कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों और देश की अर्थव्यवस्था को लेकर शनिवार को केंद्र की मोदी सरकार पर जोरदार हमला किया। कांग्रेस कार्यसमिति ने शनिवार को चार मुद्दों पर प्रस्ताव पास किया।
कांग्रेस ने संशोधित नागरिकता कानून, राष्ट्रीय नागरिकता पंजी के विरोध को दबाने की सरकार की कोशिशों के खिलाफ प्रस्ताव पारित किया है। इसके अलावा देश की बिगड़ती आर्थिक स्थिति, जम्मू-कश्मीर में सरकार की पाबंदी के छह महीने पूरे होने और खाड़ी में ईरान और अमेरिका के बीच विवाद की वजह से बन रहे हालात को लेकर प्रस्ताव पारित किया गया है।
सोनिया गांधी ने संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ प्रदर्शनों और अर्थव्यवस्था की स्थिति को लेकर मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि जेएनयू और अन्य जगहों पर युवाओं एवं छात्रों पर हमले की घटनाओं के लिए उच्च स्तरीय आयोग के गठन किया जाना चाहिए। सोनिया ने कहा कि जेएनयू, जामिया मिल्लिया इस्लामिया और कुछ अन्य जगहों पर युवाओं और छात्रों पर ह’मले की घटनाओं की जांच के लिए विशेषाधिकार आयोग का गठन किया जाए।
सोनिया गांधी ने कहा, ‘‘पहले सरकार ने सोचा कि एनआरसी को पूरे देश में लाया जाए। असम एनआरसी के भयावह नतीजों के बाद सरकार एनपीआर को लेकर आई है। हमें किसी गलतफहमी में नहीं रहने चाहिए कि यह घातक नहीं है। 2020 का एनपीआर एनआरसी का छिपा हुआ रूप है।’
पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी की अगुवाई में हो हुई इस बैठक में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, पार्टी के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल, महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा, वरिष्ठ नेता अहमद पटेल, एके एंटनी, मल्लिकार्जुन खड़गे और कई अन्य नेता शामिल हुए। कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि सीडब्ल्यूसी की बैठक में सीएए को लेकर विरोध प्रदर्शनों, जेएनयू में हमले के बाद पैदा हुए हालात और आर्थिक मंदी तथा अमेरिका एवं ईरान के बीच तनाव के बाद पश्चिम एशिया के हालात पर चर्चा हुई।