गुरुवार का दिन नागरिकता कानून के खिलाफ पूरे देश में जबर्दस्त विरोध-प्रदर्शनों का गवाह बना। नागरिकता कानून के खिलाफ गुरुवार को देश की राजधानी दिल्ली से लेकर उत्तर प्रदेश, बिहार, कोलाकाता, मुंबई और सुदूर दक्षिण राज्य कर्नाटक में भी लोगों ने सड़क पर आकर प्रदर्शन किया।
खास बात ये रही कि पूरे देश में हुए इन प्रदर्शनों में सभी धर्मों और सामाजिक संगठनों के लोग शामिल हुए। कर्नाटक के बेंगलुरू में जहां वरिष्ठ इतिहासकार रामचंद्र गुहा सड़क पर उतरे तो, दिल्ली में नदीम खान अरुंधति रॉय जैसे तमाम सामाजिक और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने कानून का विरोध किया।
माकपा के महासचिव सीताराम येचुरी, भाकपा के महासचिव डी राजा सहित, नीलोत्पल बसु, वरिष्ठ माकपा नेता वृंदा करात, कांग्रेस नेता अजय माकन, संदीप दीक्षित, कार्यकर्ता योगेन्द्र यादव, उमर खालिद सहित बड़ी संख्या में लोगों को लाल किला और मंडी हाउस से निकट हिरासत में लिया गया।
राष्ट्रीय राजधानी में इस कानून के खिलाफ प्रदर्शन पर लगी रोक के बावजूद सड़कों पर उतरने के चलते सैकड़ों छात्रों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और विपक्षी नेताओं को हिरासत में लिया गया, जबकि कई इलाकों में मोबाइल इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गईं। कई मेट्रो स्टेशनों को भी बंद कर दिया गया, जिससे शहर में यातायात प्रभावित हुआ।
कर्नाटक के मंगलुरु में प्रदर्शन के दौरान पुलिस की फायरिंग में दो लोगों की मौत हो गयी। सूत्रों की ओर से दी गयी जानकारी के अनुसार, प्रदर्शन पर काबू करने लिए पुलिस की ओर से गोली चलायी गयी थी, जिसमें गोली में दो लोगों की मौ’त हो गयी।
लखनऊ के परिवर्तन चौक पर कांग्रेस और सपा के कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन किया। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय लल्लू समेत कई अन्य नेताओं को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। प्रदर्शन के दौरान पुलिस ने भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पुलिस ने लाठियां भांजी और आंसू गैस के गोले दागे। कलेक्ट्रेट और कैसरबाग क्षेत्र में सपा कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन किया और गिरफ्तारी दी।