मध्य प्रदेश में एटीएस ने पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई से जुड़े एक नेटवर्क का पर्दाफाश किया है। जानकारी के मुताबिक यहां सतना से एटीएस ने टेरर फंडिंग मामले में 5 लोगों को हिरासत में लिया है। जांच के बाद इन आरोपियों के मोबाइल में करीब 13 पाकिस्तानी नंबर मिले हैं। फिलहाल एटीएस इनसे पूछताछ कर रही है। स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक ये आरोपी पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी के इशारे पर काम कर रहे थे। इनका काम टेरर फंडिंग करना था। ये यहां अपने नेटवर्क को और मजबूत बनाने में भी जुटे थे। हालांकि आधिकारिक रूप से इन बातों की कोई पुष्टि नहीं है क्योंकि अभी मामले की जांच जारी है।
सुनील 2014 से देश विरोधी गतिविधियों में
वहीं, भागवेंद्र को इंदौर एसटीएस ने गिरफ्तार किया था। सुनील 2014 से देश विरोधी गतिविधियों में सक्रिय था, लेकिन एटीएस उसे पकड़ नहीं पाई। टेरर फंडिंग के आरोप में पांच लोगों को गिरफ्तार किए जाने के बाद आतंक निरोधक दस्ते (एटीएस) की टीम भी सतना पहुंच गई है।
मीडिया रिपोर्टर्स में दावा किया गया है कि आरोपी पाकिस्तान में बैठे अपने आकाओं से बात करते थे। फिर बैंक खातों में पैसा जमा कराकर उसे आतंकियों तक पहुंचाते थे। बताया जा रहा है कि आरोपी बिहार, झारखंड और छत्तीसगढ़ से जुड़े संदिग्ध लोगों को बैंक खातों और हवाला के जरिए कमीशन बेस पर पैसे ट्रांसफर करते थे।
पिछले दिनों जम्मू-कश्मीर में एनआईए ने जमात-उद-दावा, दुखतारन-ए-मिल्लत, लश्कर-ए-तैयबा, हिजबुल मुजाहिदीन और जम्मू-कश्मीर के दूसरे अलगाववादी समूहों के खिलाफ फंड जुटाने को लेकर 20 मई 2017 को एक मामला दर्ज किया था। वर्ष 2017 में गिरफ्तारी के बाद बलराम जमानत पर बाहर आया था और वह फिर से टेरर फंडिंग का काम करने लगा।
सतना एसपी रियाज इकबाल ने बताया कि इन आरोपियों के पास से 17 पाकिस्तानी कांटेक्ट मिले हैं। ये झारखंड, बिहार व छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में टेरर फंडिंग का काम करते थे। सोशल मीडिया नेटवर्किंग साइट से जुड़े होते थे। उसी के माध्यम से पैसों का आदान-प्रदान और पाकिस्तान में बैठे लोगों से संपर्क में रहते थे। सभी आरोपी एटीएस की कस्टडी में हैं, जिन्हें अग्रिम कार्रवाई के लिए भोपाल ले जाया गया है।