रविवार, जून 15, 2025
  • इंग्लिश
  • उर्दू
  • हमारे बारे में
  • हमसे संपर्क करें
  • करियर
  • विज्ञापन
  • गोपनीयता नीति
इंग्लिश
उर्दू
विज़न मुस्लिम टुडे
  • मुख्य पृष्ठ
  • भारतीय
  • विदेश
  • संपादकीय
  • साक्षात्कार
  • खेल
  • अर्थव्यवस्था
  • फैक्ट चेक
  • शिक्षा
  • सिनेमा
No Result
View All Result
  • मुख्य पृष्ठ
  • भारतीय
  • विदेश
  • संपादकीय
  • साक्षात्कार
  • खेल
  • अर्थव्यवस्था
  • फैक्ट चेक
  • शिक्षा
  • सिनेमा
No Result
View All Result
विज़न मुस्लिम टुडे
No Result
View All Result
Home देश

मागधी से पालि, पालि से निकली संस्कृत; न है देवभाषा न ही जननी

मुस्लिम टुडे by मुस्लिम टुडे
सितम्बर 17, 2021
in देश, भारतीय
0 0
0
मागधी से पालि, पालि से निकली संस्कृत; न है देवभाषा न ही जननी
0
SHARES
40
VIEWS
Share on FacebookShare on Twitter

बचपन से अब तक मानता आया था कि संस्कृत ही सभी भारतीय भाषाओं की जननी है और वह सामान्य नहीं, बल्कि देवभाषा है। लेकिन तीन महीने से पालि भाषा सीख रहा हूं तो जाना कि वह तो पालि से ठोंक-पीटकर गढ़ी गई भाषा है। खुद देख लीजिए। अहं गच्छामि, सो गच्छति, त्वं गच्छसि, मयं गच्छाम – ये सभी पालि के वाक्य हैं।

संस्कृत में सो को सः और मयं को वयं कर दिया गया, बस! कुछ दिन पहले एक मित्र को मैंने बताया कि संस्कृत तो पालि से निकली है तो उन्होंने कहा कि ‘बुद्धं शरणम् गच्छामि, धम्मं शरणम् गच्छामि, संघम् शरणम् गच्छामि’ तो संस्कृत वाक्य हैं। लेकिन पालि सीखने के दौरान मैंने पाया कि ये शुद्ध रूप से पालि के वाक्य हैं।

दरअसल पालि उत्तर भारत और विशेष रूप से मगध जनपद की प्राचीन प्राकृत है। इसे मागधी भी कहते हैं, बल्कि कहा जाए तो यह मूलतः मागधी प्राकृत ही है। गौतम बुद्ध छह साल साधना करने के बाद वापस लौटे तो अनुभव से हासिल अपना ज्ञान घर-घर पहुंचाना चाहते थे।

ये भी पढ़ें: UN दफ्तर के बाहर अफगान नागरिकों के प्रदर्शन पर दिल्ली हाईकोर्ट चिंतित, पूछा- बिना इजाजत कैसे जमा हो सकते हैं 500 लोग

तब आम लोगों में लोकभाषा और खास लोगों में वेदों की छान्दस भाषा चलती थी। बुद्ध ने वैदिक छान्दस को न अपनाकर लोकभाषा का ही सहारा लिया। जहां उन्होंने अपने उपदेशों का छान्दस में अनुवाद करने से मना किया, वहीं दूसरी ओर “अनुजानामि भिक्खवे, सकाय निरुत्तिया” कहकर सभी प्राकृत भाषाओं में अपने उपदेशों को पेश करने की खुली अनुमति दे दी।

बाद में चूंकि सारी बुद्धवाणी मागधी प्राकृत में पालकर रखी गई (पहले कंठस्थ करके और फिर लिपिबद्ध करके) तो मागधी के इस अंश को पालि कहा जाने लगा। बुद्ध ने 45 साल तक मगध से लेकर गांधार तक इसी भाषा में लोगों के बीच अपनी बात रखी तो यह भाषा समूचे इलाके में प्रचलित हो गई। उसके शब्द अन्य प्राकृत भाषाओं में शामिल होते गए।

मसलन पालि में मां के लिए बोला गया अम्मा शब्द अवधी बोलनेवाले हम लोगों के लिए बड़ा सहज है। पालि का पाहुन शब्द आज भी भोजपुरी में अतिथि के लिए इस्तेमाल होता है।

तब के भारतीय समाज में बुद्ध की बातों का इतना असर था तो भारत के पहले राजद्रोही ब्राह्मण पुष्यमित्र शुंग के दरबारी पाणिनि को इसकी काट के लिए पालि का ही सहारा लेना पड़ा, लेकिन उसे संस्कृत बनाकर। कहा जाता है कि कालिदास के नाटकों में जहां संभ्रांत चरित्र संस्कृत बोलते हैं, वहीं महिला व आम लोगों के पात्र पालि बोलते हैं।

लेकिन यह भी दरअसल एक तरह का भ्रम है क्योंकि संस्कृत तो मूलतः पालि ही है और पालि की मूल भाषा मागधी है। हालांकि संस्कृत के पाणिनि व्याकरण में जहां लगभग 4000 सूत्र है, वहीं पालि के सबसे बड़े व्याकरण – मोग्गल्लान व्याकरण में सूत्रों की संख्या 800 के आसपास है। बनावट वाली चीज़ में ज्यादा तामझाम तो जोड़ना ही पड़ता है।

इस समय देश में जितने राज्य हैं, हर राज्य में जितने जिले हैं, उन जिलों में जितने शहर व तहसीलें हैं, इनकी संख्या से भी ज्यादा सस्कृत की पाठशालाएं हैं। मूल पालि के गिने-चुने पुछत्तर हैं। देश ही नहीं, विदेश तक के 99.99 प्रतिशत आम व खास लोग संस्कृत को सारी भारतीय भाषाओं की जननी मानते हैं। मैक्समुलर जैसे विदेशी विद्वान तो इसे आर्य परिवार की भाषा मानते हैं और इसका रिश्ता लैटिन तक से जोड़ते हैं।

21वीं सदी में अब हमें इस झूठ से मुक्त हो जाना चाहिए। तभी हम भारतीय जनमानस पर सदियों से लादे गए झूठ के पहाड़ को तिनका-तिनका काट सकते हैं। नकल को छोड़ हमें असल को अपनाना होगा। भारत के प्राचीन इतिहास को जानने के लिए संस्कृत के बजाय पालि को मूलाधार बनाना होगा, तभी हम अतीत की हकीकत जान पाएंगे।

अनिल सिंह (Anil Singh) के इस लेख पर Rakesh Mishra Kumar जी की यह टिप्पणी भी पढ़े।

“नहीं । इस बेबुनियाद थ्योरी को कुछ दलित आग्रह वाले विमर्श कारों ने गति दी है। सैंधव नगरों के पतन के बाद सैंधव सभ्यता के बाशिंदे ज़्यादातर दक्षिण  और कुछ उत्तर भारत में फैल गए ।उनकी भाषा ठीक ठीक क्या थी ,यह ज्ञात नहीं है ।

संभवत:इस भाषा की झलक दक्षिण की द्रविण तथा बलूचिस्तान के कुछ इलाक़ों की ब्राहुई भाषा में मिलती है ।आर्य कबीलों के सप्त सिंधु से गंगा घाटी में फैल जाने के क्रम में उनकी वैदिक संस्कृत के साथ सैंधवों की भाषा का इस तरह समागम हो गया कि अब यह पहचानना मुश्किल है कि वैदिक – लौकिक संस्कृत में कितना और कौन सा हिस्सा सैंधव भाषा है ।

पाणिनि का काल चौथी सदी ई पू है और वे महानन्द के समकालीन थे न कि पुष्य मित्र के शुंग के ।पुष्य मित्र शुंग की समकालीनता पतंजलि के साथ है न कि पाणिनि के साथ ।पाणिनि  ने ही वैदिक संस्कृत को  व्याकरण से सुसंस्कृत किया जिससे लौकिक संस्कृत निकली और आगे की सदियों में पुष्पित पल्लवित हुई ।

ये भी पढ़ें: सिद्धार्थ शुक्ला के निधन पर फिल्म इंडस्ट्री में शोक की लहर…

पालि -प्राकृत लौकिक संस्कृत की उसी तरह जन भाषा है जैसे कि आज की मैथिली , भोजपुरी ,ब्रज आदि ।बुद्ध का उद्देश्य था अपना उपदेश आम जन तक पहुँचाना ।इसी लिए अपने परिभ्रमण क्षेत्र की प्रचलित जन भाषा पालि का प्रयोग किया ।वैदिक -लौकिक संस्कृत धीरे धीरे ब्राह्मणों, क्षत्रियों के सत्तावर्ग में बदलते जाने के साथ साथ आभिजात्यों की भाषा बन गई ।इसी लिए संस्कृत भाषा के नाटकों में स्त्रियाँ और निम्न वर्गीय जन संस्कृत की जगह लोक भाषा प्राकृत का उपयोग करते हैं ।”

  • इसी मूल लेख पर Bibhas Kumar Srivastav जी की यह टिप्पणी भी प्रस्तुत है।

“आप को पं॰ काशीराम शर्मा की लिखी किताब ‘द्रविड़ परिवार की भाषा हिन्दी’ और ‘हिन्दी तॊल्काप्पियम्’ भी पढ़नी चाहिए। इस विषय पर राकेश मिश्रा कुमार सर से मेरी बात होती रहती है। काशीराम शर्मा केन्द्रीय अनुवाद निदेशालय के डायरेक्टर के पद से रिटायर हुए थे। 17 अक्टूबर 2015 को इस दुनिया से विदा लिए।

उनके मतानुसार संस्कृत कभी भी वर्तमान पाकिस्तान और कश्मीर से आगे नहीं बढ़ पाई। बाक़ी आज के पूरे हिन्दुस्तान में प्राकृत ही बोली गई। इसका एक सर्वेक्षण मार्कण्डेय सन् 1556 में प्राकृत सर्वस्वम् नाम से प्रस्तुत कर चुके हैं।

इसमें भारत में बोली जाने वाली प्राकृत भाषाओं का आठ वर्गों में बाँट कर सर्वे किया गया है। यह किताब मेरे पास है। एक प्रमाण कि संस्कृत इस भू-भाग में कभी नहीं बोली गई, यह है कि भारत के किसी गाँव और शहर का नाम संस्कृत में नहीं है, उर्दू-फ़ारसी-अरबी में भले हो।

ADVERTISEMENT

दूसरा प्रमाण है कि संस्कृत को रट्टा मारकर भी कोई नहीं सीख पाया। मज़े की बात यह है कि हिन्दी का रट्टा शब्द ही तमिऴ के रॆट्टु से बना है। ओढ़ना तमिऴ के ओडु से बना है। पूरे वर्तमान भारत में, कश्मीर को छोड़कर कहीं भी कभी भी संस्कृत बोली नहीं गई।”

  • अब Arun Verma जी की इस टिप्पणी को भी पढिये।

” संस्कृत से सभी भाषाओं का जन्म हुआ है ये विचार ब्राह्मणवादी और नागपुरी (संघ समर्थित) है। तीनों पोस्ट में अलग-अलग तथ्य हैं, राकेश मिश्रा जी सैंधव भाषा आज तक पढ़ी नहीं जा सकी है। प्राकृतों (पालि) से ही संस्कृत का विकास हुआ है।

चाहे वैदिक संस्कृत हो या लौकिक। लौकिक संस्कृत का ही व्याकरण पाणिनि ने तैयार किया जैसा कि वैदिक का निघंटु,निरुक्त और सायण ने। संस्कृत किसी भी युग में जनभाषा/आम बोलचाल की भाषा नहीं रही,चाहे संस्कृतज्ञ कितना भी आग्रह कर लें।

प्राकृतों से ही संस्कृत पनपी। संस्कृति मनीषी और इतिहासकार डॉ भगवतशरण उपाध्याय ने भारतीय समाज का ऐतिहासिक विश्लेषण पुस्तक में ” संस्कृत के विरुद्ध प्राकृतों का संघर्ष ” निबंध में विस्तार से लिखा है। बुद्ध ने ही सबसे पहले जनभाषा प्राकृत(पालि) में अपने उपदेश,संदेश दिए।द्रविड़ो की तमिल कई लिहाज से संस्कृत से भी पुरानी है।

प्राकृतों/पालि वाली थ्योरी दलित चिंतन की खोज नहीं अपितु वामपंथी इतिहासकारों (राहुल सांकृत्यायन, डी डी कोसांबी, डॉ भगवतशरण उपाध्याय, डॉ देवीप्रसाद चट्टोपाध्याय, डॉ रामशरण शर्मा,डी एन झा) की शोध और मान्यता है।

दुनिया की सबसे पुरानी किताब ऋग्वेद नहीं अपितु सुमेरियन महाकाव्य गिल्गमेश है जिसमें महाजलप्रलय की गाथा मिट्टी की बत्तीस ईंटों में उकेरी गई है और जो लंदन के ब्रिटिश म्यूजियम में सुरक्षित हैं।जलप्रलय की कथा भारत में सबसे पहले शतपथ ब्राह्मण में मिलती है।

संस्कृत से जुड़े सारे मिथक उसदिन धराशायी हो जाएंगे जिसदिन सैंधव भाषा पढ़ ली जाएगी। हड़प्पा सभ्यता से जुड़ी राखीगढ़ी की खोजें भी फिर से आर्यों के भारत से बाहर से आने का संकेत दे रहीं हैं।”

Previous Post

पेगासस : चिलमन से लगे बैठे हैं

Next Post

पाकिस्तान पढ़ाता चीन को हिंदी

Next Post
पाकिस्तान पढ़ाता चीन को हिंदी

पाकिस्तान पढ़ाता चीन को हिंदी

प्रातिक्रिया दे जवाब रद्द करें

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *

जौनपुर के त्रिकोणीय लड़ाई में कौन मारेगा बाजी? | आग़ा खुर्शीद खान। मुस्लिम टुडे

जौनपुर के त्रिकोणीय लड़ाई में कौन मारेगा बाजी? | आग़ा खुर्शीद खान। मुस्लिम टुडे

अप्रैल 24, 2024

पहले चरण का फीडबैक बीजेपी के लिए चिंता का सबब | आग़ा खुर्शीद खान। मुस्लिम टुडे

अप्रैल 23, 2024
इस चुनाव में उत्तर प्रदेश के मतदाताओं का साइलेंट होना, बड़े उलटफेर का संकेत दे रहा है

इस चुनाव में उत्तर प्रदेश के मतदाताओं का साइलेंट होना, बड़े उलटफेर का संकेत दे रहा है

अप्रैल 21, 2024

Our channel

https://www.youtube.com/watch?v=QnB3waJ7Awg
  • Trending
  • Comments
  • Latest
50 मुस्लिम स्वतंत्रता सेनानी, जिनके साथ इतिहास ने किया धोखा !

50 मुस्लिम स्वतंत्रता सेनानी, जिनके साथ इतिहास ने किया धोखा !

अगस्त 15, 2018
बिना कपड़े के लड़की से मालिश करवाते हुए दिखे स्वामी चिन्मयानंद, वीडियो वायरल

बिना कपड़े के लड़की से मालिश करवाते हुए दिखे स्वामी चिन्मयानंद, वीडियो वायरल

सितम्बर 11, 2019
सांसद संघमित्रा मौर्य ने पति डॉ. नवल किशोर शाक्य से ली तलाक

सांसद संघमित्रा मौर्य ने पति डॉ. नवल किशोर शाक्य से ली तलाक

मार्च 2, 2021
इमरान प्रतापगढ़ी के पहल पर झारखंड सरकार ने ड्राफ्ट किया मॉब लिंचिंग कानून 

इमरान प्रतापगढ़ी के पहल पर झारखंड सरकार ने ड्राफ्ट किया मॉब लिंचिंग कानून 

दिसम्बर 14, 2021
मोदी सरकार अपने चहेते उद्यगपतियों के लिए एक लाख करोड़ बैंकों में डाल रही है!

आज़ादी के बाद से अयोध्या का इतिहास झूठ से रचा गया है: रवीश कुमार

528
महिला को निर्वस्त्र कर घुमाने के मामले में 360 लोगों पर केस, 15 गिरफ्तार : बिहार

महिला को निर्वस्त्र कर घुमाने के मामले में 360 लोगों पर केस, 15 गिरफ्तार : बिहार

13
ईलाज कराकर लंदन से वापस लौटे अभिनेता इरफान खान

ईलाज कराकर लंदन से वापस लौटे अभिनेता इरफान खान

11
काले हिरण मामले में 5 साल की सजा के बाद सलमान खान को मिली विदेश जाने की इजाजत

काले हिरण मामले में 5 साल की सजा के बाद सलमान खान को मिली विदेश जाने की इजाजत

10
जौनपुर के त्रिकोणीय लड़ाई में कौन मारेगा बाजी? | आग़ा खुर्शीद खान। मुस्लिम टुडे

जौनपुर के त्रिकोणीय लड़ाई में कौन मारेगा बाजी? | आग़ा खुर्शीद खान। मुस्लिम टुडे

अप्रैल 24, 2024

पहले चरण का फीडबैक बीजेपी के लिए चिंता का सबब | आग़ा खुर्शीद खान। मुस्लिम टुडे

अप्रैल 23, 2024
इस चुनाव में उत्तर प्रदेश के मतदाताओं का साइलेंट होना, बड़े उलटफेर का संकेत दे रहा है

इस चुनाव में उत्तर प्रदेश के मतदाताओं का साइलेंट होना, बड़े उलटफेर का संकेत दे रहा है

अप्रैल 21, 2024
जामिया की नौशीन ने UPSC में नौवां स्थान प्राप्त किया | आग़ा खुर्शीद खान। मुस्लिम टुडे

जामिया की नौशीन ने UPSC में नौवां स्थान प्राप्त किया | आग़ा खुर्शीद खान। मुस्लिम टुडे

अप्रैल 17, 2024
Currently Playing

जौनपुर के त्रिकोणीय लड़ाई में कौन मारेगा बाजी? | आग़ा खुर्शीद खान। मुस्लिम टुडे

जौनपुर के त्रिकोणीय लड़ाई में कौन मारेगा बाजी? | आग़ा खुर्शीद खान। मुस्लिम टुडे

जौनपुर के त्रिकोणीय लड़ाई में कौन मारेगा बाजी? | आग़ा खुर्शीद खान। मुस्लिम टुडे

Uncategorized

पहले चरण का फीडबैक बीजेपी के लिए चिंता का सबब | आग़ा खुर्शीद खान। मुस्लिम टुडे

Uncategorized
इस चुनाव में उत्तर प्रदेश के मतदाताओं का साइलेंट होना, बड़े उलटफेर का संकेत दे रहा है

इस चुनाव में उत्तर प्रदेश के मतदाताओं का साइलेंट होना, बड़े उलटफेर का संकेत दे रहा है

Uncategorized
जामिया की नौशीन ने UPSC में नौवां स्थान प्राप्त किया | आग़ा खुर्शीद खान। मुस्लिम टुडे

जामिया की नौशीन ने UPSC में नौवां स्थान प्राप्त किया | आग़ा खुर्शीद खान। मुस्लिम टुडे

Uncategorized
क्या राजस्थान के सीकर लोकसभा सीट से कॉमरेड अमराराम की होगी जीत | आग़ा खुर्शीद खान। मुस्लिम टुडे

क्या राजस्थान के सीकर लोकसभा सीट से कॉमरेड अमराराम की होगी जीत | आग़ा खुर्शीद खान। मुस्लिम टुडे

Uncategorized

टैग्स

#aamAadmiParty (21) #AamAdmiParty (28) #AAP (39) #adeshGupta (15) #BjpDelhi (38) #BJP Government (127) #BOLLYWOOD (40) #Congress (123) #Covid19 (14) #delhi (203) #delhinews (17) #JamiaMilliaIslamia (19) #KEJRIVAL (16) #kisan andolan (18) #Maharashtra (42) #modi (62) #mumbai (21) #newstoday (33) #PM Modi (115) #PriyankaGandhivadra #CongressParty #RahulGandhi (25) #Rahul Gandhi (39) #yogi (13) AMERICA (14) Amit Shah (18) ARVIND KEJRIVAL (41) Bihar (46) BJP (165) coronavirus (156) Hindi News (447) India (418) Kejriwal (20) Politics (47) Ravish Kumar (15) RSS (26) Supreme Court (16) Uttar Pradesh (55) Yogi Adityanath (47) Yogi Govt (16) अखिलेश यादव (20) अमित शाह (13) उत्तर प्रदेश (95) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (15) बीजेपी (19) भाजपा (23) राहुल गांधी (17)

हमारे बारे में

विजन मुस्लिम आज वर्तमान में एक राजनीतिक पत्रिका और एम टी मीडिया वेंचर्स के एक पोर्टल, वैश्विक समाचार और हमारे अंग्रेजी, हिंदी और उर्दू प्रकाशनों में मौजूदा मामलों के साथ काम कर रहा है।

श्रेणियां

  • Uncategorized (125)
  • अन्य विषय (70)
  • अर्थव्यवस्था (53)
  • इतिहास (13)
  • खेल (531)
  • देश (4,002)
  • प्रौद्योगिकी (17)
  • फैक्ट चेक (2)
  • भारतीय (3,704)
  • भारतीय मुस्लिम (189)
  • मनोरंजन (247)
  • मुद्दे (182)
  • मुस्लिम दुनिया (142)
  • राजनीति (4,111)
  • विदेश (321)
  • वीडियो (4)
  • शिक्षा (44)
  • संपादकीय (84)
  • संस्कृति (9)
  • साक्षात्कार (12)
  • सिनेमा (67)
  • स्तंभ (174)
  • इंग्लिश
  • उर्दू
  • हमारे बारे में
  • हमसे संपर्क करें
  • करियर
  • विज्ञापन
  • गोपनीयता नीति
  • इंग्लिश
  • उर्दू
  • हमारे बारे में
  • हमसे संपर्क करें
  • करियर
  • विज्ञापन
  • गोपनीयता नीति

© 2021 Muslim Today

No Result
View All Result
  • मुख्य पृष्ठ
  • भारतीय
  • विदेश
  • संपादकीय
  • साक्षात्कार
  • खेल
  • अर्थव्यवस्था
  • फैक्ट चेक
  • शिक्षा
  • सिनेमा

© 2021 Muslim Today

Welcome Back!

Login to your account below

Forgotten Password?

Create New Account!

Fill the forms below to register

All fields are required. Log In

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In

Add New Playlist