नई दिल्ली : कृषि बिल पर किसानों का विरोध-प्रदर्शन तेज होता दिख रहा है, किसान संगठनों ने बुधवार को मोदी सरकार के प्रस्तावों को भी ठुकरा दिया है और कृषि बिल को वापस लेने की मांग पर अड़े हुए हैं.
विपक्षी दलों के एक प्रतिनिधिमंडल ने आज राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात करके एक सुर में कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग की.
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उन्होंने कहा कि सरकार को किसानों की बातों को समझना चाहिए, इस प्रतिनिधिमंडल में राहुल गांधी, शरद पवार और सीताराम येचुरी के साथ ही विपक्ष के अन्य नेता भी शामिल थे.
राष्ट्रपति रामनाथ से मुलाकात के बाद राहुल गांधी ने कहा कि किसानों ने देश की नींव रखी है, वो रात-दिन मेहनत करते हैं, केंद्र सरकार द्वारा लाया गया कृषि कानून उनके हित में नहीं है.
इन बिलों को संसद में बिना चर्चा के असंवैधानिक तौर पर पास कराया गया है, उन्होंने कहा कि जिस तरह से कृषि विधेयक पारित किए गए, हमें लगता है कि यह किसानों का अपमान है, इसलिए वे ठंड के मौसम में भी प्रदर्शन कर रहे हैं.
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वहीं, शरद पवार ने कहा कि कृषि बिलों की गहन चर्चा के लिए सभी विपक्षी दलों ने एक अनुरोध किया था और कहा था कि इसे सलेक्ट कमेटी के पास भेजा जाए, लेकिन दुर्भाग्य से इस सुझाव को स्वीकार नहीं किया गया और बिलों को जल्दबाजी में पारित कर दिया गया.
शरद पवार ने कहा कि इस ठंड में किसान अपनी नाराजगी जताते हुए शांतिपूर्ण तरीके से सड़कों पर उतर रहे हैं, इस मुद्दे को हल करना सरकार का कर्तव्य है.
सीताराम येचुरी ने कहा कि हमने राष्ट्रपति को ज्ञापन दिया है, हम कृषि कानूनों और बिजली संशोधन बिल को रद्द करने के लिए कह रहे हैं, जिसे लोकतांत्रिक तरीका अपनाए बिना पारित किया गया.
25 से अधिक विपक्षी दलों ने कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग के प्रति अपना समर्थन दिया है, ये कानून भारत के हित में नहीं हैं और इससे हमारी खाद्य सुरक्षा को भी खतरा है,