नई दिल्ली। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (संशोधन) विधेयक बुधवार को राज्यसभा में भी पास हो गया है। गृहमंत्री अमित शाह ने विधेयक को पेश किया, जिसके बाद उच्च सदन ने इसे मंजूरी दे दी। लोकसभा इस बिल को पहले ही अपनी मंजूरी दे चुकी है। दोनों सदनों से पास होने के बाद अब इस विधेयक को राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा। राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद ये कानून की शक्ल ले लेगा। सरकार की ओर से कहा गया है कि राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) को ज्यादा ताकतवर बनाने के लिए ये विधेयक लाया गया है।
संशोधित बिल के पास होने और इसके कानून बनने के बाद जांच एजेंसी को हथियारों की तस्करी, नशीले पदार्थों की तस्करी, मानव तस्करी और साइबर क्राइम जांच संबंधी मामलों को देखने के लिए ज्यादा अधिकार मिल जाएंगे।
इससे पहले सोमवार को लोकसभा में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (संशोधन) विधेयक पर वोटिंग के बाद विधेयक को सदन से पारित कर दिया गया है। प्रस्ताव के पक्ष में 278 वोट पड़े, जबकि इसके खिलाफ 6 वोट पड़े. विधेयक पर लाए गए सभी संशोधन प्रस्तावों को नामंजूर कर दिया गया।
‘सरकार हिंदू, मुस्लिम की बात नहीं करती’
उधर, गृह राज्य मंत्री रेड्डी ने कहा, ‘आतंकवाद का कोई धर्म, जाति और क्षेत्र नहीं होता। यह मानवता के खिलाफ है। इसके खिलाफ लड़ने की सरकार, संसद, सभी राजनीतिक दलों की जिम्मेदारी है।’ रेड्डी ने कुछ सदस्यों द्वारा चर्चा के दौरान दक्षिणपंथी आतंक और धर्म का मुद्दा उठाए जाने के संदर्भ में कहा कि सरकार हिंदू, मुस्लिम की बात नहीं करती है। सरकार को देश की 130 करोड़ जनता ने अपनी सुरक्षा की जिम्मेदारी दी है, जिसे चौकीदार के रूप में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वीकार किया है। देश की सुरक्षा के लिए सरकार आगे रहेगी।
रेड्डी ने कहा कि सरकार आतंकवाद को जड़ से उखाड़ने की जिम्मेदारी हाथ में लेगी। एनआईए को शक्तिशाली एजेंसी बनाया जाएगा। मंत्री के जवाब के बाद विपक्ष के कुछ सदस्यों के संशोधनों को खारिज करते हुए सदन ने विधेयक को ध्वनिमत से पारित कर दिया। इससे पहले विधेयक को विचार करने के लिए सदन में रखे जाने के मुद्दे पर एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने मत-विभाजन की मांग की।