नई दिल्ली: नागरिकता संशोधन विधेयक पर सोमवार को संसद में जोरदार हंगामा हुआ। इस विधेयक को लेकर सरकार और विपक्षी दलों के बीच तीखा बहस हुई है। चर्चा में भाग लेते हुए एआईएमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने बिल पर पार्टी का पक्ष रखा। असदुद्दीन ओवैसी ने बिल का विरोध करते हुए कहा, नागरिकता बिल हिटलर के कानून से भी बदतर है। एक और बंटवारा होने जा रहा है। इसके बाद अंत में उन्होंने नागरिकता बिल की कॉपी को फाड़ दिया।
लोकसभा में ओवैसी ने यह भी कहा कि आप मुसलमानों को नागरिकता मत दीजिए, लेकिन मैं गृह मंत्री से बस यह जानना चाहता हूं कि मुसलमानों से इतनी नफरत क्यों है? नागरिकता संशोधन विधेयक को हमें एनआरसी के नजरिए से देखने की जरूरत है। एनआरसी में जो हिन्दू छूट गए उनके लिए विधेयक लाया गया। दरअसल, ये मुसलमानों को राज्य विहीन करने की साजिश है। चीन पर मोदी सरकार को घेरते हुए ओवैसी ने कहा कि तिब्बत में भी मुसलमान हैं लेकिन उनका जिक्र नहीं करते हैं।
विधेयक के पक्ष में तर्क देते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, “एनआरसी और इसको जोड़ने की ज़रूरत नहीं है। एनआरसी करेंगे तब स्पष्टता के साथ सदन में इसी प्रकार से सबको इसकी भी जानकारी देंगे।
उऩ्होंने कहा कि कांग्रेस ऐसी सेक्युलर पार्टी है कि उसने केरल में मुस्लिम लीग के साथ और शिव सेना के साथ महाराष्ट्र में गठबंधन कर लिया।
इसके बाद सदन में सत्ता पार्टी के सांसदों ने हंगामा करना शुरू कर दिया। कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि ओवैसी संसद के वरिष्ठ सदस्य हैं और उन्होंने जो किया है वो सदन का अपमान है। बीजेपी सदस्य पीपी चौधरी ने भी कहा कि ओवैसी ने संसद का अपमान किया है।
इससे पहले गृहमंत्री अमित शाह ने बिल को पेश करते हुए कहा कि इसके पीछे कोई भी राजनीतिक एजेंडा नहीं है। उन्होंने कहा कि अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम और नगालैंड की तरह मणिपुर को भी नागरिकता संशोधन विधेयक से छूट मिली हुई है।