद साध्वी प्रज्ञा ठाकुर का। मालेगांव ब्लास्ट में आरोपी साध्वी प्रज्ञा ठाकुर को भाजपा ने भोपाल में कांग्रेस के दिग्गज नेता दिग्विजय सिंह के खिलाफ उतारा था। चुनाव में साध्वी प्रज्ञान ने दिग्विजय सिंह को हराकर संसद का सफर तय किया। इस दौरान साध्वी प्रज्ञा ठाकुर की सबसे बड़ी चुनौती अपनी छवि से बाहर निकलना और विवादित बयानों से खुद को दूर करना था।
सांसद बनने के बाद साध्वी प्रज्ञा ठाकुर की दिनचर्या की बात करें तो वह सुबह जल्दी जगती हैं, योग करती हैं और उसके बाद ध्यान करती हैं। तकरीबन दो घंटे की पूजा के बाद वह सुबह तकरीबन 9.30 बजे बतौर सांसद अपनी जिम्मेदारियों को निभाने में जुट जाती हैं। उनके घर में बने लिविंग रूम में लोग उनसे मुलाकात करने के लिए पहुंचेत हैं, उनके जनता दरबार में अधिकतर लोग हॉल में बिछे कार्पेट पर बैठते हैं और कुछ लोगों के लिए कुर्सी भी लगी है। यहां वह लोगों का स्वागत भारत माता की जय और वंदे् मातरम से करती हैं।
मालूम हो कि जो कोई भी साध्वी प्रज्ञा ठाकुर के जनता दरबार आता है, उसकी अपनी व्यक्तिगत समस्या होती है। 12 जून को साध्वी के जनता दरबार पहुंची विमला (62) रोते हुए बताती हैं कि उनका मकान मालिक 16000 रुपए के बकाया के लिए उन्हें प्रताड़ित कर रहा है। उन्होंने बताया कि वह अपने बेटे के साथ रहती हैं, लेकिन वह अपना पैसा शराब पीने पर बर्बाद कर देता है। वह अपने माता-पिता की देखभाल नहीं करता है, लेकिन पत्नी और बच्चों का खयाल रखता है। साध्वी शांति से महिला की शिकायत सुनती हैं और कहती हैं कि अम्मा मैं आपकी समस्या समझती हूं, लेकिन आप पुत्र मोह से ग्रसित हैं। आपको उसे सही रास्ता दिखाना चाहिए, उसे किराया देना होगा। इसके बाद प्रज्ञा ठाकुर अपनी बड़ी बहन उपमा से कहती हैं कि इनका नंबर लिखो और उनके बेटे का भी, उसे फोन करके यहां समझाने के लिए बुलाओ। जिसके बाद महिला साध्वी के पैर छूती है और उनका आशीर्वाद लेकर चली जाती है।