तुर्की और सीरिया में आए विनाशकारी भूकंप में बचाव के प्रयास गुरुवार को भी जारी रहे। हादसे में मरने वालों की संख्या 16,000 को पार कर गई है। वहीं, घायलों का आंकड़ा 60 हजार से अधिक है। इसके अलावा हजारों इमारतें जमींदोज होने के बाद अभी कई और लोगों के मलबे में दबे होने की आशंका है। इस बीच बचावकर्मियों को घटना के चौथे दिन अब किसी के भी जीवित बच होने की उम्मीद बहुत कम रह गई है।
तुर्की और सीरिया दोनों ही जगह इस समय जमकर ठंड पड़ रही है। इस खून जमा देने वाली सर्दी ने राहत और बचावकार्य को बाधित किया है। सर्दी की वजह से यह उम्मीद भी खत्म होती जा रही है कि मलबे में कोई जिंदा बचा होगा। 6500 बिल्डिंग्स गिरी हैं और टनों मलबे से लोगों को निकालने का काम जारी है।
वाशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक तुर्किए के नूरदगी समेत कई शहर मलबे के ढेर में तब्दील हो गए हैं। अस्पतालों और मुर्दाघर के बाहर शवों के ढेर लग गए। उधर, टर्किश एयरलाइंस ने कहा कि उसने आपदा क्षेत्र से लगभग 20,000 लोगों को निकाला था।
तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तईप एर्दोगन ने बुधवार को राहत और बचाव कार्य में “कमियों” को स्वीकार किया। भूकंप के केंद्र कहारनमारस में राहत कार्य में समस्याओं को स्वीकार करते हुए कहा, बेशक, कमियां हैं। यह स्पष्ट तौर पर दिखाई दे रहा है। इस तरह की आपदा के लिए तैयार रहना संभव नहीं है।
उधर, विपक्षी दलों समेत स्थानीय लोग तुर्की सरकार पर हमलावर हैं और पूछ रहे हैं कि भूकंप टैक्स में वसूली गई रकम कहां और कब खर्च की गई, इसका ब्योरा दें। स्थानीय मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, लोग तुर्की सरकार को सीधे तौर पर कटघरे में खड़ा कर रहे हैं और सवाल पूछ रहे हैं कि 88 अरब लीरा (तुर्की करंसी) की वह धनराशि कहां गई, जिसे कई दशकों से भूकंप टैक्स के नाम पर वसूला जा रहा है।