देश के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने देश की अर्थव्यवस्था पर चिंता जताते हुए कहा कि विकास की दर पिछले 15 सालों के न्यूनतम स्तर पर पहुंच चुकी है, बेरोजगारी दर 45 सालों के उच्चतम स्तर पर है, घरेलू मांग चार दशक के निचले स्तर पर है, बैंक पर बैड लोन का बोझ सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच चुका है, इलेक्ट्रिसिटी की मांग 15 सालों के न्यूनतम स्तर पर पहुंच चुकी है, कुल मिलाकर अर्थव्यवस्था की हालत बेहद गंभीर है। यह बात उन्होंने द हिंदू में अपने एक लेख में कहा है, साथ में यह भी कहा कि यह बात मैं विपक्ष के नेता के रूप में नहीं कह रहा हूं।
मनमोहन सिंह का बयान ऐसे समय में आया है जब देश के वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर ने संसद के शीतकालीन सत्र के पहले दिन कहा कि देश की आर्थिक हालत ठीक है। जीडीपी 7.5 फीसदी की रफ्तार से विकास कर रही है जो जी-20 देशों में सबसे ज्यादा है।
पढ़िए मनमोहन सिंह के लेख की अहम बातें-
भारत की अर्थव्यवस्था बहुत ही निराशाजनक स्थिति में है। मैं ऐसा एक विपक्षी पार्टी के सदस्य के तौर पर नहीं कह रहा हूं बल्कि भारत के एक नागरिक और अर्थशास्त्र के एक विद्यार्थी के तौर पर कह रहा हूं।
पिछले 15 सालों में अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर सबसे निचले स्तर पर है। बेरोज़गारी पिछले 45 सालों में सबसे उच्चतम स्तर पर है। लोगों की खर्च करने की क्षमता पिछले 40 सालों में सबसे निचले स्तर पर आ गई है।
बैंकों का बैड लोन सबसे उच्चतम स्तर पर है। बिजली उत्पादन की वृद्धि दर पिछले 15 सालों में सबसे न्यूनतम स्तर आ गई है। यह उच्चतम और न्यूनतम सूची बहुत लंबी है और निराश करने वाली है। लेकिन परेशान करने वाली बात केवल ये आँकड़े नहीं हैं। अब तो इन आँकड़ों के प्रकाशन पर भी पहरा है।