मुंबई: महाराष्ट्र में भाजपा और शिवसेना के बीच बढ़ती तकरार खत्म होने का नाम नहीं ले रही है। जिस तरह से प्रदेश में सरकार बनाने में दोनों दल विफल रहे और महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगा उसके बाद दोनों ही दल एक दूसरे पर इसका ठीकरा फोड़ रहे हैं। प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगने के बाद शिवसेना ने भाजपा पर हमला बोलते हुए कहा कि इस स्थिति को टाला जा सकता था अगर भाजपा अपने वादे को पूरा करती। शिवसेना के मुखपत्र सामना में छपे संपादकीय में भाजपा पर जमकर हमला बोला है।
सामना में छपे संपादकीय में लिखा गया है कि प्रदेश की जनता ने दोनों दलों को अपना मत दिया था, दोनों दलों ने जो नीति लोगों के बीच रखी थी, उसे प्रदेश की जनता ने स्वीकार करते हुए मतदान किया था। लेकिन चुनाव नतीजे आने के बाद भाजपा इसके लिए तैयार नहीं है, इसी वजह से हमे यह कदम उठाना पड़ा ताकि महाराष्ट्र की मिट्टी के गर्व को बचाया जा सके। सामना में राष्ट्रपति शासन के लिए भाजपा को जिम्मेदार ठहराया गया है। इसमे कहा गया है कि इस स्थिति को टाला जा सकता था।
हालांकि, ऐसी खबरें भी आ रही हैं कि शिवसेना अभी भी एनसीपी और कांग्रेस से बातचीत कर रही है। वह चाहती है कि किसी भी हालत में वह बीजेपी के साथ गए बगैर राज्य में अपनी सरकार बनाए। इन सब के बीच सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने शिवसेना के आगे कई बड़ी शर्तें रखी हैं। जिनमें से एक शर्त अपना मुख्यमंत्री बनाने की भी है। सूत्रों के अनुसार एनसीपी ने शिवसेना से कहा है कि सेना की तुलना में एनसीपी के पास सिर्फ दो सीटें ही कम हैं। ऐसे में हम भी अपना मुख्यमंत्री बनाना चाहते हैं।