बहुजन समाज पार्टी (बसपा) सुप्रीमो मायावती ने नागरिकता संशोधन विधेयक का विरोध करते हुए इसे विभाजनकारी बताया है। उन्होंने कहा कि यह बिल संविधान विरोधी है। बसपा इसका विरोध करेगी।
मायावती ने कहा, ‘केन्द्र सरकार द्वारा काफी जल्दबाजी में लाया गया नागरिकता संशोधन विधेयक पूरी तरह विभाजनकारी और असंवैधानिक विधेयक है अर्थात इसके जरिये धर्म के आधार पर नागरिकता देना तथा इस आधार पर नागरिकों में भेदभाव पैदा करना परमपूज्य डॉ. भीमराव आंबेडकर के मानवतावादी एवं धर्मनिरपेक्ष संविधान की मंशा एवं बुनियादी ढांचे के एकदम विरुद्ध कदम है।’
बसपा सुप्रीमो मायावती ने कहा कि नागरिक संशोधन बिल संविधान पर हमला है। देश में किसी भी मजहब को मानने वालों पर यह बिल न थोपा जाए। उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 370 से हम सहमत थे इसलिए सरकार के साथ खड़े रहे। इसका मतलब यह नहीं कि हम सरकार की हर बात पर सहमत हैं। हम नागरिक संशोधन विधेयक का जमकर विरोध करेंगे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय कैबिनेट ने छह बिलों को मंजूरी दी है। इसमें नागरिकता संशोधन बिल को भी मंजूरी दी गई। 1955 के नागरिकता अधिनियम को संशोधन करने वाले इस विधेयक को संसद के शीतकालीन सत्र में पेश किया जा सकता है। विपक्षी दल इस विधेयक को बांटने वाला एवं साम्प्रदायिक बता रहे हें।
कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस सहित कुछ विपक्षी दलों ने इसकी तीखी आलोचना की है। नागरिकता विधेयक पर विरोध जताते हुए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने बुधवार को कहा कि इससे संविधान का मूलभूत सिद्धान्त कमतर होता है।