नई दिल्ली: केंद्र सरकार की कैबिनेट बैठक में मंगलवार को कई अहम फैसले लिए गए। सरकार ने जहां नैशनल पॉप्युलेशन रजिस्टर (एनपीआर) को मंजूरी दी वहीं जनगणना के लिए 8,754.23 करोड़ के खर्च को मंजूर किया है। बैठक के बाद प्रेस कॉन्फेंस को संबोधित करते हुए केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने यह भी साफ किया कि एनपीआर के लिए नागरिक एप के जरिए रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं और इसके लिए किसी भी तरह का प्रूफ या दस्तावेज दिखाने की जरूरत नहीं है।
इसके लिए इस बार नई तकनीक का इस्तेमाल होगा। उन्होंने बताया कि भारत में ब्रिटिश जमाने से देश की जनसंख्या की जनगणना होती है। आजादी के बाद अब तक 7 बार जनगणना हो चुकी है, अब आठवीं बार होगी। इसमें सभी लोगों की गिनती मुद्दा होता है। आने वाले यानी 2020 के अप्रैल से सितंबर तक यह काम चलेगा। लाखों लोगों को इसमें शामिल किया जाएगा। उन्होंने बताया कि इस बार टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल से इस प्रक्रिया को आसान बनाने का काम किया गया है। इसके लिए ऐप तैयार किया गया है।
उन्होंने बताया किअटल टनल, मनाली से लेह तक की कल्पनाअटल जी के समय 2003 में कल्पना हुई थी। इसका80% काम पूरा हुआ। इससे हिमालय के पर्यावरण पर भी असर होगा। 4000 करोड़ रुपए मंजूर किए गए। 10000 फीट से ज्यादा ऊंचाई पर स्थित यह दुनिया की पहली टनल होगी।
जावड़ेकर ने कहा: एनपीआर के सभी राज्यों ने नोटिफिकेशन निकाले हैं। राज्यों में कर्मचारियों की ट्रेनिंग चल रही है। यह हर 10 साल में होता है। कैबिनेट ने 2021 की जनगणना के लिए 8754 करोड़ रुपए और एनपीआर के अपडेशन के लिए 3941 करोड़ रुपए का प्रावधान किया है।
विपक्ष के राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर और नैशनल पॉप्युलेशन रजिस्टर के एक ही होने के दावे पर केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि यह पूरी तरह झूठ और अफवाह है। हमने कभी नहीं कहा कि राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर का इस्तेमाल एनआरसी (राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर) के रूप में किया जाएगा। मैं इसे पूरी तरह नकारता हूं। दोनों ही योजनाएं अलग हैं और इनका आपस में कोई संबंध नहीं है।