नई दिल्ली: अयोध्या मसले पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद विश्व हिंदू पररिषद के वरिष्ठ नेता मिलिंद परांदे ने कहा कि हिंदू समाज तत्काल प्रभाव से अयोध्या में मंदिर निर्माण का कार्य शुरू कर सकता है अगर सरकार उन्हें ऐसा करने की व्यवस्था प्रदान करे। परांदे ने कहा कि मंदिर निर्माण के लिए 60 फीसदी सामान और आर्किटेक्चरल योजना पहले से ही तैयार है। उन्होंने कहा कि राम जन्मभूमि न्यास ने पहले ही कुछ पत्थरों को तराश रखा है जोकि मंदिर निर्माण में इस्तेमाल होने वाले कुल पत्थर का तकरीबन 60 फीसदी है। यही नहीं मंदिर निर्माण के लिए नक्शा भी पहले से ही तैयार है।
मिलिंद परांदे ने दावा किया, ‘‘महात्मा गांधी ने मुस्लिमों से इसी तरह की अपील करते हुए उन्हें सोमनाथ मंदिर (जिसे कई शताब्दी पहले ध्वस्त कर दिया गया था) के पुनर्निर्माण के लिए तत्कालीन केंद्र सरकार के फैसले को स्वीकार करने का अनुरोध किया था।’’ उन्होंने कहा, ‘‘गांधी ने कहा था कि मुस्लिमों को निर्णय स्वीकार करना चाहिए अन्यथा गलत संदेश जाएगा कि उनका लगाव मंदिर तोड़ने वालों के साथ है।’’
उन्होंने दावा किया कि गांधी ने अपने अखबार ‘‘हरिजन’’ में यह नजरिया व्यक्त किया था। विहिप नेता ने कहा, ‘‘रामजन्मभूमि पर अदालत का फैसला सर्वसम्मति से किया गया, इसलिए मेरा मानना है कि पुनर्विचार याचिका की कोई जरूरत नहीं है।’’ परांदे ने कहा कि मंदिर के लिए आंदोलन करने वाले विहिप और अन्य संगठनों को अब इंतजार है कि केंद्र सरकार मंदिर निर्माण के लिए ट्रस्ट बनाए।
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संवैधानिक पीठ ने यह ऐतिहासिक फैसला सुनाया था, जिसकी अध्यक्षता पूर्व चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने की थी। इस बेंच में जस्टिस गोगोई के अलावा जस्टिस एसए बोबडे, डीवाई चंद्रचूड़, अशोक भूषण, एस अब्दुल नजीर शामिल थे। अहम बात यह है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसल के बाद जस्टिस एस अब्दुल नजीर और उनके परिवार को जान का खतरा बताया गया है, जिसके बाद केंद्र सरकार ने उन्हें जेड कैटेगरी की सुरक्षा मुहैया कराने का फैसला लिया है।