नई दिल्ली : मौलाना आज़ाद मेमोरियल अकादमी ने धार्मिक गुरु, शिक्षाविद व समाज सुधारक मौलाना डॉक्टर कल्बे सादिक के निधन पर वर्चुअल शोक सभा का आयोजन किया.
जिसमें आगरा व रोहिलखण्ड विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो मुहम्मद मुज़म्मिल, श्रद्धाधाम आश्रम के आचार्य डॉ प्रमोद कृष्ण महाराज, प्रो रमेश दीक्षित, वरिष्ठ पत्रकार प्रदीप कपूर, शिक्षाविद डॉ रुकसाना लारी, केजीएमयू के प्रो डॉ कौसर उस्मान.
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आई जी अफताब खान, धमर्गुरु मौलाना हसनैन बाकरी, डॉ सरफराज, समाज सेवक मो खालिद, अकादमी अध्यक्ष शरिक़ अल्वी ने मौलाना कल्बे सादिक को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की.
उन्हें धर्म गुरूओं में सब से ज़्यादा रौशन ख्याल, सांप्रदायिक सद्भाव के लिए समर्पित व्यक्ति बताया जिसने जीवन भर धर्म की शिक्षा दी, वक्ताओं ने कहा डॉ कल्बे सादिक धर्म के साथ वैज्ञानिक सोच रखते थे.
उन्होंने सबसे पहले खगोल शास्त्र के द्वारा ईद का पर्व बिना चाँद देखे मानाने का ऐलान किया, उन्होंने गरीब और अमीर दोनों बच्चों के लिए उच्च शिक्षा संस्थान खोले अथवा उनके द्वारा स्थापित एरा मेडिकल कॉलेज ने कोरोना महामारी में बड़ा योगदान दिया.
सभा में सम्मिलित सहभागियों ने कहा कि आज हमारे बीच में से एक ऐसा व्यक्ति चला गया जो शांति और सद्भाव की बात करता था, उनके जनाज़े में उमड़ा जन सैलाब उनकी समाज के हर संप्रदाय में लोकप्रियता को दर्शाता है.
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वक्ताओं ने इस बात पर ज़ोर दिया कि डॉ कल्बे सादिक हिन्दू और मुसलमान दोनों समुदायों के बीच एक लगातार एक पुल बनने का काम करते रहे.
उन्होंने देश विदेश में अपने सद्भावना और आधुनिक शिक्षा की प्रेरणा पर आधारित वक्तव्यों से लोगों के दिलों में जगह बनाई, उनकी मृत्यु हम सबके लिए एक बड़ा सदमा है जिसकी क्षतिपूर्ति कठिन है.
वक्ताओं ने कहा की हमें चाहिए कि डॉ कल्बे सादिक के विचारों को जन-जन तक पहुंचाएं और उनके जीवन के प्रमुख उद्देश्य, आधुनिक शिक्षा के प्रसार के सक्रिय भागीदार बनें.
सभा का संचालन करते हुए अकादमी के महासचिव डॉ कुद्दूस हाशमी ने सभी को बताया कि मौलाना कल्बे सादिक़ का अकादमी से गहरा संबंध रहा और व अक्सर अकादमी आयोजित कार्यक्रमों में भाग लेते थे.