राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ चीफ मोहन भागवत ने रविवार को कहा कि अमेरिका और चीन के रास्ते पर चलकर नहीं बल्कि लोगों की स्थिति, परंपरा और संस्कृति के आधार पर भारत का विकास होगा। उन्होंने कहा कि अगर भारत चीन या अमेरिका जैसा बनने की कोशिश करता है तो यह उसका खुद का विकास नहीं होगा।
मोहन भागवत ने कहा कि एक के विकास से दूसरे का अवकाश नहीं होगा। व्यापार और कृषि दोनों साथ चलेंगे। उन्होंने केंद्र सरकार के स्लोगन को दोहराते हुए कहा कि सबका साथ, सबका विकास का नारा ऐसे ही नहीं दिया गया है। नारा देने वाला भी स्वयं सेवक है। यह विचार उनके मूल मस्तिष्क में भी होगा।
समाचार एजेंसी ANI के मुताबिक, मोहन भागवत ने आगे यह भी कहा कि अगर दुनिया से हमारे देश को सीखने की जरुरत है, हम जरूर सिखेंगे, लेकिन हम अपने मौलिक सिद्धांतों और विचारों पर टिके रहेंगे।
मुंबई के मरीन लाइंस इलाक़े में बिरला मातुश्री हॉल में भारत विकास परिषद के संस्थापक महामंत्री डॉ. सूरज प्रकाश के जन्मशताब्दी समापन समारोह को संबोधित करते हुए मोहन भागवत ने कहा कि भारत का जो रूप दुनिया ने देखा वही रूप प्रचलित है, जो सुख दाता, शांति प्रदाता है। हमलोग निस्वार्थ सेवा करते हैं। हम लोगों में अहंकार नहीं है। भारत विश्व को शांति का संदेश देता है, धर्म को अतिवाद के रास्ते पर नहीं जाना चाहिए। धर्म सबके लिए है।