बाराबंकी (यूपी) : मौलाना कल्बे सादिक मानवता और इंसानियत की बुनियाद थे, उन्होंने दुनियाभर में अमन, शांति और इंसानियत का पैगाम दिया, वह भारत पाक महासंघ के हिमायती थे, उन्होंने समाज को शिक्षित करने की जो पहल शुरू की थी उससे समाज को नई दिशा मिलेगी.
यह बात हिन्द-पाक एका के हिमायती, विश्व विख्यात धर्मगुरु और आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के उपाध्यक्ष, शिया आलिम-ए-दीन मौलाना डॉ कल्बे सादिक नकवी के निधन पर गाँधी भवन में आयोजित शोक सभा में गांधीवादी चिंतक राजनाथ शर्मा ने कही.
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शर्मा ने बताया कि मौलाना कल्बे सादिक हिन्दू मुस्लिम एकता के प्रतीक थे, वर्ष 2016 में राजधानी लखनऊ में आयोजित भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश का महासंघ बने सम्मेलन में उनकी मौजूदगी इस बात की तस्दीक करती थी कि वह भारत विभाजन से बेहद दुखी थे, उन्होंने सम्मेलन में महासंघ का समर्थन करते हुए महासंघ को स्थाई शान्ति का विकल्प बताया था.
शर्मा ने कहा कि वह पिछले दो-तीन सालों से बीमार चल रहे थे, उनका निधन कौमी एकता, बंधुत्व, साझा संस्कृति के पैरोकार की क्षति है, उनके द्वारा किए गए सामाजिक कार्य अविस्मरणीय बने रहेंगे.
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सोशल एक्टिविस्ट रिजद्यवान रज़ा ने कहा कि मौलाना कल्बे सादिक इंसानियत के पैरोकार थे, वह अहिंसा को मानने वाले धर्मगुरु थे, वह समाज की तरक्की के लिए शिक्षा को जरूरी समझते थे, उन्होने पूरी जिंदगी शिक्षा को बढ़ावा देने और मुस्लिम समाज से रूढ़िवादी परंपराओं के खिलाफ रहे, उनका असमायिक निधन सर्वहारा समाज के लिए अपूर्णनीय क्षति है.
इस मौके पर अशोक शुक्ला, वासिक रफीक वारसी, विनय कुमार सिंह, मृत्युंजय शर्मा, पाटेश्वरी प्रसाद रंजय शर्मा, साकेत मौर्या, आसिफ हुसैन, श्रीनिवास त्रिपाी, मो0 जमील, सत्यवान वर्मा, रवि प्रताप सिंह, मनीष सिंह, अशोक जयसवाल, अनिल यादव सहित कई लोग मौजूद रहे.
ब्यूरो रिपोर्ट, बाराबंकी