नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव 2019 में कांग्रेस की करारी हार के बाद इसका साइड इफेक्ट दिखने लगा है। पार्टी के अंदर ही कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के खिलाफ अब आवाज बुलंद होने लगी है। कांग्रेस के एक दिग्गज नेता और पूर्व मुख्यमंत्री ने राहुल गांधी की काबिलियत पर सवाल उठाते हुए कहा कि पार्टी को फिर से खड़ा कर पाना उनके वश की बात नहीं है।
इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में उन्होंने नाम नहीं छापने की शर्त पर कहा कि वो समय चला गया है जब गांधी परिवार का होने की वजह से आपको नेता स्वीकार कर लिया जाता था। वहीं कांग्रेस के तीन और वरिष्ठ नेताओं ने राहुल गांधी की आलोचना करते हुए कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ नकारात्मक कैंपेनिंग से भी पार्टी को नुकसान हुआ है।
कांग्रेस के तीन दिग्गज नेता जो कि पूर्व केंद्रीय मंत्री भी रह चुके हैं, उन्होंने इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में कहा कि चुनाव में कांग्रेस की रणनीति गलत थी। राहुल गांधी का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ ‘चौकीदार चोर है’ कैंपेन पार्टी के खिलाफ गया। इससे नकारात्मक भाव निकले और जनता ने इसे पसंद नहीं किया। यही नहीं पुलवामा आतंकी हमले और बालाकोट एयर स्ट्राइक पर पार्टी नेतृत्व के रवैये ने कांग्रेस के खिलाफ जनता की राय बनाने में अहम भूमिका निभाई। कांग्रेस के पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा, “पुलवामा आतंकी हमले और बालाकोट एयर स्ट्राइक को “अधिक संवेदनशील तरीके से” लेना चाहिए था।
AICC सचिव मणीकम टैगोर ने कहा कि पार्टी को राहुल गांधी को प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में पेश करना चाहिए था। उन्होंने कहा कि पार्टी अगर अपना पीएम उम्मीदवार चुनती तो मतदाता भी तभी चुनेंगे… जब हम ही फैसला नहीं लेंगे तो वो वोट किसे करेंगे… आशा है कि कांग्रेस वर्किंग कमेटी भविष्य में इस गलती को सुधारेगा।” कांग्रेस वर्किंग कमेटी की शनिवार को बैठक हुई, जिसमें पार्टी के दिग्गज नेता शामिल हुए। हालांकि CWC की बैठक से पहले ही पार्टी के भीतर विरोध की आवाजें उठने लगीं हैं। चुनाव के दौरान कांग्रेस अध्यक्ष के कई फैसलों पर पार्टी के इन वरिष्ठ नेताओं ने सवाल उठाए हैं। राहुल गांधी का संसद में प्रधानमंत्री को गले लगाना, वायनाड से चुनाव लड़ने को लेकर उनकी हिचकिचाहट या फिर वाराणसी में प्रियंका गांधी को चुनाव मैदान में उतारने को लेकर भ्रम की स्थिति ने पार्टी नेतृत्व पर सवाल खड़े किए।