मोदी सरकार की आलोचना का ख़ामियाज़ा अब देश के कई प्रमुख निजी शैक्षणिक संस्थानों को भी भुगतना पड़ रहा है। सरकार की आलोचना करने की वजह से अशोका युनिवर्सिटी, केआरईए और अज़ीम प्रेमजी युनिवर्सिटी जैसे संस्थानों को ‘इंस्टीट्यूट ऑफ एमीनेंस’ का दर्जा नहीं मिल रहा है। न्यूज़ वेबसाइट दिप्रिंट ने इंटेलिजेंस ब्यूरो (आईबी) की एक रिपोर्ट के हवाले से यह ख़बर छापी है। दिप्रिंट के मुताबिक, आईबी की रिपोर्ट में कहा गया है कि जो लोग इन संस्थानों से जुड़े है वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सत्तारूढ़ बीजेपी के आलोचक रहे हैं। आईबी ने अपनी यह रिपोर्ट मानव संसाधन विकास मंत्रालय को पिछले महीने भेजी थी। रिपोर्ट में अशोका युनिवर्सिटी के वाइस चांसलर प्रताप भानु मेहता को मोदी सरकार का आलोचक बताया गया है। इसके साथ ही यह भी कहा गया है कि यूनिवर्सिटी के अध्यक्ष, बोर्ड ऑफ ट्रस्टीस और संस्थापक, आशीष धवन, ‘thewire.in’ जैसी सरकार के खिलाफ प्रोपेगेंडा करने वाली साइट्स की पैसों के ज़रिए मदद करते हैं।
आईबी की रिपोर्ट में कहा गया है कि केआरईए विश्वविद्यालय के बोर्ड में, जिसने अभी कामकाज शुरू भी नहीं किया है, सरकार के आलोचक रहे आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन शामिल हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि युनिवर्सिटी की गवर्निंग काउंसिल की एक सदस्य अनु आघा ने एक बार एक भाषण में कहा था कि ‘मोदी ने गुजरात में दं!गाइयों को रोकने के लिए कुछ नहीं किया था।’ वहीं अज़ीम प्रेमजी यूनिवर्सिटी की बात करें तो, आईबी के रिपोर्ट में कहा गया है कि अज़ीम प्रेमजी फिलेंथ्रोपिक इनिशिएटिव लिमिटेड जो कि टेक्नोलॉजी क्षेत्र की बड़ी कंपनी विप्रो की दानकर्ता शाखा है, thewire.in को एक चैरिटेबल ट्रस्ट के ज़रिए धन दे रहा है। रिपोर्ट में इंडियन इंस्टीट्यूट फॉर ह्यूमन सेटलमेंट, बेंगलुरु का नाम भी शामिल है। इसमें कहा गया है कि साइसर गज़दर, जो कि इसके एक संस्थापक हैं और अध्यक्ष, सीबी भावे भी ‘द वायर’ को फंड करते हैं।

इस नोट के अनुसार, गज़दर उन याचिकाकर्ताओं में शामिल हैं जिसमें अदालत से मांग की गई थी कि अयोध्या की विवादित ज़मीन को गैर धार्मिक कामों के लिए इस्तेमाल किया जाए। इस रिपोर्ट में गुजरात दं!गों में उनके द्वारा लिखे एक लेख का भी हवाला दिया गया है जिसका शीर्षक था ‘क्या धर्मनिर्पेक्षता व्यापार के लिए अच्छा है?’ जहां उन्होंने ‘मुस्लिम घरों पर ह!मलों को न!रसंहार बताया था’। आईबी के इस रिपोर्ट में दूसरे निजी संस्थानों के बारे में भी टिप्पणी की गई है जिसमें जामिया हमदर्द, कलिंगा इंस्टीट्यूट ऑफ इंडस्ट्रीयल टेक्नोलाजी, भुवनेश्वर, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक हैल्थ, गांधीनगर, ओपी जिंदल ग्लोबल युनिवर्सिटी, सोनीपत, वेल्लोर इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलोजी, वेल्लोर आदि के नाम शामिल हैं।
साभारः द प्रिंट